
अब पर्यावरण असंतुलन का बड़ा खतरा पनपने लगा है
जौनपुर. केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही देश में स्वच्छता अभियान ने इस तरह जोर पकड़ी की पीएम से लेकर भाजपा के वार्ड स्तर के नेताओं तक ने स्वच्छता पर जमकर फोकस किया। जिसे देखिये वो हाथ मे झाड़ू उठाकर सफाई करते ही दिखता। यही नहीं यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी सफाई का नारा जमकर दिया गया । शहर से से लेकर गली मोहल्ले और थाने से से जिला मुख्यालयों तक जमकर सफाई अभियान के नारे बुलंद किये गये। पर इसकी हकीकत ये है कि आज इतना बड़ा अभियान दम तोड़ता दिख रहा है।
जी हां हम बात कर रहे हैं जौनपुर शहर की, जिले की सबसे बड़ी गोमती नदी के किनारे इन दिनों गंदगी का अंबार है। देखने पर यहां नदी किनारा नहीं मानों कूड़े का अंबार दिखता है। पूरे शहर का कूड़ा इस आदि गंगा गोमती के किनारे भरा पड़ा है।
नगर पालिका कि
इस नदी के किनारे प्रतिवर्ष सैकड़ों टन कूड़ा फेंका जा रहा है। इससे कूड़े का हर वक्त अंबार लगा रहता है। इससे अब पर्यावरण असंतुलन का बड़ा खतरा पनपने लगा है। वहीं गोमती स्नान करने वालों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। लोगों को इस गंदगी के बीच से गुजरना पड़ता है। नगर के घरों से लेकर रेस्टोरेंट, होटल व अस्पतालों से निकलने वाले अपशिष्ट व पालीथिन खतरनाक साबित हो रहे हैं।
कई वर्षो से इस क्षेत्र में सैकड़ों टन कूड़ा लाकर सीधे डाल दिया जाता है। कूड़े में सबसे ज्यादा मात्रा पालीथिन की ही होती है जो मिट्टी से लेकर पेयजल तक को प्रभावित कर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि नर्सिग होम से लेकर सरकारी अस्पतालों तथा होटलों आदि तक में कहीं भी कूड़ा प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यहां अस्पतालों व होटलों से प्रतिदिन कई टन कूड़ा निकलता है।
नगरपालिका कर्मी कूड़ा उठाकर सीधे जेसीज चैराहे सड़क के किनारे फेंक देते हैं जो बाद में धीरे-धीरे मिट्टी के नीचे दब जाते हैं। स्वच्छ जौनपुर सुंदर जौनपुर का नारा कैसे चरितार्थ होगा जब यहां की सफाई व्यवस्था ही भगवान भरोसे है। शहर से प्रतिदिन निकलने वाला कूड़ा सड़क से उठाकर सड़क किनारे फेंक दिया जाता है।
इसके निस्तारण के लिए अभी तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं हो सकी है। हाल यह है कि घर, दुकान, अस्पताल, होटल हो या अन्य कोई भी प्रतिष्ठान इनसे निकलने वाला कूड़ा-कचरा सड़क व नगर की गलियों में ही फेंका जा रहा है। मोहल्लों के घरों से निकलने वाले कूड़े को भी लोग पालीथिन में बांधकर अपने आसपास ही फेंक देते हैं। कुछ मोहल्लों में तो नगरपालिका द्वारा रखे गए डिब्बों में कूड़ा-कचरा डाला जाता है जो कई दिनों तक उसी तरह से पड़ा रहता है। इस हालत में आखिर भारत में स्वच्छता अभियान का असर कितना है इसकास अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है।
Published on:
06 Jan 2018 07:33 pm
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