
Thandla Assembly Election Result: मप्र में विधान सभा चुनाव का परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहा। बीजेपी ने यहां रिकॉर्ड तोड़ मतों से जीत का सेहरा पहना। प्रदेश के झाबुआ जिले की थंदला विधान सभा सीट पर कांगे्रस प्रत्याशी वीरसिंह भूरिया ने जीत का सेहरा पहना। वहीं बीजेपी के कालसिंह भब्बर को हार का स्वाद चखना पड़ा। वीरसिंह भूरिया ने काल सिंह भब्बर को 1340 वोटों के अंतर से हराया। प्रदेश की थांदला विधान सभा सीट पर 86.25 फीसदी मतदान हुआ। झाबुआ जिला एक ऐसा जिला जिसे भील जनजाति का घर कहा जाता है। देश के बहादुर धनुष पुरुषों के रूप में इसकी अनूठी पहचान है। आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के तहत 3 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से एक सीट है थांदला विधानसभा सीट। थांदला विधान सभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। थांदला विधानसभा सीट भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इस क्षेत्र में मुख्य रूप से 3 प्रमुख जनजातियां (भील, भिलाला और पटलिया) रहती हैं। भील जनजाति के वोटर्स यहां पर अपनी अहम भूमिका निभाती है। इस बार बीजेपी ने थांदला विधान सभा सीट पर कालसिंह भाबर को चुनावी मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने वीरसिंह भूरिया को एक बार फिर मौका दिया है।
कितने वोटर, कितनी आबादी
थांदला विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। 1990 से लेकर अब तक हुए चुनावों में 5 बार यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई, तो बीजेपी को केवल एक बार ही जीत मिली। इसके अलावा एक बार यहां से निर्दलीय प्रत्याशी को चुनाव में जीत मिल सकी है।
जानें 2018 का नतीजा
2018 के विधानसभा चुनाव में थांदला विधानसभा सीट पर नजर डालें तो, 8 उम्मीदवार आमने-सामने थे। लेकिन यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। कांग्रेस, बीजेपी और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच मुकाबला बड़ा दिलस्प रहा। इसमें कांग्रेस के वीरसिंह भूरिया ने 31,151 मतों के अंतर से जीत दर्ज कराई। वीरसिंह भूरिया को चुनाव में 95,720 वोट मिले तो, कांग्रेस के कालसिंह भाबर के खाते में 64,569 वोट आए। इनके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी दिलीपसिंह कटारा को 26,052 वोट मिले। तब के चुनाव में इस सीट पर कुल 2,26,254 वोटर्स थे। जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,13,258 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 1,12,992 थी। कुल 1,96,484 वोट पड़े।
थांदला विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
थांदला विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो, यह सीट बीजेपी के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। 1990 से लेकर अब तक हुए 7 चुनावों में बीजेपी को सिर्फ एक बार ही जीत मिली। जबकि कांग्रेस 5 बार यहां से चुनाव जीत चुकी है। 1990, 1993 और 1998 में चुनाव जीतकर कांग्रेस ने हैट्रिक लगाई। फिर 2003 में बीजेपी के काल सिंह को जीत मिली। लेकिन 2008 में बीजेपी ने फिर यह सीट गंवा दी। कांग्रेस के वीरसिंह भूरिया ने यहां से जीत हासिल की। 2013 में निर्दलीय प्रत्याशी बागी काल सिंह ने जीत हासिल करते हुए बीजेपी को झटका दे दिया। 2018 में यह सीट फिर से कांग्रेस के खाते में चली गई।
Updated on:
04 Dec 2023 04:48 pm
Published on:
30 Oct 2023 11:28 am
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