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देवझिरी के जंगल से सागवान के सैकड़ों पेड़ काटकर ले गए,देखिये ये स्पेशल रिपोर्ट

मशीनों से कटाई कर ट्रक-ट्रैक्टरों से ले जा रहे माफिया, चार माह से हो रही है कटाई

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झाबुआ

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Amit Mandloi

Jun 24, 2018

jhabua tree cut

देवझिरी के जंगल से सागवान के सैकड़ों पेड़ काटकर ले गए,देखिये ये स्पेशल रिपोर्ट

झाबुआ. हाथीपावा की पहाडिय़ों और उसके आस-पास 5 हजार पौधे रोपण करने का दावा करने वाले वन विभाग की नाक के नीचे हरे-भरे पेड़ काटे जा रहे हैं। वन विभाग ने जो पौधे रोपे थे वह तो दिखाई नहीं दे रहे पर काटे गए पेड़ों के ठूंठ जरूर दिखाई दे रहे हैं।
मेघनगर ब्लॉक में काटे गए 5-6 हजार सागवान के पेड़ों के बाद झाबुआ शहर से सटे जंगल में मशीनों से कटाई की जा रही है। दिन-रात खुलेआम हो रही कटाई को ग्रामीण और शहरवासी देख रहे हैं, लेकिन वन विभाग को कटाई दिखाई नहीं दे रही। इसमें मिलीभगत दिखाई दे रही है। इसमें सागवान जैसे मंहगे पेड़ शामिल हैं। इनकी यहां से तस्करी की जा रही है। देवझिरी स्थित प्राचीन तीर्थ स्थल के जंगलों से सागवान के पेड़ काटे जा रहे हैं। आसपास के लोगों ने बताया कि करीब 4 माह से अधिक समय से कोई वनकर्मी यहां ड्यूटी देने नहीं पहुंचा। इस बात का फायदा उठाकर माफियाओं ने जंगलों के पेड़ों को काटना शुरू कर दिया है। यहां ड्यूटी कर रहे वनकर्मी को निलंबित करने के बाद किसी की ड्यूटी नहीं लगाए जाने से यह स्थिति बनी है। देवझिरी, पीपलदेहला, मोहनपुरा के जंगलों में कटाई हो रही है। सागवान के अतिरिक्त नीलगिरि, बबूल, साजेड़ के पेड़ भी काट डाले। इनकों ट्रक-टै्रक्टरों से ले जा रहे हैं।

रेंजर को भेज कर मामला पता करता हूं
"दो दिन पहले इस संबंध में सूचना मिली थी। इसमें तत्काल मौके पर कर्मचारियों को भेजा था। तभी से 2 लोगों की ड्यूटी वहां के जंगल में लगाई है। तत्काल रेंजर को भेजकर मामला पता करता हूं।"
-अनिल शुक्ला, डीएफओ

महंगा बिकने के कारण तस्करी
महंगा बिकने के कारण सागवान की तस्करी जिले में आसानी से की जाती है। गिरोह आसपास सक्रिय हैं। जिले में सागगान के पेड़ अधिक हैं, इस कारण चोरों की नजर सागवान पर रहती है। चोर मशीन से पेड़ काट रहे हैं। लोगों को भी चोरी की भनक नहीं लग पाती। चोर रात में झुंड बनाकर आ रहे हैं।

गुजरात बॉर्डर का फायदा
तस्करों को प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के रोड का लाभ मिलता है। बॉर्डर पर स्थित गांव सौतिया जलाम से सीधे गुजरात मे एंट्री मिलती है। ऐसे में कुछ दूरी तय कर यहां से सागवान सीधे गुजरात में बिकने पहुंचता है। इससे पहले झकनावदा में चंदन के पेड़ भी काटे गए थे। इनकी सुध अभी तक वन विभाग ने नहीं ली।