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‘महा’ का असर, तेज हवा के साथ दो घंटे तक जोरदार बारिश, किसानों को सताने लगी ये चिंता

गुरुवार सुबह 10 बजे शुरू हुई बारिश ने मौसम में घोली ठंडक खेतो में खेडऩे का काम शुरू, लेकिन पानी गिरने से खेड़ाई का काम प्रभावित

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झाबुआ

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Hussain Ali

Nov 08, 2019

‘महा’ का असर, तेज हवा के साथ दो घंटे तक जोरदार बारिश, किसानों को सताने लगी ये चिंता

‘महा’ का असर, तेज हवा के साथ दो घंटे तक जोरदार बारिश, किसानों को सताने लगी ये चिंता

आलीराजपुर. अरब सागर में उठे चक्रवाती ‘महा’ तूफान का असर देखने को मिल रहा है। गुरुवार को सुबह अचानक आसमान में काली घटाएं उमड़-घुमड़ आई और तेज हवा के साथ करीब दो घंटे तक जोरदार बारिश हुई। सुबह 10 बजे करीब अचानक मौसम में बदल गया और देखते ही देखते झमाझम बारिश की शुरूआत हो गई। जो लगभग 2 घंटे तक चली। ‘महा’ का असर एक-दो दिन और देखने को मिलेगा।

अचानक हुई बारिश से नगर का यातायात ठप हो गया। किसान इस बात को लेकर चिंतित नजर आए कि वे अपनी कटी फसल को निकाल नहीं पा रहे हैं। वहीं खेतो में खेडऩे का काम भी प्रारंभ हो गया है, लेकिन पानी के गिरने से खेड़ाई का काम प्रभावित हो रहा है। दो घंटे से अधिक बारिश होने से मौसम में ठंडक घुल गई। यूं भी नवंबर माह के प्रारंभ हो जाने के कारण ठंडक की आमद हो जाना चाहिए थी, लेकिन बार-बार हो रहे मौसम परिवर्तन से इस बार ठंड देखने को अभी तक नहीं मिली है।

नवंबर माह में हुई बारिश से रबी की फसलों को लाभ मिलेगा। वहीं खेतों में खड़ी फसलों की कटाई में किसानों को फिर से फसलों को सूखने का इंतजार करना पड़ेगा। इस चलते उनका कृषि कार्य प्रभावित होगा। इस संबंध में डीडीओ कृषि केसी वास्केल ने बताया की जिन किसानों ने मक्का की बुआई कर दी है। उन्हें अभी पानी की आवश्यकता थी जो की बारिश होने से पूरी हो गई। वहीं कपास की फसलों को भी पानी की जरूरत थी जो आज हुई बारिश से पूर्ण हो गई है। वास्केल का कहना था की जिन किसानों ने बुआई कर दी है उन्हें इसका लाभ मिलेगा।

झाबुआ में भी एक घंटे तक झमाझम

‘महा’ तूफान की वजह से गुरुवार को झाबुआ में भी एक घंटे तक झमाझम बारिश हुई। इसके बाद भी दिन में एक-दो बार रह-रहकर रिमझिम पानी बरसा। इससे मौसम में ठंडक घुल गई। ऐसा पहली बार हो रहा है। जब नवंबर में इस तरह पानी बरस रहा है। इस स्थिति ने किसानों की चिंता बढ़ाने का काम किया है। खासकर जिन किसानों ने खलिहाल में फसल काटकर रखी है या फिर जिनकी कपास की फसल में फूल आ गए हैं। ऐसे में उन्हें नुकसान उठाना होगा। अमूमन नवंबर-दिसंबर में मावठा गिरता है, लेकिन इस बार हालत पूरी तरह से जुदा है।

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