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बादल व उमस की वजह से फसलों पर कीट प्रकोप, जल्द बारिश नहीं हुई तो किसानों को उठाना होगा नुकसान

कृषि विभाग के अधिकारी बोले अभी आथर््िाक क्षति के स्तर का नहीं है प्रकोप, डायग्रोस्टिक टीम लगातार गांवों में भ्रमण कर रख रही नजर

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बादल व उमस की वजह से फसलों पर कीट प्रकोप, जल्द बारिश नहीं हुई तो किसानों को उठाना होगा नुकसान

झाबुआ. खरीफ फसलों के शुरुआती दौर में ही कीटों ने हमला बोल दिया है। इसका कुछ असर सोयाबीन व मक्का की फसल पर नजर आने लगा है। स्थिति ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। हालांकि कृषि विभाग के अधिकारी कीट प्रकोप को आथर््िाक क्षति के स्तर का नहीं मान रहे हैं। 7 जुलाई के बाद से बारिश अचानक थम गई। मौसम कुछ खुला तो उमस व आद्रता बढ़ गई। इससे कीट प्रकोप के लिए अनुकूल स्थितियां निर्मित हो चुकी है। आसपास के कुछ गांवों से कीट प्रकोप की खबरें आ रही है। सोयाबीन व उड़द पर सेमीलूपर और गर्डल बीटल ने हमला बोला है तो मक्का की फसल को स्टेम बोरर चट कर रहा है।
93 प्रतिशत हो चुकी है बोवनी-
जिले में इस वर्ष1 लाख 89 हजार 660 हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके विरुद्ध अब तक 1 लाख 75 हजार 151 हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी हो चुकी है। यह निर्धारित लक्ष्य का 93.30 प्रतिशत है।
इस तरह करते हैं नुकसान का आकलन-
कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डॉ. आईएस तोमर ने बताया खेत में एक मीटर क्षेत्र चिह्नित कर लिया जाता है। उस दायरे में यदि दो से तीन इल्ली नजर आती है तो इसे आथर््िाक हानि के स्तर का कीट प्रकोप माना जाता है। ऐसे में तत्काल नियंत्रण के उपाय करना जरूरी है।
अभी नुकसान के हालात नहीं-
मौसम खुला होने से कीट प्रकोप तो शुरू हो चुका है, लेकिन यहअभी नुकसान जैसी बात नहीं है। किसानों को ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। डायग्रोस्टिक टीम भी गांवों में घूमकर हालातों पर नजर रखे हुए हैं।
एसएस रावत, सहायक संचालक, कृषि
ये कीट पहुंचाते हैं नुकसान-
1. कीट: सेमीलूपर (चने की इल्ली)
नुकसान: सेमीलूपर वैसे तो सभी फसलों को चट कर जाता है, लेकिन सोयाबीन व उड़द के पौधों की पत्तियों को इससे ज्यादा नुकसान होता है। समय पर नियंत्रण नहीं किया तो फसल चौपट होने की आशंका रहती है।
नियंत्रण: प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 30 मिलीलीटर प्रति स्प्रे पंप ट्राइजोफॉस दवाई का छिड़काव करें।
2. कीट: स्टेम बोरर
नुकसान: यह कीट मक्का की फसल को नुकसान पहुंचाता है। पौधों की पत्तियों से होते हुए कीट उसके तने को पोला कर देता है, जिससे उत्पादन नहीं होता।
नियंत्रण: फोररेट दवाई के 3-4 दाने पौधों की पोंगली में डालें या क्लोरो पायरी फॉस नामक कीटनाशक का 40 मिलीलीटर प्रति टंकी के मान से छिड़काव करें। इससे कीट प्रकोप खत्म हो जाएगा।
3. कीट: गर्डल बीटल
नुकसान: सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचाता है। पत्तियों को चट कर जाता है। सोयाबीन की टहनियों में घेरा बनाकर रहता है और टहनियों को खोखला करता है।
नियंत्रण: प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 800 मिलीलीटर ट्राइजोफॉस या 1.5 लीटर प्रोफेनोफॉस दवा का छिड़काव करें।
4. कीट: त?बाकू की इल्ली
नुकसान: यह कीट सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचाता है। जब फूल बनते हैं तब उन्हें चट कर जाता, जिससे फली नहीं बन पाती।
नियंत्रण: प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 500 मिलीलीटर से एक लीटर ट्राइजोफॉस या 1.5 लीटर प्रोफेनोफॉस दवा का छिड़काव करें।
5. कीट: माहू
नुकसान: यह रसचूसक कीट मक्का की फसल को हानि पहुंचाता है। पौधे का सारा रस चूस जाता है, जिससे पौधा सूख जाता है।
नियंत्रण: प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 0.3 मिली प्रति लीटर इमिडाक्लोप्रिड दवाई का छिड़काव करें।
इन्हें भी नुकसान से बचाएं-
पशु-पक्षी: बकरियों में सीसीपीसी का टीका लगाएं। पशुओं व पक्षियों को साफ, स्वच्छ व सूखे हवादार स्थान पर रखें। पशुओं को प्रतिदिन 25 किलो प्रति पशु हरा चारा, संतुलित आहार व मिनरल की आपूर्ति के लिए 35 से 40 ग्राम प्रति पशु के हिसाब से खुराक दें।
जिले में बोवनी की स्थिति-
फसल लक्ष्य पूर्ति
धान 8 000 56 15
मक्का 6 3000 59515
ज्वार 400 36 7
बाजरा 20 08
उड़द 7000 4718
मूंग 8 00 457
अरहर 4500 336 5
तिल 200 79
मूंगफली 6 8 00 5335
सोयाबीन 6 0900 6 0915
कपास 31500 31400