निर्देश में बताया कि जिले की बालश्रम टास्क फोर्स की कलक्टर की अध्यक्षता में समय-समय पर बैठक की जाए। बैठक में लिए गए निर्णय के फॉलोअप का भी ध्यान रखा जाए। यहीं नहीं बाल श्रमिक मुक्ति के तुरंत बाद उसके बयान दर्ज कर उसके वेतन भुगतान दिलाए जाने व अन्य दावे/ क्लेम को भी सुनिश्चित करने को कहा।
सूत्रों ने बताया कि अब कहीं भी बाल श्रमिक मिले, स्थानीय होने पर उसे तुरंत सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाया जाएगा। बाल श्रमिकों के नामांकन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी संबंधित कार्मिकों की होगी। बालक यदि तीस दिन तक स्कूल से लगातार अनुपस्थित रहेगा तो उसकी सूचना बाल श्रम नोडल अधिकारी को देनी होगी। इसके लिए बाल श्रमिकों का मेडिकल कर उसकी रिपोर्ट व आयु प्रमाण-पत्र बाल कल्याण समिति, पुलिस व श्रम विभाग को भेजना होगा।
निर्देशों में बताया कि जिला प्रशासन नियमित बैठक कर बालश्रम रोकने के लिए सभी संबंधित विभागों के माध्यम से कार्यवाही सुनिश्चित करें। जिला प्रशासन संपूर्ण सहयोग करते हुए व्यापारिक संगठनों के साथ सामाजिक व धार्मिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर बालश्रम रोकने की जागरुकता फैलाएं। मुक्त कराएं बच्चों को केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं से जोड़े, उसके परिवार की सामाजिक व आर्थिक स्थिति का आंकलन कर उन्हे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता समेत अन्य विभागों की योजनाओं से लाभान्वित करना होगा। वहीं निर्देश में ये भी बताया कि बाल कल्याण समिति सूचना मिलने पर संबंधित पुलिस थाने को बालश्रमिक को तुरंत मुक्त कराने का ओदश देगी। इस प्रक्रिया में चाइल्ड लाइन व संबंधित एनजीओ भी सहयोग करेंगे।
वर्ष कार्रवाई बालश्रम मुक्त बच्चे
2017 42 53
2018 8 8
2019 56 62
2020 29 32
2021 9 10
कुल 144 165
75 व 80 के तहत कार्रवाई करते-
आस्था अभियान के तहत जिले में ऑपरेशन चलाकर समय-समय पर कार्रवाई करते है। बच्चों को स्कूल से जोडऩे के निर्देश मिले हैं। उन्हे सरकारी आवासीय विद्यालय में प्रवेश दिलाया जा रहा है। बालश्रम करवाने वालों के खिलाफ भी बाल संरक्षण अधिनियम के तहत 75 व 80 के तहत कार्रवाई करते हैं।
अखिलेश त्रिपाठी, सीआई, मानव तस्करी यूनिट, झालावाड़।