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जनजाति समाज की परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है भगोरिया

locationझाबुआPublished: Mar 17, 2021 01:38:18 am

Submitted by:

harinath dwivedi

भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह भाभर ने कहा- कुछ लोग भगोरिया पर्व का गलत ढंग से प्रचार कर रहे हैं

जनजाति समाज की परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है भगोरिया

जनजाति समाज की परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है भगोरिया

झाबुआ. हाल में एक संगठन विशेष ने भगोरिया को आदिवासी समाज का पर्व न बताते हुए सिर्फ एक मेला करार दिया। इसके बाद मंगलवार को भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह भाभर ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि भगोरिया उत्सव विश्वविख्यात है और जनजाति समाज इसे धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार के रूप में युगों से मनाते आ रहा है। कुछ तथाकथित संगठन और लोग जनजाति समाज की धार्मिक भावनाओं को को आहत करने के लिए इसे आदिवासी समाज का त्योहार नहीं बता रहे हैं। हमारा जनजाति समाज हिन्दू रीति से यह पर्व मानते आ रहा है। जो लोग हमारी परम्परा और संस्कृति को ठेंस पहुंचाने में लगे है,हम उनके मंसूबे कभी पूरे नहीं होने देंगे।
भगोरिया पर्व को भगवान हनुमान से जोड़ा
भा जपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह भाभर ने भगोरिया पर्व को भगवान हनुमान से भी जोड़ा। उन्होंने बताया इस पर्व के दौरान हमारे जनजाति समाज के भाई हनुमान जी की तरह ही चोला पहनकर आते हैं और आठ दिन तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हैं। जिस तरह हनुमान जी उडक़र लंका पहुंचे थे। उसी तरह ही आदिवासी भाई गल घूम कर अपनी मन्नत उतारते हैं। जब हनुमान जी लंका गए तो समुद्र में भी अपनी परछाई देखते हुए जा रहे थे। इसी तरह आदिवासी भाई गल घूमते वक्त अपने साथ कांच रखते हैं और संजीवनी बूटी के पहाड़ के प्रतीक के रूप में साथ में नारियल रखा जाता है।
धर्म परिवर्तन में शामिल लोगों को नहीं माना जाएगा आदिवासी
धर्म परिवर्तन करने वाले जनजाति समाज के व्यक्ति को आदिवासी नहीं माना जाएगा। इसके लिए भाजपा अजजा मोर्चा द्वारा वृहद पैमाने पर अभियान चलाया जाएगा। इसकी पुष्टि अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह भाभर ने की है। उन्होंने बताया जनजाति समाज में व्याप्त गरीबी और अशिक्षा को हथियार बनाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया गया। यह प्रक्रिया अब तक चल रही है। इसे रोकने के लिए अलग से मुहिम शुरू की गई है। इसके तहत धर्मांतरित व्यक्ति को आदिवासी नहीं माना जाएगा। भाभर ने बताया आदिवासी समाज के योगदान को बताने के लिए रामलीला का आयोजन भी भाजपा के द्वारा कराया जाएगा।
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