19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG Weather Update: चक्रवात ‘मोंथा’ की दस्तक! इस जिले में तेज हवाओं के साथ बारिश की संभावना, किसानों की बढ़ी चिंता

Weather Update: मौसम विभाग ने पहले ही चेताया था कि चक्रवात मोंथा के प्रभाव से छत्तीसगढ़ के दक्षिणी इलाकों में तेज हवाओं के साथ बारिश हो सकती है।

2 min read
Google source verification
फाइल फोटो पत्रिका

फाइल फोटो पत्रिका

CG Weather Update: बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवातीय समुद्री तूफान ‘मोंथा’ अब जशपुर जिले में दस्तक दे चुका है। बुधवार की सुबह झमाझम बारिश के साथ मौसम ने करवट ली और इसके बाद पूरे दिन रुक-रुक कर बारिश होती रही। तेज हवाओं और लगातार बरसात ने जहां मौसम में ठंडक घोल दी, वहीं किसानों की चिंता भी बढ़ा दी है।

मौसम विभाग ने पहले ही चेताया था कि चक्रवात मोंथा के प्रभाव से छत्तीसगढ़ के दक्षिणी इलाकों में तेज हवाओं के साथ बारिश हो सकती है। विभाग के अनुसार, हवाओं की गति 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंचने की संभावना है। बारिश से सबसे अधिक असर धान उत्पादक किसानों पर पड़ा है।

जिले के खेतों में तैयार खड़ी फसल और खलिहानों में रखी कटी फसल दोनों ही भीगने लगी हैं। किसानों ने बताया कि यदि अगले 24 घंटे तक बारिश जारी रही, तो फसल में नमी आने से भंडारण और विक्त्रस्य दोनों प्रभावित होंगे। कई गांवों में किसान तिरपाल और पॉलीथिन से अपनी फसल को ढकते देखे गए। जिले के पत्थलगांव, फरसाबहार, दुलदुला, बगीचा, मनोरा और जशपुर ब्लॉक में टमाटर की फसल तैयार अवस्था में है।

टमाटर के दाम घट सकते है

बारिश से पके हुए टमाटर के फटने और पौधों में लगे फल-फूल झड़ने का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय सब्जी विक्रेता संदीप महतो ने बताया कि सुबह की बारिश से खेतों में पानी भर गया है, जिससे टमाटर की फसल को नुकसान हो सकता है। यदि बारिश जारी रही तो बाजार में टमाटर के दाम 50 से 60 रुपये किलो तक पहुंच सकते हैं। फिलहाल बाजार में टमाटर 30 से 40 रुपये किलो बिक रहा है। अगर मौसम साफ रहा तो नवंबर के दूसरे पखवाड़े में दाम घटकर 15-20 रुपये तक आ सकते हैं।

ठंडक और चिंता दोनों लाई ‘मोंथा’

बारिश से जिले में तापमान में गिरावट आई है और लोगों ने मौसम में ठंडक महसूस की। हालांकि, किसानों के लिए यह बारिश राहत से ज्यादा चिंता लेकर आई है। चक्रवात मोंथा ने जहां धूल और गर्मी को धो डाला, वहीं खेतों की मेहनत को भी भीगने का खतरा बढ़ा दिया है।