
झालावाड़। रटलाई क्षेत्र के गांवों में किसान आंवले की खेती कर मालामाल हो रहे है। आंवले सर्दी में ही पैदा होता है। वहीं आंवला एक फल से ज्यादा औषधी के रूप में काम में लिया जाता है। क्षेत्र के गांव ब्रह्मपुरा में कई किसान आंवले की खेती कर अच्छा मुनाफा ले रहे है। ब्रह्मपुरा के किसान भवंर लाल लोधा,धापूबाई, कस्तुरबाई ने बताया कि करीब 3 बीघा जमीन में करीब 3 से 4 साल पूर्व आंवले का बीगचा लगाया था। जिसमें वर्ष भर की सार संभाल व देखरेख के बाद इस वर्ष आंवले की पैदावार आने लग गई है।
आंवाला एक औषधीय पौधा है। आंवले की खेती से कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा रहा है। किसानों ने बताया कि एक पेड़ से 80 किलो से अधिक आंवले लगते है और जिसके बाजार में भाव 25 से 30 रुपए प्रति किलो भाव मिल रहा हैं। औषधीय फल होने के के कारण ग्राहक भी इसे रुचि लेकर खरीद रहे हैं लोग घरों में आंवले से आचार, मुरब्बा, कैंडी आदि बनाकर स्वास्थ्य का लाभ उठा रहे हैं ।
कस्बे सहित क्षेत्र में कई किसान फल,फूल,व औषधी पौधों से मुनाफा कमा रहे है। क्षेत्र के कई गांवों में किसान आंवला,नीबू, संतरा, विभिन्न प्रकार के फूलों के साथ चिया, कलौजी, अश्वगंधा आदि की फसले की बुवाई कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। जिससे किसानों की आर्थिक हालात में सुधार हो रहा है। किसानों ने बताया कि यदि परंपरागत कृषि की अपेक्षा बागवानी खेती व फलदार पेड़ पौधे लगाकर अपनी आमदनी को बढ़ाया जा सकता है और पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है
आंवला विटामिन सी से भरपुर होता है। जानकारों का कहना है कि एक आंवले में सात संतरे के बराबर विटामिन सी होता है। ऐसे में सर्दियों के समय इसको खाने से कई तरह के फायदे होते हैं, इसका अचार, मुरबा सहित कई आइटम बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है।
Published on:
22 Dec 2024 06:19 pm
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