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झाबुआ बेटियों के साथ भेदभाव नहीं करता: सीएम

लाडली बहना सम्मेलन और स्वीकृति पत्रों के वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

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झाबुआ

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Binod Singh

Jun 06, 2023

झाबुआ बेटियों के साथ भेदभाव नहीं करता: सीएम

झाबुआ बेटियों के साथ भेदभाव नहीं करता: सीएम

झाबुआ. लाडली बहना सम्मेलन और स्वीकृति पत्रों के वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 24 मिनट में पूरी योजना का खाका बहनों के सामने रखा तो लगे हाथ सरकार बनाने के लिए उनका साथ भी मांग लिया। इस दौरान झाबुआ को प्रणाम करते हुए बोले कि ये ऐसा जिला है जहां बेटियों के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है।
दोपहर 3.58 पर मुख्यमंत्री चौहान ने अपनी बात शुरू की। बजाय मंच पर एक जगह खड़े होने के वे पूरे समय माइक हाथ में लेकर एक से दूसरी जगह जाकर बहनों से संवाद करते रहे। लाडली बहना योजना को लेकर मुख्यमंत्री बोले हर भाई रक्षाबंधन पर बहनों को कुछ न कुछ देता है। मैने देखा कि मेरी बहने छोटी-छोटी चीजों के लिए परेशान होती है तो मेरे मन भी आया कि अपनी बहनों को कुछ दूं। रातभर सोचता रहा और सुबह 4 बजे दिमाग में आया कि एक हजार रुपए महीना बहनों के खाते में डाल दें तो उनकी जरूरत पूरी हो जाएगी। इसके बाद लाडली बहना योजना के पंजीयन शुरू किए गए। साल में एक बार देने से काम नहीं चलता, इसलिए हर महीने एक हजार रुपए देने का निर्णय लिया। मेरी जिन्दगी का मकसद है अपनी बहनों की जिंदगी बेहतर बनाना। किसी भी बहन की आंख में आंसू नहीं रहने दूंगा। मुख्यमंत्री बोले पैसे से हिम्मत आती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। इसके बाद उन्होंने मंच से यह भी कहा कि आज तुम्हारा भाई तुमसे सहयोग मांगने आया है। शाम 4.22 पर उन्होंने अपनी बात खत्म करते हुए सभी बहनों को साथ देने का संकल्प दिलाया। सांसद गुमान सिंह डामोर और भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया के साथ अन्य मौजूद रहे।
आयोजन के दौरान स्वयं सहायता समूह की बहने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए 20 फ ीट की राखी लेकर पहुंची। उस पर मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ प्यारे भैया लिखा था।
प्रशासन की व्यवस्था चाक-चौबंद
आयोजन में कलेक्टर तन्वी हुड्डा का कुशल प्रबंधन साफ नजर आया। आयोजन में 20 हजार बहनों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन आंकड़ा इससे कहीं अधिक पहुंच गया। जिसे देखकर मुख्यमंत्री बेहद खुश नजर आए। आलम यह था कि करीब एक लाख वर्ग फि ट में लगा पंडाल छोटा पड़ गया और हजारों बहनें कड़ी धूप के बावजूद बाहर खड़ी रही।