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एमपी में जानलेवा अंधविश्वास, निमोनिया पीड़ित तीन बच्चों को गर्म सलाखों से दागा, हालत गंभीर

MP News: अंधविश्वास की भेंट चढ़े तीन मासूम जिला अस्पताल के पीआइसीयू में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। तीनों को निमोनिया हुआ था, लेकिन परिजन अस्पताल लाने के बजाय पहले तांत्रिकों के पास ले गए। वहां उनके सीने और पेट पर गर्म सलाखों से दागा गया।

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Treatment of pneumonia by burning with hot iron rods

MP News (फोटो सोर्ट: पत्रिका)

MP News: अंधविश्वास की भेंट चढ़े तीन मासूम जिला अस्पताल के पीआइसीयू में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। तीनों को निमोनिया हुआ था, लेकिन परिजन अस्पताल लाने के बजाय पहले तांत्रिकों के पास ले गए। वहां उनके सीने और पेट पर गर्म सलाखों से दागा गया। तीनों की हालत बिगड़ी तो दो दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया। वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। पीआइसीयू इंचार्ज डॉ. संदीप चोपड़ा ने थाना प्रभारी को सूचित किया गया है।

कहां हो रहा है ऐसा

गुजरात सीमा से सटे पिटोल और आसपास के गांवों में लंबे समय से कुप्रथा चली आ रही है। कल्याणपुरा, राणापुर क्षेत्र के कुछ गांवों जैसे सनोड़ में भी ऐसे मामले सामने आते है। निमोनिया पीड़ित बच्चों को तांत्रिक गर्म सलाखों से दागते हैं। ताजा घटनाक्रम बताता है कि स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच होने के बाद भी अंधविश्वास के कारण बच्चों की जान खतरे में डाली जा रही है।

इलाज नहीं, मौत का न्योता है यह प्रथा

दागने से बच्चे ठीक नहीं होते, उल्टा संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। दर्द सहने की वजह से बच्चा धीरे-धीरे सांस लेने लगता है. जिसे परिजन बीमारी का ठीक होना समझ लेते हैं। सही रास्ता यही है कि बच्चे को तुरंत अस्पताल लाया जाए और उचित इलाज कराया जाए।-डॉ. संदीप चोपड़ा, शिशु रोग विशेषज्ञ एवं पीआइसीयू प्रभारी

2023 में आयोग ने लिया था संज्ञान

अप्रैल 2023 में भी झाबुआ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे मामले सामने आए थे। तब मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेकर तत्कालीन कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी थी। कई आरोपियों पर एफआइआर हुई और गिरफ्तारियां भी हुईं। इसके बावजूद अंधविश्वास की यह आग आज भी मासूमों को झुलसा रही है।