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150 मजदूरों ने 12 हफ्तों तक काम कर बनाए 4 तालाब, मजदूरी नहीं मिली

locationझाबुआPublished: Sep 24, 2022 01:54:07 am

Submitted by:

binod singh

मजदूरी के लिए काट रहे अधिकारियों के चक्कर

150 मजदूरों ने 12 हफ्तों तक काम कर बनाए 4 तालाब, मजदूरी नहीं मिली

150 मजदूरों ने 12 हफ्तों तक काम कर बनाए 4 तालाब, मजदूरी नहीं मिली

झाबुआ. जिले में 18 करोड़ की लागत से अमृत सरोवर तालाब बनाए जा रहे हैं। मनरेगा में मजदूरी और काम देने के नाम पर प्रशासन पीठ थपथपा रहा है। वहीं जनपद पंचायत रामा में 4 तालाबों का काम करने वाले 150 मजदूर अपनी मजदूरी के लिए अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं। दरअसल ग्राम पंचायत मृगारुंडी के बबेरिया फलिया और सोमला फलिया में बने दो तालाब के साथ ही ग्राम पंचायत बोचका के अलवावाली नाकी और ग्राम पंचायत ढोचका में कुंडियावाली नाकी समेत कुल 4 तालाबों का निर्माण करने वाले 150 मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली है। यह मजदूर अब कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा , जिला पंचायत सीइओ, कलेक्टर आदि कार्यालयों के चक्कर इस आस में काट रहे हैं कि कोई अधिकारी उनकी पीड़ा को समझें और मजदूरी दिला दे।
खरीदी गई मिट्टी का भी भुगतान नहीं
तालाब निर्माण के दौरान काली मिट्टी का उपयोग पाल बनाने सहित अन्य कामों में होता है। जनपद पंचायत के अधिकारी और ठेकेदार ने तालाब निर्माण के लिए काली मिट्टी मजदूर मंगलिया पिता चिडिय़ा के खेत से डेढ़ लाख रुपए में और पुनिया पिता सौभान से 15000 में खरीदी थी। मिट्टी का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है।जनपद अध्यक्ष एवं ठेकेदार से मजदूरी और मिट्टी के पैसों की कई बार मांग की गई है, लेकिन वे टालमटोल कर रहे हैं। नारू सोमला पंकेश कालू अमन ङ्क्षसह रूप ङ्क्षसह ने बताया कि मजदूरों की मजदूरी का भुगतान शीघ्र किया जाए। मजदूरी की राशि हड़पने वाले लोगों पर कार्रवाई की जाए।
दर-दर भटक रहे मजदूर
कमलेश डामोर, राकेश डामोर ,कालू खराड़ी, कल्लू डामोर ,भूर ङ्क्षसह मखना, अमर ङ्क्षसह ,सुखराम पिता नाना, तेरू पिता धन्ना ने बताया कि लगभग 150 लोगों ने 4 तालाबों को बनाने का कार्य किया लेकिन मजदूरी नहीं मिली। जनपद पंचायत रामा के जनपद अध्यक्ष रघुङ्क्षसह भूरिया ठेकेदार संजय परमार के कहने पर मर्गारुंडी रोज का और रोज का में चार तालाब बनाए गए थे मृगारुंडी में राघुङ्क्षसह का भाई दूलङ्क्षसह मजदूरों की हाजिरी भरने का काम करता था मजदूरों ने 12 हफ्ते तक दिन-रात काम किया इसके अलावा सारज पिता रामङ्क्षसह भूरिया का ट्रैक्टर भी इस काम में लगाया गया था।
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