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बड़ी खबर: सिंहस्थ 2028 से जुड़े ‘मेगा प्रोजेक्ट’ को मिली हरी झंडी, बदलेगा पर्यटन का नक्शा

Ujjain Simhastha 2028: कैबिनेट मंत्री के प्रयासों की बदौलत जल संसाधन विभाग ने मध्य प्रदेश में एक धार्मिक स्थल से जुड़े मेगा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। यह प्रोजेक्ट सीधे सिंहस्थ 2028 से जुड़ा होगा।

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झाबुआ

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Akash Dewani

Dec 20, 2025

Mega Project Shringeshwar Dham will connect to Ujjain Simhastha 2028 mp news

Shringeshwar Dham will connect to Ujjain Simhastha 2028 (फोटो- Patrika.com)

Mega Project: आदिवासी अंचल की आस्था का प्रमुख केंद्र श्रृंगेश्वर धाम अब एक नए स्वरूप में नजर आएगा। प्रदेश की कैबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया के विशेष प्रयासों और जल संसाधन विभाग की स्वीकृति के बाद इस पवित्र स्थल को धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए 6 करोड़ 28 लाख 21 हजार रुपए के मेगा प्रोजेक्ट की मंजूरी मिल गई है। (mp news)

सिंहस्थ 2028 से जुड़ेगा श्रृंगेश्वर धाम

इस विकास कार्य का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे उज्जैन सिंहस्थ-2028 (Ujjain Simhastha 2028) के टूरिस्ट सर्कल से जोड़ा जाएगा। इससे झाबुआ जिला अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा। माही और मधुकन्या नदी के संगम स्थल पर स्थित श्रृंगेश्वर धाम (Shringeshwar Dham) जन-जन की आस्था का केंद्र है।

इसके पौराणिक महत्व को देखते हुए कैबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया और कलेक्टर नेहा मीना ने इस स्थल को संवारने के लिए प्रोजेक्ट बनाने के लिए कहा था। इसके बाद जल संसाधन विभाग ने 6 करोड़ 28 लाख 21 हजार रुपए का प्रस्ताव तैयार किया। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने इस प्रोजेक्ट को स्वीकृत कर दिया है।

यहां गल गए थे श्रृंगी ऋषि के सींग

श्रृंगेश्वर धाम में मान्यता है कि महान संत श्रृंगी ऋषि के सिर पर एक सींग था। जब उन्होंने इस पवित्र संगम स्थल पर स्नान किया तो उनके सिर का सींग स्वतः ही गल गया। तभी से यह स्थान 'श्रृंगेश्वर' के नाम से विख्यात हुआ। यहां के जल में स्नान को चर्म रोगों और अन्य व्याधियों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। यहीं कारण हैं कि मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से भी हजारों श्रद्धालु आते हैं।

प्रकृति और आध्यात्म का संगम

ब्रह्मलीन महंत काशी गिरी महाराज द्वारा स्थापित यह धाम प्रकृति की गोद में स्थित है। माही डैम बनने के कारण पुराना मंदिर जलमग्न हो गया था। इसके बाद भव्य मंदिर को स्थापित किया गया। गादीपति महंत रामेश्वरगिरी महाराज के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा सोमवत्ती अमावस्या और श्रावण मास के विशेष अनुष्ठान होते हैं। वर्ष 2023 में श्रृंगेश्वर धाम पर रूद्र महायज्ञ का भव्य आयोजन भी किया गया था।

प्रोजेक्ट की झलक 281 मीटर लंबा भव्य घाट

  • जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार किए गए इस मास्टर प्लान में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा है।
  • विशाल घाटः माही और मधुकन्या नदी के संगम पर 281 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा भव्य घाट बनाया जाएगा।
  • सीढ़ियों का निर्माणः नदी तक सुगम पहुंच के लिए 134 सीढ़ियों का निर्माण होगा।
  • पर्यटन आकर्षणः घाट के समीप एक सुंदर उद्यान विकसित किया जाएगा।

प्रोजेक्ट के पूरे होने से आएंगे सकारात्मक बदलाव

  • अर्थव्यवस्था में उछालः श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से स्थानीय होटल परिवहन और भोजनालयों का व्यापार बढ़ेगा।
  • रोजगार सुजनः पर्यटन क्षेत्र से स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियों और स्वरोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। स्थानीय हस्तशिल्प एवं उत्पादों को बाजार मिलेगा।
  • सांस्कृतिक पहचानः सुव्यवस्थित घाट होने से यहाँ बड़े धार्मिक मेलों और अनुष्ठानों का आयोजन सुचारू रूप से हो सकेगा।
  • नदी संरक्षणः पक्यो घाट और सौंदर्योंकरण से तट की स्वच्छता बनी रहेगी और पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा। (mp news)

इनके प्रयासों से बदलेगी तस्वीर

मंत्री ने मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री से बजट स्वीकृत कराया। मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा- श्रृंगेश्वर धाम हमारे जिले का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां से जन-जन की आस्था जुड़ी है।- निर्मला भूरिया, कैबिनेट मंत्री

श्रृंगेश्वर धाम के महत्व को समझते हुए उन्होंने तत्काल प्रोजेक्ट फाइल तैयार करवाई और इसे 'महाकाल लोक' के टूरिस्ट सर्किट से जोड़ने का विजन रखा।प्रोजेक्ट स्वीकृत होने पर कलेक्टर ने कहा- माही नदी के श्रृंगेश्वर घाट का निर्माण एवं सौंदर्यीकरण धार्मिक आस्था के साथ-साथ नदी संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे अंचल की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और नए रोजगार भी सृजित होंगे। यह जिले के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। -नेहा मीना, कलेक्टर, झाबुआ

उन्होंने नदी की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए घाट का तकनीकी और आकर्षक डिजाइन तैयार किया। इस दौरान ये ध्यान रखा गया कि माही बैंक वाटर से घाट को किसी तरह का नुकसान न हो।- विपिन पाटीदार, ईई, जल संसाधन विभाग