इसलिए आ रही परेशानी-
भामाशाह पशु बीमा योजना से जुडऩे के इच्छुक प्रदेश के पशुपालकों को झटका लगा है। इसकी वजह से जिले के हजारों पशु पालकों के समक्ष परेशानी खड़ी हो गई है। योजना का वर्ष 2018-2019 में राज्य सरकार ने न तो नवीनीकरण किया, और न ही विभाग को योजना को इसी रूप में आगे बढ़ाने के कोई दिशा-निर्देश जारी किए। नतीजतन योजना के तहत विभाग में आने वाले पालकों से अधिकारियों ने यह कहकर अपने हाथ खड़े कर लिए कि राज्य सरकार से कोई दिशा-निर्देश नहीं आए है। इसलिए योजना के तहत आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं।
भामाशाह पशु बीमा योजना से जुडऩे के इच्छुक प्रदेश के पशुपालकों को झटका लगा है। इसकी वजह से जिले के हजारों पशु पालकों के समक्ष परेशानी खड़ी हो गई है। योजना का वर्ष 2018-2019 में राज्य सरकार ने न तो नवीनीकरण किया, और न ही विभाग को योजना को इसी रूप में आगे बढ़ाने के कोई दिशा-निर्देश जारी किए। नतीजतन योजना के तहत विभाग में आने वाले पालकों से अधिकारियों ने यह कहकर अपने हाथ खड़े कर लिए कि राज्य सरकार से कोई दिशा-निर्देश नहीं आए है। इसलिए योजना के तहत आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं।
2016 में शुरू हुई थी योजना- पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार भामाशाह पशुपालन बीमा योजना वर्ष 2016-17 में शुरू हुई। इस दौरान पशुपालन विभाग की ओर से जोर-शोर से दावे किए गए। इससे काफी संख्या में पशुपालक भी जुड़े। बाद में इनके दावों की हवा निकल गई। विभागीय जानकारी के अनुसार इसमें पहले साल जिले में1152 एवं दूसरे साल वर्ष 2017-018 में 2426पशुओं का बीमा हुआ। वहीं प्रदेश की बात करें तो पहले साल पंद्रह हजार और दूसरे साल भी साढ़े सोलह हजार पशुओं के बीमा का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य शतप्रतिशत तो कोई जिला नहीं प्राप्त कर पाया। पहले के लक्ष्य को ही पूरा कराने की कवायद में लगे अधिकारियों को प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद झटका लगा। सरकार बदली तो योजनाओं को लेकर समीक्षा की घोषणाओं के बाद भी इस योजना को लेकर अब तक कोई दिशा-निर्देश भी नहीं आए।
बीमा नहीं तो, ऋण भी देने से बैंकों का इंकार
पशुपालन विभाग के बीमा योजना से हाथ खड़े कर लिए जाने के बाद अन्य बीमा कंपनियों ने भी पशुओं का बीमा करने से पल्ला झाड़ लिया। वर्तमान में पशुओं का बीमा करने के लिए कोई भी कंपनी तैयार नहीं हैं। पशुओं का बीमा नहीं होने के कारण ग्रामीण एवं राष्ट्रीयकृत स्तर तक के बैंकों ने भी पशुओं के लिए ऋण स्वीकृत करने से साफ इंकार कर दिया। पशुपालकों का कहना है कि बैंक साफ कहते है कि वह पशुओं की बीमा पालिसी होने की स्थिति में ही उनको ऋण दिया जा सकता है। अब ऐसे हालात में पशु पालकों को निजी स्तर पर मंहगी प्रीमियम दरों पर पशुओं का बीमा कराना पड़ रहा, तभी ऋण मिलता है। यह नहीं करने की स्थिति में उन्हें बैंकों से बैरंग लौटा दिया जाता है।
पशुपालन विभाग के बीमा योजना से हाथ खड़े कर लिए जाने के बाद अन्य बीमा कंपनियों ने भी पशुओं का बीमा करने से पल्ला झाड़ लिया। वर्तमान में पशुओं का बीमा करने के लिए कोई भी कंपनी तैयार नहीं हैं। पशुओं का बीमा नहीं होने के कारण ग्रामीण एवं राष्ट्रीयकृत स्तर तक के बैंकों ने भी पशुओं के लिए ऋण स्वीकृत करने से साफ इंकार कर दिया। पशुपालकों का कहना है कि बैंक साफ कहते है कि वह पशुओं की बीमा पालिसी होने की स्थिति में ही उनको ऋण दिया जा सकता है। अब ऐसे हालात में पशु पालकों को निजी स्तर पर मंहगी प्रीमियम दरों पर पशुओं का बीमा कराना पड़ रहा, तभी ऋण मिलता है। यह नहीं करने की स्थिति में उन्हें बैंकों से बैरंग लौटा दिया जाता है।
झालावाड़ जिला: फैक्ट फाइल
- जिले में प्रथम साल बीमीत पशु-1152
- जिले में दूसरे साल बीमीत पशु 2426
- जिले में गाय 2 लाख 50 हजार 823
- जिले मेंभैंस 3 लाख 44हजार 217
-जिले में भेड़ 10 हजार 173
- जिले में ***** 5317
- जिले में प्रथम साल बीमीत पशु-1152
- जिले में दूसरे साल बीमीत पशु 2426
- जिले में गाय 2 लाख 50 हजार 823
- जिले मेंभैंस 3 लाख 44हजार 217
-जिले में भेड़ 10 हजार 173
- जिले में ***** 5317
सरकार पशुपालन को कर रही हतोत्साहित-
अनिल माली, देवीलाल, रंगलाल गुर्जर,इंसाफ मोहम्मद आदि पशुपालकों से बातचीत हुई तो सरकार को जमकर कोसा। इनका कहना है कि एक तरफ तो सरकार कहती है कि पशुपालन को प्रोत्साहित करना है, दूसरी तरफ सुविधाएं ही नहीं देती है। विभिन्न योजनाओं में लोगों को मुफ्त का राशन, साइकिलें एवं कम्प्यूटर तो मिल रहे, लेकिन हमको योजना का लाभ तक नहीं दिया जा रहा। स्पष्ट है कि सरकार केवल कहती है कि पशुपालन व दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन हकीकत में सरकार को तो पशु एवं इनके पालकों की कोई परवाह ही नहीं है।
अनिल माली, देवीलाल, रंगलाल गुर्जर,इंसाफ मोहम्मद आदि पशुपालकों से बातचीत हुई तो सरकार को जमकर कोसा। इनका कहना है कि एक तरफ तो सरकार कहती है कि पशुपालन को प्रोत्साहित करना है, दूसरी तरफ सुविधाएं ही नहीं देती है। विभिन्न योजनाओं में लोगों को मुफ्त का राशन, साइकिलें एवं कम्प्यूटर तो मिल रहे, लेकिन हमको योजना का लाभ तक नहीं दिया जा रहा। स्पष्ट है कि सरकार केवल कहती है कि पशुपालन व दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन हकीकत में सरकार को तो पशु एवं इनके पालकों की कोई परवाह ही नहीं है।
उठा रहे नुकसान-
जिले के बक्सपुरा निवासी लालचन्द ने बताया कि
बीमारी से करीब 10-12 बकरियां मर गई है। ऐसे में अगर पशु बीमा योजना में उनका बीमा होता तो कम से कम क्लेम मिलने से इतना नुकसान तो नहीं होता। राजस्थान सरकार को जल्द पशु बीमा योजना चालू करना चाहिए ताकि पशुपालकों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
जिले के बक्सपुरा निवासी लालचन्द ने बताया कि
बीमारी से करीब 10-12 बकरियां मर गई है। ऐसे में अगर पशु बीमा योजना में उनका बीमा होता तो कम से कम क्लेम मिलने से इतना नुकसान तो नहीं होता। राजस्थान सरकार को जल्द पशु बीमा योजना चालू करना चाहिए ताकि पशुपालकों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
जल्द काम शुरू होगा-
पहले से चल रही भामाशाह बीमा योजना के बारे में हमारे पास कोई गाइड लाइन नहीं आई है। इस बार बजट में घोषणा हुई थी,गाइड लाइन आने के बाद जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। इसमें 150 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है।
डॉ.मक्खनलाल धनोदिया, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग,झालावाड़।
पहले से चल रही भामाशाह बीमा योजना के बारे में हमारे पास कोई गाइड लाइन नहीं आई है। इस बार बजट में घोषणा हुई थी,गाइड लाइन आने के बाद जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। इसमें 150 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है।
डॉ.मक्खनलाल धनोदिया, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग,झालावाड़।