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इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक कॉलेज में ताला जड़ बैठे धरने पर विद्यार्थी

900 विद्यार्थियों ने स्टाफ को अंदर नहीं जाने दिया, प्रशिक्षु पटवारी भी बाहर खड़े रहे

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इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक कॉलेज में ताला जड़ बैठे धरने पर विद्यार्थी

झाबुआ. अब्दुल कलाम आजाद यूआइटी इंजीनियरिंग कॉलेज एवं एकलव्य योजना के तहत संचालित पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों ने विभिन्न समस्याओं के चलते सोमवार कॉलेज के मुख्य दरवाजे पर ताला लगाकर धरना प्रदर्शन किया। इसमें इंजीनियरिंग के 150 और पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कर रहे 720 छात्रों ने कॉलेज परिसर को सुबह साढ़े 10 बजे से घेर लिया। इससे यहां स्टाफ और विद्यार्थियों के बीच जमर बहस हुई। स्टाफ को अंदर नहीं जाने दिया।

कॉलेज स्टाफ के साथ प्रशिक्षु पटवारियों को भी अपनी ट्रेनिंग के लिए बाहर इंतजार करना पड़ा। मौके पर पहुंचे एसडीएम जगदीश गोमे ने विद्यार्थियों की समस्या सुनी। 3 घंटे तक विद्यार्थियों और अधिकारियों की बातचीत चलती रही। एसडीएम ने छात्रों को समस्याओं के जल्द निराकरण का आश्वाशन दिया। एसडीएम को शिकायत करते उन्होंने प्राचार्य को हटाने की मांग की। उनके अनुसार शिकायत करने पर फ़ैल करने की धमकियंा देते है।

धरने के चलते कॉलेज में सुबह 10 से 1 बजे एवं 2 से 5 बजे पटवारी ट्रेनिंग होना थी। आंदोलन के कारण सारे प्रशिक्षु पटवारी बाहर खड़े रहे। सुबह का ट्रेनिंग सत्र खऱाब हुआ। साथ ही अब्दुल कलाम इंजीनियरिंग यूआइटी कॉलेज में द्वितीय वर्ष में सीधे प्रवेश के लिए होनेवाली कॉउंसलिंग भी प्रभावित हुई। छात्रों का कहना था कि कैंटीन में खाना बनाने के लिए जिस पानी का प्रयोग होता है। उस टंकी पर ढक्कन नहीं है। इससे विद्यार्थी नियमित रूप से बीमार हो रहे हैं । रोज बीमार छात्रों के लिए हॉस्टल परिसर में एंबुलेंस आ रही है। बच्चों के पास जिम एवं खेल का सामान भी नहीं है। खाने की गुणवत्ता अमानक है। इसलिए विद्यार्थियों की शारीरिक क्षमता कम हो रही है। छात्रों ने यहां 8 साल से चल रहे टेंडर को बदलने की मांग की है। आक्रोशित विद्यार्थियों ने बताया की 3 साल से कॉलेज में राष्ट्रीय पर्व महज खानापूर्ति कर झंडावंदन कर समाप्त कर दिया जाता है। यहां इस दौरान कार्यक्रम आयोजित नहीं होते हैं। बच्चों को मिठाई भी नहीं दी जाती। राष्ट्रीय पर्व पर भी खाना ठीक से नहीं मिलता है।

रिपेयरिंग के लिए छात्रों से पैसे लिए जाते हैं
हॉस्टल में नल आदि की रिपेयरिंग के लिए छात्रों से पैसे लिए जाते हैं। हॉस्टल में दरवाजे टूटे हैं। लेट बाथ में पानी नहीं आता है। कहीं-कहीं तो बाथरूम के दरवाजे नहीं है। सभी समस्याओ के लिए प्राचार्य से शिकायत करने पर प्रैक्टिकल में नंबर काटने या फैल करने की धमकी दी जा रही है। इंजीनियरिंग के छात्रों ने बताया की 3 साल हो गए हैं। पहली बैच पास आउट होने वाली है, लेकिन कॉलेज के पास अभी तक भवन भी नहीं है। इसी कारण क्लासेस ठीक से संचालित नहीं हो पाती। कॉलेज में टीचर भी नहीं है। क्लास में लाइट व्यवस्था भी नहीं है। इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों को प्रेक्टिकल नहीं करते कराए जाते हैं। कंप्यूटर लैब के कंप्यूटर धूल खा रहे हैं लेब की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां पर पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में है। अधिकारीयों से शिकायत की गई, लेकिन हल नहीं निकल सका। कॉलेज में सुबह 10 से 1 बजे एवं 2 से 5 बजे पटवारी ट्रेनिंग होना थी। आंदोलन के कारण सारे प्रशिक्षु पटवारी बाहर खड़े रहे। सुबह का ट्रेनिंग सत्र खऱाब हुआ। साथ ही अब्दुल कलाम इंजीनियरिंग यूआइटी कॉलेज में द्वितीय वर्ष में सीधे प्रवेश के लिए होने वाली कॉउंसलिंग भी प्रभावित हुई।