22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लाल पत्थर से निखर रहे छणिहारी-पणिहारी मंदिर

तीन करोड़ से रुपए से ज्यादा के हो रहे काम

2 min read
Google source verification
Chhanihari-Panihari temple shining with red stone

झालावाड़ जिले में उजाड़ नदी के किनारे बने छ​णिहारी व प​णिहारी मंदिर का चल रहा जीर्णोद्धार कार्य।

जंगलों व पहाडिय़ों के बीच कई पुरा संपदा ऐसी है जो आज भी अनदेखी व अछूती है। इनमें कई तो बेशकीमती है लेकिन सारसंभाल के अभाव में यहां-वहां बिखरी पड़ी है। कुछ ऐसी ही धरोहर है राता देवी मंदिर के पास पहाडिय़ों के बीच छणिहारी व पणिहारी मंदिर। इन मंदिरों का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है। यहां लाल पत्थर से सीढिय़ा, फर्श अन्य जर्जर भाग को निखारा जा रहा है। इस पर तीन करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे।

जर्जर हो रही पुरा संपदा को बचाने का प्रयास

जानकारी के अनुसार छनिहारी मंदिर छाने (कंडे) बीनने वाली ने, पनिहारी पानी भरने वाली ने बनवाया है। जंगल में होने से कभी इन मंदिरों पर लोगों को ध्यान गया ही नहीं। ऐसे में सारसंभाल के अभाव में व कुछ आपराधिक तत्वों की वजह से यह जर्जर हो गए। इसके बाद पुरातत्व विभाग ने इनके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया। इनका एस्टीमेट बनाकर बजट स्वीकृत करवाया। अब यहां धौलपुर के लाल पत्थर से सौंदर्यीकरण व मरम्मत कार्य करवाया जा रहा है। इस पर करीब 3 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा। हालांकि यह काम पहले ही होना था लेकिन कोरोना काल में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब इस काम ने गति पकड़ी है और इन मंदिरों के दिन फिरने की आस जगी है।

छनिहारी व पनिहारी मंदिर पहाड़ी पर बने हुए हैं। वहां पहुंचा जा सकता है लेकिन रास्ता दुर्गम है। यहां तक निर्माण सामग्री ले जाना भी मुश्किल है। इसके लिए पहाड़ी के उस पार लावासल गांव के पास प्लांट लगाया हुआ है जहां से रेत, सीमेंट आदि मिक्स कर ट्रैक्टर-ट्रॉली से ले जाते हैं। वहीं बड़े लाल पत्थर क्रेन की सहायता से मंदिर तक पहुंचाए जा रहे हैं।


डूब में आ गया ग्वाल मंदिर
किसी समय श्रद्धालुओं की भीड़ से आबाद रहने वाला ग्वाल शिव मंदिर अभी आधा पानी में डूबा हुआ है। जानकारी के अनुसार भीमसागर डेम बनने से पहले यह मंदिर नदी की तलहटी में था। जहां श्रद्धालु दर्शनों को पहुंचते थे लेकिन डेम बनने के बाद यह डूब क्षेत्र में आ गया। अब मंदिर तक सिर्फ नाव से ही पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर का शिवलिंग चोरी हो गया, तब इसका गर्भगृह खाली है।


असनावर रेंज में नदी के अंदर व पहाड़ी पर बने मंदिरों का संरक्षण किया जा रहा है। पुरातत्व विभाग ही इन मंदिरों की देखरेख कर रहा है। काम चल रहा है। जल्द ही मंदिर नए रूप में सामने आएंगे।

हरिओम चौरसिया, सहायक प्रशासनिक अधिकारी, पुरातत्व विभाग