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फिल्में देख गैंगस्टर बना था मुन्ना बजरंगी, गजराज सिंह गैंग के लिये की थी पहली हत्या

Don Munna Bajrangi Murder : 17 साल की उम्र में ही दर्ज हुआ था मुन्ना बजरंगी पर पहला मुकदमा, फिर मुड़कर कभी पीछे नहीं देखा।

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Munna Bajrangi

मुन्ना बजरंगी

जावेद अहमद
जौनपुर. पूर्वांचल के कुख्यात डान मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या के बाद उसके गृह जनपद जौनपुर में भी हलचल मची हुई है। सुरेरी थानांतर्गत कसेरू पुरेदयाल गांव में मातमी सन्नाटा छाया है। घर पर ताला लगा हुआ है। परिवार के अधिकतर सदस्य जौनपुर रहते हैं। पत्नी लखनऊ में रहती हैं। खबर लगते ही वे भी बागपत रवाना हो गईं।


विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड समेत कई हत्या, रंगदारी, लूट के आरोपी मुन्ना बजरंगी ने जौनपुर से ही जरायम की दुनिया में कदम रखा था। ये माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का खासम खास माना जाता था। अभी सप्ताह भर पहले ही मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने लखनऊ प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस कर पति की हत्या की आशंका जताई थी। एसटीएफ के अफसरों पर ही मुन्ना बजरंगी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। सोमवार को बागपत में दर्ज एक केस में पेशी के लिए रविवार को उसे झांसी जेल से यहां लाया गया था। जेल के भीतर ही उसे गोली मार दी गई।


जानें कौन था मुन्ना बजरंगी
माफिया डान मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। उसका जन्म 1967 में कसेरू पूरेदयाल गांव में हुआ था। कक्षा 5 तक ही पढ़ सके मुन्ना बजरंगी के पिता पारसनाथ सिंह उसे अच्छा इंसान बनाना चाहते थे, लेकिन महज 17 साल की उम्र में ही बजरंगी ने अपराध की दुनिया में दस्तक दे दी। सुरेरी थाने में मारपीट और असलहा रखने का पहला मामला दर्ज हुआ तो तो उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

दरअसल उसे हथियार रखने का बड़ा शौक था। फिल्में देख-देख उसे भी बड़ा गैंगेस्टर बनने की चाहत हो गई। फिर अस्सी का वो दशक आया जब उसने माफिया गजराज सिंह के गैंग का दामन थाम लिया। गजराज सिंह के लिए ही काम करने वाले मुन्ना ने 1984 में लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी।.इसके बाद उसके मुंह खून लग गया। उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या कर पूर्वांचल की जरायम की दुनिया में अपने नाम का डंका बजा दिया। इसके बाद उसने ताबड़तोड़ कई हत्याकर दी।

पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। मुख्तार अंसारी के राजनीति में आते ही मुन्ना का हस्तक्षेप सरकारी ठेकों पर बढ़ गया। पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था, लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे. कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था। बास के इशारे पर ही मुन्ना बजरंगी ने 29 नवंबर 2005 को लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की हत्या कर दी। इस हत्याकांड ने प्रदेश की राजनीति में सनसनी फैला दी। अब हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा था।

भाजपा विधायक की हत्या समेत कई मामलों में पुलिस, एसटीएफ और सीबीआइ को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी। उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित कर दिया गया था। उसकी तलाश में लगी टीम ने 29 अक्टूबर 2009 को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया। उसी समय इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि मुन्ना ने खुद को गिरफ्तार करवाया क्योंकि उसे अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था।