करीब पंद्रह दिन की कशमकश के बाद अंता विधायक कंवरलाल मीणा बुधवार सुबह करीब सवा दस बजे अपने वकीलों और समर्थकों के साथ अकलेरा में अपने निवास से मनोहरथाना रवाना हुए। रास्ते मे वे कामखेड़ा बालाजी मंदिर पर रुके और बालाजी के दर्शन किए। यहां से वे करीब सवा ग्यारह बजे मनोहरथना अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पहुंचे। उनके वकील ने मीणा के सरेंडर सम्बंधी प्रार्थना पत्र पेश किया। इसके बाद अदालत ने सजा वारंट जारी करते हुए मीणा को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
करीब बीस मिनट बाद मीणा पुलिस कस्टडी में बाहर निकले। मनोहरथाना पुलिस उन्हें सामुदायिक चिकित्सालय ले गई और उनका मेडिकल मुआयना करवाया। इसके बाद पुलिस मीणा को लेकर दोपहर करीब पौने एक बजे अकलेरा उपकारागृह पहुंची। यहां कागजी कार्रवाई के बाद मीणा को जेल के अंदर दाखिल कर दिया गया। बताया जा रहा है कि मीणा को फिलहाल यहीं रखा जाएगा।
शीर्ष न्यायालय ने खारिज कर दी थी याचिका-
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने गत सात मई को इस मामले में राजस्थाना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मीणा की ओर से पेश प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए 15 दिन के भीतर अधीनस्थ न्यायालय में सरेंडर करने के आदेश दिए थे। यह अवधि बुधवार को पूरी हो गई।
तत्काल सरेंडर के दिए थे आदेश-
मीणा के खिलाफ वर्ष 2005 में मनोहर थाने में आपराधिक मामला दर्ज हुआ था। ट्रायल कोर्ट ने अप्रेल 2018 में साक्ष्य के अभाव में मीणा को बरी किया, लेकिन 14 दिसम्बर 2020 को अकलेरा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई। कंवरलाल की ओर से इस मामले में उच्च न्यायालय में निगरानी पेश की गईए जिसे गत 2 मई को उच्च न्यायालय निगरानी खारिज करते हुए कंवरलाल को तत्काल सरेंडर करने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ कंवरलाल ने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया था।
यह था मामला-
अकलेरा के तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता की ओर से 5 फरवरी 2005 को झालावाड़ जिला कलक्टर को लिखित शिकायत की गई थी कि 3 फरवरी 2005 को दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर खाताखेड़ी के उपसरपंच के चुनाव के पुनर्मतदान की मांग को लेकर ग्रामीणों के रास्ता रोकने की सूचना मिली थी। इस पर मेहता, तत्कालीन प्रोबेशनर आईएएस प्रीतम बी यशवन्त व पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे। वहां कंवरलाल मीणा ने मेहता के कनपट्टी पर पिस्तौल लगा दी और जान से मारने की धमकी देते हुए तत्काल पुनमर्तदान की घोषणा करने के लिए दबाव डाला।
अदालत पर विश्वास है-
मीणा ने सरेंडर करने से पूर्व मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि उन्हें सर्वोच्च अदालत पर पूरा विश्वास है। उनके आदेश पर आज वे अदालत में सरेंडर कर रहे है। सजा के बारे अपील को लेकर मीणा ने कहा कि उनके वकील ही इस बारे में बता सकते है।
एसडीएम ने पुलिस पर उठाए थे सवाल-
इस मामले में तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। मेहता ने पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए जिला कलक्टर को लिखे पत्र में कहा कि घटना के समय दो थानों थानाधिकारी और पुलिस उप अधीक्षक भी अभियुक्त का विरोध करने का साहस नहीं जुटा सके। प्रोबेशनर आईएएस ने घटना की मौखिक सूचना जिला कलक्टर को दी। पुलिस ने सम्पूर्ण घटना देखी, लेकिन अब तक उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की। इस कारण एसडीएम ने सम्पूर्ण घटनाक्रम की सूचना लिखित में कलक्टर को दी। कलक्टर ने यह पत्र पुलिस अधीक्षक को भेजा, तब जाकर घटना के छह दिन बाद 9 फरवरी 2005 को पुलिस ने मीणा और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
डेढ़ साल बाद आरोप पत्र-
पुलिस ने घटना के डेढ़ साल बाद मीणा के खिलाफ अदालत में धारा 392,332, 353 और 506 आईपीसी तथा धारा 3 पीडीपीपी एक्ट के तहत आरोप पत्र पेश किए। यह आरोप पत्र भी मीणा की मफरुरी में पेश किए गए। पुलिस ने घटना के तीन साल बाद मीणा को गिरफ्तार किया था।
सुबह से ही उत्सकुता रही-
विधायक मीणा के सरेंडर को लेकर अकलेरा से लेकर मनोहरथाना तक उनके समर्थकों और लोगों में उत्सुकता रही। अकलेरा से उनके समर्थक मनोहरथाना अदालत परिसर में पहुंचे। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में स्थानीय समर्थक भी आ गए। कई थानों का पुलिस जाब्ता भी अदालत परिसर में तैनात रहा।