पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के गढ़ में आने से डरती है गहलोत सरकार
साढ़े तीन साल में सिर्फ पांच मंत्री ही आए
झालावाड़
Published: July 21, 2022 04:03:37 pm
झालावाड़. राज्य में मुख्यमंïत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का साढ़े तीन साल से ज्यादा का कार्यकाल हो गया। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई। प्रदेश भर के जिलों में नेताओं और मंत्रियों के दौरे चल रहे हैं, लेकिन गहलोत सरकार के मंत्रियों ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जिले झालावाड़ से दूरी बना रखी है। यहां साढ़े तीन साल के शासनकाल में केवल पांच मंत्री ही दौरे पर आए हैं, जबकि भाजपा शासन में पूरे प्रदेश की निगाह झालावाड़ पर रहती थी। झालावाड़ जिले में सांसद और सारे विधायक गैर कांग्रेसी है, ऐसे में सरकार के मंत्री भी यहां आने से कतराने लगे हैं। हाड़ौती अंचल से कोटा, बूंदी और बारां जिले का सरकार में प्रतिनिधित्व है।
30 मंत्री, आए सिर्फ 5
सरकार का 30 मंत्रियों का केबिनेट है। इसमें 20 केबिनेट मंत्री तथा दस राज्य मंत्री है। अब तक पांच मंत्री ही जिले के दौरे पर आए हैं। जिला मुख्यालय पर तो तीन ही मंत्रियों ने आकर कामकाज का फीडबैक लिया है। पिछले प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा दौरे पर आए थे, तब कार्यक्रमों ने यह बात रखी थी।
केवल रात्रि विश्राम कर चले गए
उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने पिछले दिनों कोटा दौरे पर आईं थी। कोटा से उज्जैन जाते समय झालावाड़ में रात्रि विश्राम किया था, लेकिन कोई बैठक नहीं ली। जबकि एक माह पहले यहां प्रदेश का सबसे बड़ा धागा उद्योग बंद हो गया। राजस्व मंत्री रामलाल जाट भी जिले में एक बार निजी कार्यक्रम में आए। वे भी रात्रि विश्राम कर लौट गए थे।
मुख्यमंत्री का कार्यक्रम बना, लेकिन आए नहीं
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दो-तीन बार झालावाड़ जिले में आने का कार्यक्रम बना, लेकिन वे नहीं आ पाए। एक बार प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत डग क्षेत्र में आने का कार्यक्रम तय हुआ था, लेकिन वे कोटा और बूंदी जिले में आकर लौट गए। सचिन पायलट भी उप मुख्यमंत्री रहते हुए यहां नहीं आए।
ये मंत्री आए
. दो साल पहले नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल उन्हेल नागेश्वर में जैन मंदिर में दर्शन कर लौटते वक्त झालावाड़ आए थे और यहां अधिकारियों की बैठक ली थी।
. खान एवं गोपाल मंत्री प्रमोद जैन भाया जिले के प्रभारी मंत्री है। औसतन पन्द्रह दिन में वे जिले का दौरा कर रहे हैं। वे जिले में कांग्रेस को सक्रिय करने में जुटे हैं।
. जल संसाधन मंत्री महेन्द्रसिंह मालवीया ने गत जनवरी में परवन परियोजना में अकावद में बन रहे बांध के निर्माण कार्यों का जायजा लिया था।
. प्रमोद जैन भाया से पहले केबिनेट मंत्री टीकाराम जूली और उनसे पहले रमेश मीणा जिले के प्रभारी मंत्री थे। दोनों प्रभारी मंत्री होने के नाते जिले में आते थे।
इन मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत
. झालावाड़ में अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट बनाया जाना था। पूर्ववर्ती भाजपा शासन में इसका काम शुरू हो गया था। कांग्रेस सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ठण्डे बस्ते में डाल दिया।
. कांग्रेस शासन में झालावाड़ सहकारी दुग्ध डेयरी को बंद कर दिया गया है। इससे जिले के दुग्ध उत्पादक पशुपालकों को नुकसान हो रहा है। कोटा से दूध की सप्लाई हो रही है।
. जिले में पूर्ववर्ती शासन में मंजूर की गई पुलियाओं और सड़कों के कार्य अधूरे पड़े हैं। जनता परेशान है।
. झालावाड़ शहर को भारी वाहनों के दबाव से बचाने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने रिंगरोड के प्रोजेक्ट तैयार किया था। डीपीआर भी बन गई थी। अन्य औपचारिकताएं भी पूरी हो गई थी। मौजूदा सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया गया।
. कालीसिंध बांध के दूसरे चरण का कार्य शुरू नहीं हो पाया। इसका काम शुरू होने पर झालावाड़ और कोटा जिले के किसानों को फायदा होगा।

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के गढ़ में आने से डरती है गहलोत सरकार
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