मरीज के ये दस्तावेज करने होंगे अपलोड-
योजना में पहले कई तरह के फर्जीवाड़े हुए है, अब इस पर रोग लगाने के लिए सरकार ने आयुष्मान भारत योजना में कई नए नियम लागू कर दिए है। जिसमें मरीज के लगाए जाने वाले इम्पलांट के बिल भुगतान के लिए मांगे गए है।डिस्टचार्ज करते समय मरीज ऑपरेशन के दौरान का फोटो, एमएलसी मरीज का उपचार करने पर एफआईआर देनी होगी। जबकि इस संबंध में परेशानीइस बात की है। सरकारी अस्पतालों में पूरे इम्प्लांट की खरीद एक साथ होती है, जिस कारण प्रत्येक के लिए बैच नंबर देना मुश्किल है। वहीं डिस्चार्ज करते समय मरीज के ऑपरेशन वाले स्थान पर ड्रेसिंग या प्लास्टर होता है। इस कारण उस स्थान की क्लिीनिकल फोटो नहीं ली जा सकती है।
फोटो लेना निजता भंग करने जैसा-
सूत्रों ने बताया कि योजना के तहत ऑपरेशन के दौरान मरीज की फोटो लेना उसकी निजता भंग करने जैसा तो है ही साथ ही फोटो के लिए कैमरे को ले जाना भी संक्रमण को न्योता देने जैसा है। वहीं योजना के तहत उपचाराधीन एमएलसी के मरीज की एफआईआर अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं होती है। ऐसे में इसे जुटाना भी एक मुश्किल काम है।
नहीं मिल रही पोर्टेबिलिटी की सुविधा-
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार आयुष्मान भारत योजना में किसी भी राज्य में मरीज का इलाज करवाना आसान होगा। लेकिन अभी राज्य स्तर से मरीजों का डाटा भारत सरकार को ट्रांसफर करना है। इस कार्य में अभी करीब तीन माह का समय ओर लगेगा। ऐसे में राजस्थान से बाहर रहने वाले व बाहर के राजस्थान में रहने वाले श्रमिक परिवारों को इलाज के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
-जिले में अभी अब तक योजना में मरीजों के ऑपरेशन हुए-92 -जिले में योजना के तहत 760100 रूपए राशि का इलाज किया गया -योजना में मेडिकल कॉलेज सहित जिले की 14 सीएचसी शामिल
योजना में परेशानी के बारे में संशोधन व सुझाव निदेशालय स्तर पर भेजे जाएंगे। वहां से ही समाधान होगा। पार्टेबिलिटी की सुविधा में अभी समय लगेगा। लेकिन यह शुरू होने के बाद मरीजों को काफी फायदा होगा।
डॉ.साजिद खान, सीएचएचओ,झालावाड़।