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चार महीने में ही 341 सड़क हादसों में 88 लोगों की मौत, प्रशासन उदासीन

locationझाबुआPublished: May 20, 2022 01:45:10 am

Submitted by:

binod singh

यातायात संसाधनों की कमी से जान जोखिम में डाल कर सफर करने को मजबूर ग्रामीणवाहनों में ओवरलोड सवारियों पर जिम्मेदारों की नहीं है नजरआदिवासी समाज में शादियों का दौर , टू व्हीलर से लेकर बड़े वाहन सभी ओवरलोड

चार महीने में ही 341 सड़क हादसों में 88 लोगों की मौत, प्रशासन उदासीन

चार महीने में ही 341 सड़क हादसों में 88 लोगों की मौत, प्रशासन उदासीन

झाबुआ. जिले में ओवरलोड सवारी भरकर सफर करना बेरोकटोक जारी है। जबकि सड़क हादसों में मौत का एक प्रमुख कारण ओवरलोड भी है, फिर भी विभाग इस पर लगाम लगा पाने में सफल नहीं हुआ है। आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष मई से अब तक जिले में 762 से अधिक वाहन दुर्घटना हुई है, जिसमे 197 मौत हुई है। इस वर्ष 1 जनवरी से 31 अप्रैल तक 341 सड़क हादसों में 88 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें अधिकतर एक्सीडेंट की वजह तेज गति से वाहन चलाना एवं ओवरलोड सवारी है। हैरानी की बात तो यह है कि जिम्मेदार विभागों के ठीक सामने से मौत का सफर करते हैं ये वाहन प्रतिदिन गुजर रहे हैं फिर भी इन पर कारवाई करने के लिए कोई पहल नहीं की गई है ।
समय पर इलाज ना मिलने पर हो जाती है मौत
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष 25 अगस्त थाना बदनावर स्टेट हाईवे मार्ग पर एक भीषण सड़क हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई थी और 40 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए थे। अहमदाबाद की स्लीपर कोच बस में खचाखच सवारियां भरी हुई थी। हादसे के बाद इतनी अफरा-तफरी मची की घायलों को झाबुआ और थांदला पेटलावद के अस्पतालों में भेजा जाने लगा। एक साथ इतने घायलों के आ जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी। एक बात और ध्यान देने वाली है की स्वास्थ्य सेवाओं में भी जिला पिछड़ा हुआ है, ऐसे में घायलों को समय पर इलाज ना मिलने पर मौत हो जाती है।
75 साल बाद भी यातायात के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं
आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है ,लेकिन इन 75 सालों में जिले में यातायात के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने में दोनों ही पार्टियां फेल साबित हुई है। दूरस्थ क्षेत्रों के ग्रामीण निजी वाहनों के भरोसे सफर कर रहे हैं। बसे हो या चारपहिया वाहन सभी वाहनों में सवारियों को ठूंस- ठूंस कर यात्रा की जा रही है। यातायात और आरटीओ विभाग भी इन ओवरलोड चल रहे वाहनों पर कोई लगाम नहीं लगा सका है। आलम यह है कि 60 सवारियों की क्षमता वाले वाहन में 100 से अधिक और 10 सवारी ले जाने की क्षमता वाले वाहनों में 25 से अधिक लोग दिखाई दे रहे हैं। ऑटो में 3 सवारी से ज्यादा नहीं ले जा सकते, लेकिन यहां तो एक ऑटो रिक्शा में ही 10 लोग सफर कर रहे हैं। यह स्थिति हादसों को आमंत्रण भी दे रही है। विभाग को ओवरलोड सवारी वाहनों पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए एवं प्रशासन को जिले में यातायात के संसाधन को बढ़ावा देने के प्रयास करने कि आवश्यकता है।
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