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झालावाड़

पशुओं को नहीं मिला सुरक्षा कवच, मझधार में योजना

पालकों तक नहीं पहुंची कामधेनु बीमा योजना

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प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के बाद पशुओं के लिए शुरू की गई कामधेनु पशु बीमा योजना मझधार में फंस गई है। इसकी वजह है कि योजना की शुरूआत के अगले दिन पशु चिकित्सक हड़ताल पर चले गए थे। बाद में मांगें पूरी होने पर हड़ताल तो खत्म हो गई, लेकिन बीमा कंपनी की ओर से ब्लॉक स्त्र पर एजेंट नियुक्त नहीं होने से पशुओं का बीमा नहीं हो पाया है। अब पशुपालन विभाग को उच्चाधिकारियों से इस संबंध में दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार है। जिले में लगभग 2 लाख 74 हजार 145 से अधिक पशुओं का बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है।

 

फिर ये आ गई दिक्कत

पशुओं का बीमा करने के लिए सरकार ने कंपनी को अधिकृत किया था। उक्त कंपनी को जिले में ब्लॉक स्तर अपने एजेंट नियुक्त करने थे। कंपनी के एजेंटों के माध्यम से ही जिले में रजिस्ट्रेशन कराने वाले पशुपालकों के पशुओं का बीमा करना था। पशुपालन विभाग की ओर से कंपनी को अधिकृत करने के बावजूद ब्लॉक स्तर पर बीमा एजेंटों की नियुक्ति नहीं की। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर एजेंटों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की तो इसी दौरान आचार संहिता लग गई। इतना ही नहीं पशुपालन विभाग के पशुधन सहायकों को प्रशिक्षण भी नहीं दिया है। इस कारण बीमा योजना का मामला मझधार में चला गया।

 

पशु चिकित्सकों की हड़ताल से गड़बड़ाया मामला

मुख्यमंत्री की ओर से अगस्त में कामधेनु बीमा योजना की घोषणा की थी। योजना लागू होने के बाद ही पशु चिकित्सक एनपीए की मंाग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। इससे गोवंश के भौतिक सत्यापन का कार्य व चारे का अनुदान अटक गया था। पशुचिकित्सालयों पर ताले लग गए थे। इससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सरकार द्वारा मांगे मानने के बाद पशु चिकित्सक वापस काम पर लौट आए, लेकिन बीमा योजना की प्रक्रिया आगे नही बढ़ पाई।

 

ये है बीमा योजना

कुछ माह पहले मुख्यमंत्री महंगाई राहत कैंप में राहत देने वाली 10 योजनाओं को शामिल किया था। इसमें मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना भी सम्मिलित है। इस योजना के माध्यम से दुुधारू पशुओं का बीमा किया जाना है। एक परिवार से अधिकतम दो दुधारू पशुओं का बीमा कवर होना था। दुधारू पशुओं की मृत्यु पर अधिकतम 40 हजार प्रति पशु बीमा कंवर मिलेगा। योजना में आठ लाख रुपए की वार्षिक आय वाले पशुपालकों के दुधारू पशुओं को शामिल किया है। महंगाई राहत कैंप में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए पशुपालक को कामधेनु बीमा योजना का लाभ देने का निर्णय किया था।

सरकार ने पशुपालकों के लिए कामधेनु बीमा योजना लागू करके अच्छा किया, लेकिन समय पर इसकी प्रक्रिया प्रारम्भ नहीं की। जिससे जिले के पशुपालकों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। उसने बीमा योजना की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन कंपनी का कोई एजेंट बीमा करने के लिए नहीं आया। अब विभागीय अधिकारी आचार संहिता लगने का हवाला दे रहे हैं।

रामपाल गुर्जर, पशुपालक

कामधेनु बीमा योजना लागू होने के एक दिन बाद ही पशु चिकित्सक हड़ताल पर चले गए थे। जिससे योजना का कार्य शुरू नहीं हो पाया था। इसके बाद बीमा के लिए जिस कंपनी को अधिकृत किया था, उसने बीमा करने के लिए ब्लॉक स्तर पर एजेंटों की नियुक्ति नहीं की। फिर अक्टूबर माह में आचार संहिता लग गई। जिससे बीमा योजना का काम अटक गया।

डॉ. टी.ए. बंसोड, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग झालावाड