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आवंटन रोकने से रूक गया एनईएस कॉलेज भवन का निर्माण, दिसंबर में करना था पूरा

1.40 करोड़ की लागत से किया जाना है एनईएस कॉलेज का निर्माण, अधूरे निर्माण से परेशानी

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Kajal Kiran Kashyap

Jul 07, 2017

Construction of NES College building stopped from

Construction of NES College building stopped from blocking allocation, completed in December

जशपुरनगर.
शिक्षा में गुणवत्ता लाने और शिक्षा के व्यवसायीकरण को कम करने के सरकारी दावे क्रियान्वयन की सुस्त गति की वजह से फेल होते नजर आ रहे हैं। गुणवत्ता और अधोरसंरचना को बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक करोड़ों, अरबों रुपए पानी की तरह स्कूलों में बहा रही है। लेकिन स्कूल से निकलकर उच्च शिक्षा हासिल किए जाने का ख्वाब लिए सरकारी कॉलेज पहुंच रहे गरीब व मध्यमवर्ग के छात्र-छात्राओं का हौसला पस्त होता नजर आ रहा है।

दरअसल शिक्षा के व्यवसायीकरण के बाद निजी कॉलेजों के सर्वसुविधा युक्त बिल्डींग और क्लासरूम को देखकर सक्षम विद्यार्थी खींचे चले जाते हैं। लेकिन निर्धनता में जीवन गुजर-बसर कर रहे गरीब विद्यार्थियों को टूटे-फूटे बदहाल सरकारी संसाधन और व्यवस्था के बीच ही उच्च शिक्षा लेने की मजबूरी बन गई है। यह हालत है जिले के सबसे पुराने कॉलेज राम भजन राय एनईएस कॉलेज की। यहां हर साल 1200 से अधिक मध्यमवर्ग और गरीब तबके के विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए दाखिला लेते हैं।


उन्हें जर्जर और खंडहर हो चुके खपरैल भवन में शिक्षा लेनी पड़ रही है। वहीं एनईएस कॉलेज की बदहाली को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षण मिशन के तहत अतिक्ति क्लासरूम बनाने की स्वीकृति देते हुए 1.40 करोड़ रुपए का निर्माण कार्य बीते वर्ष गर्मी के दौरान ही शुरू कराया गया, और उसे दिसंबर में पूरा करने की मियाद भी तय की गई, लेकिन मियाद पूरी होने के 6 महीने बीत जाने के बाद भी गरीब विद्यार्थियों के लिए बनाया जा रहा, अतिरिक्त क्लासरूम अधूरा पड़ा है। जिले में केंद्र की योजना का भी हाल बेहाल है।


बारिश में क्लास छोड़कर भागने की नौबत :
अतिरिक्त क्लासरूम नहीं बन पाने की वजह से बारिश के दिनों में कॉलेज के विद्यार्थियों को क्लास छोड़कर भागने की नौबत आ जाती है। या तो वे छाता लेकर क्लासरूम में बैठें या फिर भीगते हुए बारिश में क्लासरूम से भाग जाएं ऐसी दो स्थिति एनईएस कॉलेज में निर्मित हो रही है। कॉलेज प्रबंधन की ओर से पीडब्लूडी विभाग को जर्जर क्लासरूम के जिर्णोधार के लिए पत्र लिखा गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।


नैक की टीम करेगी जर्जर भवन का सामना :
उच्च शिक्षण संस्थानों में दी जा रही शिक्षा के स्तर व मौजूद संसाधनों का जायजा लेते हुए संस्थान की ग्रेडिंग करने वाली केंद्रीय संस्था नैक (नेशनल एसेसमेंट एक्रिडिटेशन काउंसिल) की टीम अक्टूबर महीने में संस्था का जायजा लेने पहुंचेगी। एमसीआई की टीम की ओर से जिस तरह संसाधन मौजूद नहीं होने से अस्पताल की मान्यता छिन लेने व सीटें कम कर देने की हालत निर्मित की जाती है। कुछ ऐसा ही हाल नैक की टीम के आने के बाद एनईएस कॉलेज की होगी। यहां विद्यार्थियों की संख्या के साथ ही प्राध्यापकों की संख्या भी है, लेकिन यहां अच्छे क्लासरूम ही नहीं हैं। रूसा भी जिले में दम तोड़ चुका है और इसकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है।


एक बिल्डींग पॉलीटेक्नीक के पास :
एनईएस कॉलेज की एक बिल्डींग में पॉलीटेक्नीक का कब्जा है। पॉलीटेक्नीक कॉलेज की बिल्डींग भी निर्माणाधीन है। उसके कब्जे से भी एनईएस का हाल बदहाल है।


रूसा ने नहीं भेजा पैसा :
उच्च शिक्षण संस्थानों की बदहाली दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने रूसा बनाया, लेकिन फंड के अभाव में रूसा का दम निकल रहा है। बिल्डींग के निर्माण कार्य के लिए रूसा ने पैसा भेजना ही बंद कर दिया। और इसकी पूछ-परख भी प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से नहीं की गई।


20 रूम पूरे कॉलेज का किया जा रहा है संचालन :
राम भजन राय एनईएस पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सतीश देशपाण्डे से कॉलेज के जर्जर क्लासरूम के संबंध में पूछने पर उन्होने बताया कि संस्था में कुल 17 विषयों की पढ़ाई हो रही है। जिसके लिए कुल 20 क्लारूम है। और विज्ञान से संबंधित विषयों के लिए प्रयोग शालाएं भी उन्हीं क्लारूम में लगाया जा रहा है। 20 क्लासरूम में अधिकांश खपरैल हैं, जिनकी हालत बेहद ही दयनीय हो चुकी है। आंधी, तुफान में ब्रिटिश जमाने के लगाए गए खपर भी उड़कर गिर गए और टूट-फूट गए। उच्च शिक्षा विभाग को कॉलेज की बदहाल के संबंध में कई बार अवगत कराया गया, जिसके बाद राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षण मिशन(रूसा) के तहत 1.40 करोड़ की लागत से 8 अतिरिक्त क्लासरूम बनाने की स्वीकृति मिली। काम शुरू हुआ पर पैसा का आवंटन रोक देने से कार्य अधर में लटक रहा है।


संस्था को पत्र लिखा गया है
: रूसा की ओर से राशि जारी नहीं किए जाने की वजह से काम बंद है। जर्जर क्लासरूम में विद्यार्थियों को पढ़ाने की मजबूरी संस्था प्रबंधन की हो गई है। हमने संस्था को पत्र लिखा है।

डॉ. सतीश देशपाण्डे, प्राचार्य एनईएस कॉलेज जशपुर