-10 एकड़ जमीन की तलाश करने में गुजर गए 8 साल-पुराने बस स्टैंड पर जगह की कमी से फैली अव्यवस्थाएं , ऑटो और ठेलागाडिय़ों वालों का अतिक्रमण , हादसे का खतरा
झाबुआ. जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते झाबुआ के लोगों को सर्वसुविधायुक्त बस स्टैंड की सुविधा 8 साल बाद भी नहीं मिली है। अत्याधुनिक बस स्टैंड बनाने की योजना 2015 में प्रस्तावित की गई थी। इस बीच 5 कलेक्टर शोभित जैन, आशीष सक्सेना ,रोहित ङ्क्षसह , सोमेश मिश्रा , रजनी ङ्क्षसह के तबादले भी हो गए , लेकिन जनता को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत मिलने वाला अत्याधुनिक बस स्टैंड आकार नहीं ले सका। वर्तमान में झाबुआ बस स्टैंड पर कोई सुविधा नहीं है। यहां महिलाओं के लिए शौचालय भी नहीं है, पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। बेबी फीङ्क्षडग रूम , गेस्ट रूम और फूड जोन तो दूर की बात है यहां तो प्रतीक्षालय में प्रतीक्षा करने वालों के लिए पर्याप्त बैठक व्यवस्था भी नहीं है। साफ-सफाई का भी अभाव है। लाइट पंखे भी गायब है। रात-दिन आवारा कुत्तों का जमघट रहता है। बस स्टैंड पर रेड जोन में फुटकर व्यापारी व्यापार कर रहे हैं। बसों के आने और जाने वाले मार्ग पर हादसे की संभावनाएं बनी रहती है। यहां हो रहे हादसों के बावजूद भी प्रशासन ने व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
-किशनपुरी में चिन्हित की थी जगह
4 साल पहले कलेक्टर रोहित ङ्क्षसह ने बस स्टैंड के लिए जगह मुहैया कराने प्रयास किए थे, किशनपुरी क्षेत्र में जमीन भी चिह्नित की , लेकिन कोरोना की काल में हुए उनके तबादले के बाद कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उनका भी तबादला हो गया । उनके स्थान पर कलेक्टर रजनी ङ्क्षसह को प्रभार मिला। कलेक्टर ने इसमें रुचि दिखाते हुए बस स्टैंड के लिए जगह चिन्हित करने के लिए एक कमेटी बनाई थी।कमेटी में एसडीएम एसडीओपी जैसे जिम्मेदार अधिकारियों को जगह का चयन करने का दायित्व सौंपा था। उनके तबादले के बाद यह कमेटी भी निष्क्रिय हो गई है।
-पीपीपी से तैयार होना था बस स्टैंड
दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मप्र इंटरसिटी स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आईसीएसटीए) का गठन वर्ष 2015 में किया गया था। इसके अध्यक्ष परिवहन मंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह और सीईओ शैलबाला मार्टिन थीं। प्रदेश के बस स्टैंड को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) से तैयार किया जाना था । इसके लिए जिला लेवल पर 10 एकड़ जमीन चिन्हित करने का जिम्मा कलेक्टर के ऊपर था। जिला प्रशासन को शीघ्रता से जमीन उपलब्ध कराने के लिए कहा भी गया था। एस्टीमेट के अनुसार जिला लेवल पर 10 एकड़ जमीन और ब्लॉक लेवल पर 5 एकड़ जमीन का चिन्हांकन किया जाना था, लेकिन यह प्रोजेक्ट अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण अधर में अटक गया है। अभी भी जिले वासियों को आधुनिक बस स्टैंड का इंतजार है।
-ये सुविधाएं मिलना थी
नए सर्वसुविधायुक्त बस स्टैंड में वेङ्क्षटग रूम, गाडिय़ों की पार्किंग, लॉकर्स रूम, आधुनिक सुविधाघर, कैंटीन, बेबी फीङ्क्षडग रूम, गेस्ट रूम, फूड जोन जैसी सुविधाएं रहना थीं। इसे पूरा करने के लिए सरकार पीपीपी मोड पर काम करना था।
यह है स्थिति -
पुराना बस स्टैंड का आकार बहुत ही सीमित है। यहां एक बार में 10 बस भी एक साथ खड़ी नहीं रह सकती है। जबकि दिन भर में यहां 150 से अधिक बसों का स्टॉप निर्धारित है। इन बसों में लगभग 8 से 10 हजार यात्री प्रतिदिन बस स्टैंड पर पहुंचते हैं। इस लिहाज से जिला मुख्यालय पर नए बस स्टैंड की जरूरत हर किसी को है।