15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पॉलिटेक्निक में शिक्षक नहीं, मंजूरी के बाद भी नहीं बना इंजीनियरिंग कॉलेज

तीन साल से किसी भी ब्रांच में प्रैक्टिकल नहीं हुआ, कंप्यूटर साइंस वालों को भी कंप्यूटर नहीं

3 min read
Google source verification
jj

पॉलिटेक्निक में शिक्षक नहीं, मंजूरी के बाद भी नहीं बना इंजीनियरिंग कॉलेज

झाबु्आ. राजनीतिक दलों ने कॉलेज और स्कूल खोलने के कई वादे किए हैं। इस बार भी कर रहे हैं। पर जो पहले से खुले हैं उनके हालातों से नजर फेर ली है। अब्दुल कलाम आजाद यूआइटी इंजीनियरिंग कॉलेज एवं एकलव्य योजना के तहत संचालित पॉलिटेक्निक कॉलेज में पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

पॉलिटेक्निक कॉलेज विद्यार्थियों ने कहा कि यहां से डिप्लोमा करने वाले विद्यार्थियों का बुरा हाल है। कॉलेज में नियमित शिक्षकों की कमी है। पुस्तकालय की व्यवस्था नहीं है। प्रयोगशाला में प्रयोग संबंधी उपकरण नहीं है। योजना के तहत संपूर्ण स्टेशनरी एवं छात्रवृत्ति उचित समय में छात्रों को प्रदान नहीं की जाती। छात्रावास में पेयजल एवं रहने की समुचित व्यवस्था नहीं है। कॉलेज में वाइ-फाइ की सुविधा नहीं है। स्वास्थ्य परीक्षण एवं चिकित्सा की व्यवस्था नहीं है। खाना गुणवत्तापूर्ण नहीं मिल रहा। कंप्यूटर लैब एवं शौचालय सही किए गए। छात्रों के हॉस्टल में साफ.-सफाई , पंखे, लाइट एवं पानी नहीं है। यहां तक कि क्लास रूम में भी लाइट एवं पंखे नहीं है।
यहां पर संचालित होने वाली चारों ब्रांच में पर्याप्त टीचर नहीं है। 3 सालों से किसी भी ब्रांच में प्रेक्टिकल नहीं हो पाए हैं। विद्यार्थियों को प्रेक्टिकल भी थ्योरी की तरह समझाया जाता है। इस कारण छात्रों को प्रैक्टिकल जानकारी नहीं है। वर्षों पुराने उपकरणों में जंग लग चुकी है। कंप्यूटर लैब बंद है। कंप्यूटर साइंस वालों को भी कंप्यूटर चलाने के लिए नहीं दिया जाता। दूसरी ब्रांच के विद्यार्थियों को कंप्यूटर नहीं आता। न ही कभी सिखाया जाता है। ऑटोकैड छात्र अपने स्वयं के पैसों से इंदौर में जाकर पढ़ाई करने को मजबूर है। हॉस्टल में एक रूम में 7 से अधिक छात्र हैं। इन छात्रों को पर्याप्त स्टेशनरी नहीं दी जाती। यहां अध्ययनरत 720 विद्यार्थियों के 2 साल से स्कॉलरशिप के नाम पर 1500 रुपए प्रति छात्र काटे जा रहे हैं। शेष स्कॉलरशिप के एग्जाम खत्म होने के बाद खाते में आती है। यहां पर पढ़ रहे विद्यार्थी लाइट और पंखे अपने पैसों से दुरुस्त करवा रहे हैं। हॉस्टल में नल आदि की रिपेयरिंग के लिए छात्रों से पैसे लिए जाते हैं। हॉस्टल में दरवाजे टूटे हैं। लेट बाथ में पानी नहीं आता। कहीं-कहीं तो बाथरूम के दरवाजे भी नहीं है।

इंजीनियरिंग कॉलेज की समस्या
2014 में इंजीनियरिंग कॉलेज निर्माण की अनुमति मिली थी। इसके निर्माण का टेंडर 2016 में हुआ। तभी से इंजीनियरिंग कालेज के निर्माण का कार्य अधर में है। इसके निर्माण की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी विभाग की पीआइयू शाखा को दी गई है। पहले कल्याणपुरा में यह कालेज बनना प्रस्तावित था। कारणवश उमरी में बनना तय हुआ। 200 करोड़ लागत में तैयार इंजीनियरिंग कालेज प्रोजेक्ट तीन चरणों मे पूरा होने का अनुमान है। इसके लिए पहले चरण में 37 करोड़ रुपए पीआइयू खाते में जमा हो चुके है। 2 अगस्त 2015 को सीएम ने 42 करोड़ की लागत से बनने वाली इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन का भूमिपूजन किया था। 42 करोड़ लागत भवन निर्माण और अन्य सुविधाओं पर करोड़ों खर्च होंगे। भूमिपूजन से अबतक लागत बढ़ते हुए तीन गुना पहुंच गई है। इंजीनियरिंग के छात्रों ने बताया कि 3 साल हो गए हैं। पहली बैच पास आउट होने वाली है, लेकिन कॉलेज के पास अभी तक भवन नहीं हैं। इसी कारण क्लासेस ठीक से संचालित नहीं हो पाती है। कॉलेज में टीचर नहीं है। क्लास में लाइट व्यवस्था भी नहीं है। इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों को प्रेक्टिकल नहीं करते कराए जाते। कंप्यूटर लैब के कंप्यूटर धूल खा रहे हैं। लेब की कोई व्यवस्था नहीं है। अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन हल नहीं निकल सका।

कक्षों में न पंखे हैं न टेबल कुर्सियां
मैकेनिकल और कंप्यूटर एप्लीकेशन में पढ़ाई करने वाले छात्र प्रथम वर्ष के शुभम जाधव, आदर्श शर्मा, खुशवंत सिंह , लवकुश पाटकर, लक्ष्य पटवा, शिवम शुक्ल, ललित प्रजापति, वाजिद खान, जगजीत सूर्यवंशी, द्वितीय वर्ष के मृत्युंजय जादौन, दीपक राजपूत, जितेंद्र तिवारी, विपिन परेल, आलोक मिश्रा, सुंदर डोडवे, आकाश सोनी, कृष्णा मालवीय, राजीव सेन, तृतीय वर्ष के राहुल परेल , सोनू कुमार, वैभव गुप्ता, ऋषभ देव कोरी, धर्मेन्द्र साहू, ऋषभ जैसवाल ने बताया 3 साल से हमारा इंजीनियरिंग कॉलेज अस्तित्व में नही है। जैसे-तैसे डिप्लोमा कॉलेज के भवन में संचालित हो रहा है। इस संबंध में इसी साल 3 बार सीएम हेल्पलाइन में कंप्लेन की है। थ्योरी पर ध्यान दिया जा रहा । कक्षों में न पंखे है न टेबल कुर्सियां। ऐसे में पढ़ाई करने में परेशानी है।