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सुनेल में 405 साल से राजा के रूप में विराजमान है भगवान रामचंद्र

सुनेल. कस्बे मे चातुर्मास की समाप्ति के बाद मंगलवार को एकादशी पर रामचंद्र महाराज की सवारी निकाली जाएगी। यह सवारी कस्बे में देवस्थान विभाग के अधीन प्राचीन ऐतिहासिक राजाधिराज रामचंद्र महाराज के मंदिर से प्रारंभ होगी। पिछले 405 सालों से भी अधिक समय से लगातार यह सवारी निकाली जा रही है। इसके पीछे यह पंरपरा […]

झालावाड़Nov 08, 2024 / 10:23 pm

jagdish paraliya

  • सुनेल. कस्बे मे चातुर्मास की समाप्ति के बाद मंगलवार को एकादशी पर रामचंद्र महाराज की सवारी निकाली जाएगी। यह सवारी कस्बे में देवस्थान विभाग के अधीन प्राचीन ऐतिहासिक राजाधिराज रामचंद्र महाराज के मंदिर से प्रारंभ होगी।
सुनेल. कस्बे मे चातुर्मास की समाप्ति के बाद मंगलवार को एकादशी पर रामचंद्र महाराज की सवारी निकाली जाएगी। यह सवारी कस्बे में देवस्थान विभाग के अधीन प्राचीन ऐतिहासिक राजाधिराज रामचंद्र महाराज के मंदिर से प्रारंभ होगी।
पिछले 405 सालों से भी अधिक समय से लगातार यह सवारी निकाली जा रही है। इसके पीछे यह पंरपरा रही है कि होल्कर स्टेट के जमाने से सुनेल को टप्पे के नाम से जाना जाता है। कस्बा मध्यप्रदेश में था सेटलमेंट के समय राजस्थान में विलय हुआ था। मंदिर के पुजारी लक्ष्मीकांत शर्मा और हिमांशु शर्मा ने बताया कि यहां पर राजाधिराज रामचंद्र महाराज का 405 वर्ष से भी अधिक समय पुराना मंदिर है। पूरे राजस्थान में एकमात्र सुनेल में है भगवान राजाधिराज रामचंद्र महाराज राजा के रूप में विराजमान है तब ये यह शोभायात्रा पारंपरिक रूप से निकाली जा रही है। यहां भगवान रामचंद्र जिस स्वरूप में विराजमान है वह राजा की पदवी के स्वरूप में विराजमान है। इस कारणवश यहां भगवान राजाधिराज रामचंद्र महाराज की मास की एकादशी को नगर की जनता से हालचाल जानने के लिए नगर भ्रमण करते है जो ग्रामीण सवारी के रूप मेें पालकी में निकलते है।
  • इसमें भगवान राजाधिराज रामचंद्र महाराज की प्रतिमा विराजमान कर पुष्प मालाओं से सजाकर ढोल धमाके से सवारी निकाली जाती है। मंगलवार को चैत्र मास की समाप्ति से प्रारंभ होगी। पूरे वर्ष देवशयनी एकादशी तक यह आयोजन होगा। देवशयनी एकादशी के बाद देवउठनी एकादशी पर पुन: यह आयोजन प्रारंभ होता है जो चतुर्मास समाप्ति के बाद राजा रामचंद्र महाराज की ग्यारस के दिन सवारी निकाली जाती है। मंगलवार को सवारी शाम साढ़े सात बजे राम मंदिर से शुरू होकर नगर के मुख्य मार्गो से होती हुई गुजरेगी। इसमें भजन कीर्तन करते हुए चलेंगे। ऐसी मान्यता है कि राजा रामचंद्र अपनी जनता से मिलने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं।

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