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बावन जिनालय जैन मंदिर में चातुर्मास

चातुर्मास के लिए विराजित साध्वी पुनीतप्रज्ञा

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झाबुआ

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Amit Mandloi

Aug 01, 2018

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झाबुआ. बावन जिनालय जैन मंदिर में चातुर्मास के लिए विराजित साध्वी पुनीतप्रज्ञा की निश्रा में प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हो रहे हैं। प्रवचन में साध्वीश्री पुनीतप्रज्ञा ने शांत सुधाकर ग्रंथ का वाचन किया। उन्होंने कहाकि संसार का स्वरूप एवं सुख कांच के टुकड़े के समान है, परंतु जीवन इसे हीरा मान बैठा है। संसार का सुख क्षणिक कांच के समान है। जबकि मोक्ष का सुख शाश्वत व हीरे के समान है। संसार का मतलब दावानल अग्नि है। जबकि प्रभु की जिनवाणी उस दावानल को शांत करने वाले जल के समान है। अत: हमें जीववाणी शास्त्र का श्रवण कर जीवन को सफल बनाना है। साध्वीश्री प्रमोदयशा ने श्रावक जीवन के कर्तव्यों पर आधारित आचार्यश्री रत्नशेखरसूरी द्वारा रचित श्राद्ध विधि प्रकरण ग्रंथ का वाचन किया।
दोपहर 2.30 बजे से 3.30 बजे तक श्राविकाओं के लिए शिविर का आयोजन किया गया। चातुर्मास शुरू हुए पांच दिन हो चुके हैं। इस अवधि में 200 से अधिक आयंबिल तप की आराधना की जा चुकी है। आयंबिल कराने का लाभ पूरे श्रावण माह धर्मचंद मेहता परिवार की ओर से लिया जा रहा है। सुबह 6 बजे मूलनायक भगवान का अभिषेक सुबोध राठौर परिवार ने किया। साढ़े 6 बजे तत्व ज्ञान का विशेष आयोजन हुआ। इसमें पूज्यश्री ने तत्वज्ञान की जानकारी दी। चातुर्मास समिति की ओर से 11 तपस्वियों के बियासने कराए गए। समिति के अध्यक्ष तेजप्रकाश कोठारी ने बतायाकि प्रवचन के पूर्व प्रदीप सुजानमल कटारिया परिवार ने शांत सुधाकर ग्रंथ व अभय कुमार धारीवाल परिवार ने श्राद्ध विधि प्रकरण ग्रंथ को साध्वीश्री को वोहराया व शास्त्र की वाक्षेप पूजा की।
श्री संघ एवं चातुर्मास समिति के अध्यक्ष संजय मेहता, तेज प्रकाश कोठारी, बाबूलाल कोठारी, राजेंद्र रुनवाल, प्रदीप कटारिया, मुकेश नाकोड़ा, अनिल राठौर, मधुकर शाह, सुभाष कोठारी, अंतिम जैन, राजेश मेहता, उल्लास जैन, मुकेश लोढ़ा, रिंकु रुनवाल, जितेंद्र जैन, डॉ प्रदीप संघवी, रचित कटारिया, अंकित कटारिया आदि ने समाजजलों से प्रतिदिन प्रवचन और आराधना में शामिल होने की अपील की है।