झालरापाटन. (झालावाड़) पीले सोने के नाम से मशहूर सोयाबीन की शनिवार को हरिश्चंद्र कृषि उपज मंडी में बंपर आवक हुई। शनिवार सुबह से ही नगर के आसपास ग्रामीण क्षेत्र के अलावा मध्य प्रदेश के कई स्थान से किसान मंडी में सोयाबीन लेकर आए। दोपहर तक हजारों बोरी की आवक होने तथा शुक्रवार को आई उपज की बोली नहीं लगने से पूरे मंडी परिसर में हर तरफ ढेर लग गए।
जिले में कई किसानों ने सोयाबीन की फसल तैयार कर ली है और आने वाले दिनों में त्यौहार होने के कारण वह तैयार फसल मंडी में बेचने के लिए लेकर आ रहे हैं। कई किसान अभी भी मजदूरों की उपलब्धता के अनुसार फसल को निकलवाने में लगे हैं।
उत्पादन बंपर मात्रा में
मंडी व्यापारी संदीप कासलीवाल, अशोक मेहता, विजय मूंदड़ा, विजय सिंह राठौर, अंकुर शाह, अंशु मेहता, अनिल अग्रवाल ने बताया कि इस साल फसल के हिसाब से मौसम की अनुकूलता रहने के कारण किसानों के यहां प्रति बीघा 6 से 8 बोरी सोयाबीन की पैदावार हुई है। इससे इसका उत्पादन बंपर मात्रा में है। उधर सोयाबीन प्लांट की अच्छी खरीदी करने से मांग है।
प्लांट के लिए रवाना
मंडी में खरीद करते ही व्यापारी माल को प्लांट के लिए रवाना कर रहे हैं। इसमें उन्हें परिवहन के साधनों की समस्या आ रही है। व्यापारियों ने बताया कि स्थानीय मंडी के अलावा जिले के अन्य मंडियों में भी सोयाबीन की बंपर आवक हो रही है। इस कारण परिवहन के साधनों की भी समस्या आ रही है।
गिर रहे हैं दाम
मंडी में एक सप्ताह पहले सोयाबीन के दाम 4500 रुपए प्रति क्विंटल थे, जो अभी घटकर 4400 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। मंडी में शनिवार को सोयाबीन के भाव 3800 से 4400 रुपए प्रति क्विंटल रहे।
मंडी में बार-बार गेट लगाने से उन्हें अपना माल लेकर बाहर असुरक्षित तरीके से वाहन लेकर परेशान रहना पड़ता है। रात भी बाहर काटना पड़ती है। इससे नुकसान होने का डर बना रहता है और समय भी जाया होता है। जिला एवं मंडी प्रशासन को खरीदी की व्यवस्था में सुधार करने की आवश्यकता है।
बालाराम भील, किसान, खेरासी गांव
मंडी में किसानों को सोयाबीन के दाम अपेक्षाकृत कम दिए जा रहे हैं। फसल को तैयार करने में जो लागत आ रही है उसके अनुपात में दाम कम मिल रहे हैं, जबकि अन्य मंडियों में अच्छे दाम मिल रहे हैं। माल की खरीद को लेकर व्यापारी मनमानी कर रहे हैं।
बद्री लाल, किसान, जरेल गांव
मंडी में सोयाबीन बेचने के लिए लेकर आया हूं। इसका तौल कराने के लिए 2 दिन से परेशान हो रहा हूं। व्यापारी मंडी के गेट लगवा देते हैं इससे बाहर खड़े रहना पड़ता है। माल लेकर आने के बाद उसकी सुरक्षा करना उनके लिए चुनौती हो जाती है। मंडी प्रशासन को किसानों के हित को देखते हुए गेट हमेशा खुला रखना चाहिए। जिससे किसानों को परेशानी नहीं आए।
प्रेमचंद शर्मा, किसान, सालरी गांव