
जांच-दवाइयां नि:शुल्क, फिर भी वेतन से हो रही कटौती
झालावाड़. राज्यभर में सरकार ने मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना एवं नि:शुल्क जांच योजना लागू कर रखी है। इसके बावजूद शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन से राजस्थान पेंशनर मेडिकल फंड (आरपीएमएफ) के नाम पर हर माह स्लैब आधारित कटौती की जा रही है। वहीं इसमें इनकम टैक्स मेें छूट भी नहीं दी जा रही है। इससे कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ रही है। ऐसे में कर्मचारियों का कहना है कि योजना के तहत कटौती तो की जा रही है। लेकिन नियमों की जटिलता के चलते कई बार योजना का लाभ ही नहीं मिल पाता है। वहीं कर्मचारियों के वेतन से करोड़ों की कटौती की जा रही है।
वित्त विभाग ने एक अप्रेल से बढ़ाई दर
वित्त विभाग ने राजस्थान पेंशनर मेडिकल फंड के नाम पर पूर्व में की जा रही कटौती की राशि को भी एक अप्रेल २०१८ से बढ़ा दिया है। बढ़ी हुई कटौती राशि एवं स्लैब के आदेश जारी होने के बाद कर्मचारियों एवं शिक्षकों की भी नींद उड़ गई है। शिक्षकों एवं कर्मचारियों का मानना है कि जब प्रदेश में किसी भी व्यक्ति, कर्मचारी, पेंशनर के लिए दवाइयां नि:शुल्क है, जांच नि:शुल्क हो रही है तो कटौती राशि आखिर क्यों बढ़ाई जा रही है।
वृद्धि का यह रखा है प्रावधान
वित्त विभाग ने जुलाई २०१४ में एक आदेश जारी कर यह प्रावधान कर रखा है कि जब-जब राज्य सरकार के कार्मिकों का महंगाई भत्ता बढ़ेगा आदेश जारी होने के अगले माह से बढ़े हुए महंगाई भत्ते के एक प्रतिशत के रूप में आरपीएमफ की कटौती में वृद्धि हो जाएगी। इस संबंध में कर्मचारियों का कहना है कि वर्ष में दो बार बढ़ोतरी का फैसला लिया गया है जो गलत है। इससे कर्मचारियों को हर माह आर्थिक नुकसान हो रहा है।
फैक्टफाइल
जिले में कर्मचारी करीब १५ हजार
जिले में पेंशनर ७ हजार २००
अब ऐसे होगी कटौती
नियम २०१७ के अनुसार-
१८००० रुपए तक मूल वेतन पे-मेट्रिक वाले कर्मचारी से २१९ रुपए की कटौती
१८०००-३३५०० रुपए तक मूल वेतन पे-मेट्रिक वाले कर्मचारी से ३६४ रुपए कटौती
३३००० से ५४००० रुपए तक मूल वेतन पे-मेट्रिक वाले कर्मचारी से ५४५ रुपए कटौती
५४००० रुपए से अधिक मूल वेतन पे-मेट्रिक वाले कर्मचारी से ७२५ कटौती
नियम २००८ के अनुसार
बेसिक पे ७००० से अधिक पर २१९ रुपए
७००० से १३००० तक ३६४ रुपए
१३००० से २१००० तक ५४५ रुपए
२१००० से अधिक पर ७२५ रुपए की कटौती होगी।
इनकी हो रही कटौती
जिले में १ जनवरी २००४ से पहले के नियुक्ति वाले कर्मचारियों की कटौती हो रही है। उन्हें ही पेंशन के बाद दवाई नि:शुल्क मिलती है व जांच फ्री होती है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि जब सरकार ही नि:शुल्क दवाइयां दे रही है तो कटौती का क्या फायदा।
सरकार २०११ से राज्यभर में सभी लोगों को नि:शुल्क दवाई व जांच की सुविधा दे रही है। ऐसे में शिक्षकों व कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति के बाद सरकार की आरे से दी जाने वाली चिकित्सा सुविधा के नाम पर वेतन से आरपीएमएफ के नाम पर की जा रही कटौती गलत है, यह बंद होनी चाहिए। कई बार तो गंभीर रोगियों को इलाज के लिए तुरंत बाहर ले जाना पढ़ता है। ऐसे में नियमों की जटिलता के चलते योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।
राजेन्द्र कुमार सोनी, जिलाध्यक्ष कर्मचारी संयुक्त महासंघ, झालावाड़
राजस्थान पेंशनर मेडिकल फंड के नाम पर पूर्व में की जा रही कटौती की राशि में बढ़ोत्तरी की गई है। यह महंगाई भत्ते के साथ बढ़ाई गई है। इससे करीब ७ हजार से अधिक पेंशनर प्रभावित होंगे।
भंवरसिंह राजावत, जिलाध्यक्ष पेंशनर समाज, झालावाड़
पेंशन के बाद जो इलाज होता है वह इसी कटौती से होता है। इसलिए कर्मचारियों की कटौती की जाती है। डीए की बढ़ोतरी के साथ-साथ ही कटौती में भी बढ़ोतरी होती है।
भगदान दास मेहरा, कोषाधिकारी, झालावाड़
Published on:
10 Apr 2018 03:39 pm
बड़ी खबरें
View Allझालावाड़
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
