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राजस्थान में ईडी की एन्ट्री, शेयर ब्रोकर को किया गिरफ्तार, पैसे लगाए बिना करोड़ों की दौलत

locationझालावाड़Published: Aug 07, 2022 08:06:14 am

शेयर ब्रोकर राजस्थान के यहां का है मूल निवासी, पर्ल ग्रुप घोटाले में शिवसेना नेता राउत पर शिकंजा

राजस्थान में ईडी की एन्ट्री, शेयर ब्रोकर को किया गिरफ्तार, पैसे लगाए बिना करोड़ों की दौलत

राजस्थान में ईडी की एन्ट्री, शेयर ब्रोकर को किया गिरफ्तार, पैसे लगाए बिना करोड़ों की दौलत

मुंबई. , झालावाड़ भवानीमंडी. पात्रा चॉल से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार सांसद संजय राउत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पीएसीएल यानी पर्ल ग्रुप से जुड़े चिट फं ड मामले में शिवसेना नेता पर शिकंजा कस सकता है। सूत्रों के अनुसार राउत के कहने पर पात्रा चॉल जमीन घोटाले की अवैध कमाई मुख्य आरोपी प्रवीण राउत ने पीएसीएल में लगाई। पर्ल ग्रुप में निवेश से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ने सिस्टमैटिक्स ग्रुप के प्रबंध निदेशक चंद्र प्रकाश खंडेलवाल को गिरफ्तार किया है। पर्ल ग्रुप के चिट फंड घोटाले में राउत और खंडेलवाल की भूमिका की जांच ईडी अधिकारी कर रहे हैं। खंडेलवाल राजस्थान के भवानीमंडी निवासी हैं। तीन दशक पहले वे शेयर बाजार में भाग्य आजमाने यहां आए थे। चार अगस्त को गिरफ्तार खंडेलवाल की जमानत याचिका विशेष अदालत खारिज कर चुकी है। पात्रा चॉल में लगभग 1200 करोड़ के फर्जीवाड़े में प्रवीण को 112 करोड़ रुपए मिले थे। इसमें से 1.06 करोड़ रुपए शिवसेना नेता के परिवार को मिले। कृषि और रियल एस्टेट के नाम पर चिट फंड के जरिए आम जनता से पैसे जमा करने वाली पीएसीएल पर बाजार नियामक सेबी ने पाबंदी लगाई हुई है।
सिस्टमैटिक्स को मिले 110.95 करोड़
ईडी की जांच में पता चला है कि राउत के करीबी प्रवीण ने अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा पीएसीएल में लगाया। खंडेलवाल के सिस्टमैटिक्स ग्रुप से लेन.देन के भी सबूत हैं। सूत्रों के अनुसार धनश्री डवलपर्स प्रालि ;डीडीपीएलद्ध और यूनिकॉर्न ग्लोबल इन्फ्राप्रोजेक्ट यूनिकॉर्नद्ध में 94.61 करोड़ रुपए के निवेश की एवज में पीएसीएल के खाते से प्रतीक कुमार को 2.285.79 करोड़ रुपए दिए। सिस्टमैटिक्स वेंचर कैपिटल ट्रस्ट परिवर्तनीय डिबेंचर और डीडीपीएल व यूनिकॉर्न के मालिकाना हक के रूप में 110.95 करोड़ रुपए पीएसीएल से मिले। ईडी ने कोर्ट को बताया कि पीएसीएल के साथ आर्थिक लेन.देन पर खंडेलवाल चुप्पी साधे हुए है।
पैसे लगाए बिना करोड़ों की दौलत
ईडी ने कोर्ट को बताया कि डीडीपीएल और यूनिकॉर्न को पीएसीएल से अलग करने के लिए खंडेलवाल ने जटिल तरीका अपनाया। बिना एक पैसा लगाए दोनों कंपनियों की 500 से 600 करोड़ रुपए की संपत्ति खंडेलवाल को मिल गई। केवल 40 हजार रुपए में डीड़ीपीएल की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी पीएसीएल को मिल गई। इस मामले में डीडीपीएल के प्रमोटर शंकरराव बोरकर और यूनिकॉर्न के हेमंत पाटिल व धर्मेश शाह भी जांच के घेरे में हैं।
क्लर्क से शेयर ब्रोकर बना खण्डेलवाल
सीपी खण्डेलवाल भवानीमंडी का मूल निवासी है उसने 1980 के दशक स्थानीय राजकीय बिड़ला कॉलेज में वाणिज्य में स्नातक की डिग्री ली थी। इसके बाद भवानीमंडी के ही उद्योग राजस्थान टेक्स टाइल मिल में क्लर्क की नौकरी भी की एवं इसी दौरान सीए की डिग्री भी प्राप्त की। इसके बाद 1989-90 में भवानीमंडी छोड़कर इंदौर चला गया जहां पर शेयर बाजार के व्यवसाय से जुड़ गया। शेयर बाजार में भी इसका नाम कई शेयरों को फर्जी उछाल देने के रूप में सामने आया था। इसके पिता राधेश्याम खण्डेलवाल की यहां पर किराए की लोहे की दुकान थी। चन्द्र प्रकाश खण्डेलवाल का अब भवानीमंडी से कोई सतत सम्पर्क नही है। भवानीमंडी इसका यदा-कदा ही आगमन होता है।

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