
Elephant Terror in CG: जशपुर, कुनकुरी और पत्थलगांव विधानसभा क्षेत्रों में हाथी प्रभावित क्षेत्रो में मतदान बूथ बनाए गए हैं, जिसके बाद यहां के ग्रामीण सुरक्षित वोट देने जा पाए इसके लिए ग्रामीणों ने प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है। जिले में आज भी 15 गांव से ज्यादा ऐसे हैं, जो हाथी प्रभावित हैं और भोजन की तलाश में गांवों में घुसकर उत्पात मचाते हैं। अभी भी हाथियों का बड़ा दल जिले के तपकरा वन परिक्षेत्र के सेमरताल, सागजोर, सिकिरमा, जमुना, लावाकेरा, ऊपरकछार, समडमा, पुराईनबंध सहित अन्य आसपास के गांव घोर हाथी प्रभावित क्षेत्र हैं। हाथियों से सबसे ज्यादा नुकसान व जनहानि के मामले जिले के इन्हीं गांव में दर्ज किए गए हैं। वन विभाग द्वारा समय-समय पर इन हाथियों को खदेडऩे का कार्य भी किया जाता है व हाथी मित्र दल भी दिन रात इन क्षेत्रों में गश्त करते हैं। जिसके बाद भी हाथियों से जानमाल का नुकसान थमने का नाम नहीं ले रहा।
यहां के हाथी प्रभावित क्षेत्रों में हाथियों के डर की वजह से ही ग्रामीण भय के साथ में रहने को मजबूर हैं। लोकतंत्र का महापर्व में बढ़-चढ़ कर ग्रामीण हिस्सा तो लेना चाहते है, लेकिन ग्रामीणों को मतदान बूथ तक जाने के लिए इन हाथियों का डर सता रहा है, कि कहीं मतदान के लिए निकलने के दौरान उनका सामना हाथियों से ना हो जाए। ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाई है।
एसडीओ फॉरेस्ट आकांक्षा लकड़ा का कहना है कि मतदान के दो दिन पूर्व संबंधित वनपरिक्षेत्र के स्टाफ की एक टीम बनाई जाएगी, जो रायगढ़ जिले से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों से लेकर ओडिशा और झारखंड के जशपुर जिले के सर्वाधिक हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लगातार मुनादी और गश्ती का काम करेगी। यह टीम हाथियों की करंट लोकेशन से लेकर सभी जानकारी मतदान केंद्रों और मतदान दलों के साथ संबंधित ग्रामीणों से साझा करेंगी और हाथियों के मूवमेंट की तत्काल जानकारी देगी, ताकि सुरक्षा के सारे उपाय किए जा सकें और मतदान का कार्य किसी प्रकार से प्रभावित ना हो सके।
Updated on:
27 Apr 2024 01:00 pm
Published on:
27 Apr 2024 11:56 am
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