यह भी एक वजह-
सूत्रों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज को अभी किट उपलब्ध नहीं होने से अभी इस दिशा में काम नहीं किया जा रहा है। हालांकि कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने इसकी शुरूआत की बात कही थीए लेकिन अभी इसकी जांच शुरू नहीं होने से योजना अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है। ऐसे में आम आदमी के लिए टेस्ट शुरूकिया जा सके तो वायरस से लडऩे के लिए तैयारी का पता चलेगा। हालांकि जिन लोगों में पहले ये टेस्ट किए गए हैए उनमें 60 फीसदी में एंटी बॉडी बनने की जानकारी मिली थी। ऐसे में यहां भी ऐसी शुरूआत की जाएं तो मरीजों की एंटी बॉडी बनाने के स्तर का पता चल सके।
सूत्रों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज को अभी किट उपलब्ध नहीं होने से अभी इस दिशा में काम नहीं किया जा रहा है। हालांकि कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने इसकी शुरूआत की बात कही थीए लेकिन अभी इसकी जांच शुरू नहीं होने से योजना अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है। ऐसे में आम आदमी के लिए टेस्ट शुरूकिया जा सके तो वायरस से लडऩे के लिए तैयारी का पता चलेगा। हालांकि जिन लोगों में पहले ये टेस्ट किए गए हैए उनमें 60 फीसदी में एंटी बॉडी बनने की जानकारी मिली थी। ऐसे में यहां भी ऐसी शुरूआत की जाएं तो मरीजों की एंटी बॉडी बनाने के स्तर का पता चल सके।
एंटी बॉडी बनने में लगता है समय-
वायरस के प्रति हमारे शरीर में एंटीबॉडी बनने में समय लगता है। इसलिए कई बार संक्रमत के शुरूआती दिनों में एंटीबॉडी टेस्ट से किसी में वायरस होने की पुष्टि नहीं हो पाती है। टेस्ट यह नहीं बताया कि एंटी बॉडी कितने समय तक शरीर में रहेगी और रोगी को वायरस से बचा पाएगी। शहर में ऐसे भी कई केस सामने आए है जिनकी कोरोना जांच तो नेगेटिव आईए इसके बाद भी उन्हें बुखार व सांस में लेने में तकलीफ की वजह से फेफड़ों में संक्रमण आया हैए गले में दर्द आदि की शिकायत बनी हुई है।
वायरस के प्रति हमारे शरीर में एंटीबॉडी बनने में समय लगता है। इसलिए कई बार संक्रमत के शुरूआती दिनों में एंटीबॉडी टेस्ट से किसी में वायरस होने की पुष्टि नहीं हो पाती है। टेस्ट यह नहीं बताया कि एंटी बॉडी कितने समय तक शरीर में रहेगी और रोगी को वायरस से बचा पाएगी। शहर में ऐसे भी कई केस सामने आए है जिनकी कोरोना जांच तो नेगेटिव आईए इसके बाद भी उन्हें बुखार व सांस में लेने में तकलीफ की वजह से फेफड़ों में संक्रमण आया हैए गले में दर्द आदि की शिकायत बनी हुई है।
ये है एंटी बॉडी टेस्ट-
कोविड.19 के एंटी बॉडी टेस्ट के लिए डॉक्टर खून के जरिए जांच करते हैं। पहले खून का सीरम और प्लाज्मा अलग किया जाता है। उसके बाद प्लाज्मा को वायरस एंटीजंस के संपर्क में लाया जाता है ताकि देखा जा सके कि इसमें वायरस के प्रति लडऩे की क्षमता बनी है या नहीं। व्यक्ति संक्रमित होता है तो शरीर में एंटीबॉडी होती है और ये टेस्ट के दौरान कोरोना वायरस से चिपक जाएंगी।
कोविड.19 के एंटी बॉडी टेस्ट के लिए डॉक्टर खून के जरिए जांच करते हैं। पहले खून का सीरम और प्लाज्मा अलग किया जाता है। उसके बाद प्लाज्मा को वायरस एंटीजंस के संपर्क में लाया जाता है ताकि देखा जा सके कि इसमें वायरस के प्रति लडऩे की क्षमता बनी है या नहीं। व्यक्ति संक्रमित होता है तो शरीर में एंटीबॉडी होती है और ये टेस्ट के दौरान कोरोना वायरस से चिपक जाएंगी।
निर्देश मिलेंगे तो करेंंगे जांच-
झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में अभी एंटी बॉडी टेस्ट चालू नहीं हुए है। सरकार से किट उपलब्ध होने व निर्देश मिलेंगे तो चालू कर जांच करेंगे। ये सरकार की पॉलिसी के ऊपर है।
डॉ.दीपक गुप्ताए डीन मेडिकल कॉलेज, झालावाड़।
झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में अभी एंटी बॉडी टेस्ट चालू नहीं हुए है। सरकार से किट उपलब्ध होने व निर्देश मिलेंगे तो चालू कर जांच करेंगे। ये सरकार की पॉलिसी के ऊपर है।
डॉ.दीपक गुप्ताए डीन मेडिकल कॉलेज, झालावाड़।