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मास्टर प्लान भूले,मनमर्जी से कर रहे काम

- 31 वाणिज्यिक केन्द्र बनाने थे, नहीं बनाए

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Master Plan are lost and self work

मास्टर प्लान भूले,मनमर्जी से कर रहे काम


झालावाड़.किसी भी शहर का सुनियोजित तरीके से विकास हो। इसके लिए सरकार व जिम्मेदार विभाग द्वारा शहरों का मास्टर प्लान तैयार किया जाता है। ताकी पुरानी बसावट की खामियां दूर हो और भविष्य में सुंदर-सुगम नगर बसाया जा सके। लेकिन झालावाड़ में ठीक इसके उलट हो रहा है। हाल यह है कि वर्ष 2031 के लिए बनाए गए मास्टर प्लान वैसे ही कागजों की शोभा बढ़ा रहा है। ऐसे में शहर का विकास मनमर्जी से होता रहे तो फिर मास्टर प्लान का क्या मतलब है। जी, हॉ। झालावाड़ मेें भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। वर्ष 2031 की परिकल्पना के हिसाब से बनाए मास्टर प्लान पर 5 साल में कोई खास अमल नहीं हुआ है। नगरीय विकास के लिए जिम्मेदार इकलौती संस्था नगर परिषद ने झालावाड़ वासियों के लिए ना तो कोई कॉलोनी बसाई और ना ही वे सुविधाएं जुटाई जो एक अच्छे शहर के लिए लिए मास्टर प्लान में प्रस्तावित की गई ।

ये सुझाव दिया थे पूर्व प्लान में-
झालवाड़ व झालरापाटन के पूर्व मास्टर प्लान में झालावाड़ व झालरापाटन नगरों के लिए नियोजित विकास के लिए आवश्यक सुझाव दिए थे। जिनका क्रियान्वयन नगर पालिका, नगर परिषद व अन्य विभागों को करना था। किन्तु अनेक कारणों से शहर का विकास पूर्ण रुप से मास्टर प्लान के अनुरूप नहीं हो पाया है। इसपर राज्य सरकार की अधिसूचना 4 मई 2012 द्वारा 47 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित करते हुए झालावाड़ व झालरापाटन के लिए वरिष्ठ नगर नियोजक कोटा जोन, कोटा द्वारा झालावाड़ व झालरापाटन के नए मास्टर प्लान तैयार किया गया है।

सर्वेक्षण के अनुसार नहीं हुआ विकास-
गत मास्टर प्लान 2011 में वर्ष 2011 तक विकसित क्षेत्र 4665 एकड़ होने का अनुमान लगाया गया था। जबकि सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2011 में विक सित क्षेत्र 4537 एकड़ है। वहीं आवासीय क्षेत्र 1515 एकड़ प्रस्तावित था जबकि वास्तव में 2011 में आवासीय क्षेत्र 824 एकड़ है। यह आवासीय विकास पूर्ण रुप से मास्टर प्लान के अनुरूप नहीं हुआ है। जबकि मास्टर प्लान में प्रस्तावित अन्य भू उपयोग के आंशिक भाग पर भी आवासीय भू-उपयोग विकसित हो गया है। जबकि कृषि भूमि पर विकसित आवासीय योजनाओं में मूलभूत सुविधाओं तक मुहैया नहीं हो पाई है।

नहीं हुए वाणिज्यिक केन्द्र विकसित-
शहर में वाणिज्यिक क्षेत्र विकसित करने के लिए 185 एकड़ क्षेत्र प्रस्तावित था, जबकि 144 एकड़ भूमि ही वाणिज्यिक प्रयोजनार्थ विकसित हुई है। मास्टर प्लान के अनुरुप प्रस्तावित वाणिज्यिक केन्द्र विकसित नहीं हो सके हैं। इसका खामीयाजा शहर के बेरोजगार युवाओं को उठाना पड़ रहा है। शहर के बेराजगार युवा राजेश कुमार ने बताया कि व्यावसायिक कॉम्पलेक्स मास्टर प्लान के तहत बनते तो युवाओं को रोजगार मुहैया होता है। वहीं जो लोग महंगी दर पर दुकानें लगा रहे,उन्हें सस्ती दर पर किराए से दुकानें मिल सकती थी।

2031 के तक के प्लान में प्रस्तावित वाणिज्यिक केन्द्र

प्रस्तावित स्थल का स्थान एकड़ जमीन
1.राष्ट्रीय राजमार्ग 12 पर प्रस्तावित- 7
2.झालावाड़ के उत्तर भाग में गुवाडी कलां व गागरोन मार्ग के बीच - 9
3.झालरापाटन में पशु चिकित्सालय के निकट झालरापाटन इन्दौर सड़क के पूर्व में -13
4.परिक्रमा मार्ग पर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के उत्तर की दिशा में आवासीय से लगा हुआ- 10
(यहां जरुर पंजाब नेशनल बैंक का भवन बनाया गया है)

5.झालरापाटन में प्रस्तावित रेलवे स्टेशन के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग 12 पर- 17
इन केन्दों में खुदरा दुकानें, सर्विस दुकानें, होटल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल, मनोरंजन केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र, पैट्रोल पम्प, बैंक, डाकघर व सामुदायिक भवन आदि विकसित किया जाना प्रस्तावित है।

आमोद-प्रमोद के साधन भी नहीं हुए विकसित-
शहर में गागरोन दुर्ग व गांवडी हट्स के अलावा कोई खास स्थान आमोद-प्रमोद के लिए भी कोई खास संसाधन विकसित नहीं हुए है। मास्टर प्लान के अनुसार 750 एकड़ क्षेत्र प्रस्तावित था, जबकि इसके उलट 185 एकड़ क्षेत्र ही विकसित हो पाया है। वहीं दोनों शहरों में कोई आमोद-प्रमोद के खास साधन विकसित नहीं हो पाए है। जहां जाकर शहर के लोग सुबह-शाम सेर कर सकें। जबकि दोनों शहरों में तालाब के किनारे अच्छा खासा स्थान है, जहां सेर-सपाटे के लिए जगह विकसित की जा सकती है। लेकिन नगर परिषद लचर व्यवस्था के लिए अभी तक ये कार्य नहीं हो पाए है।

आईडीएसएमटी के बुरे हॉल-
शहर में नगर परिषद ने करीब एक दशक से अधिक समय पूर्व मल्हार सिंह बाग के के निकट आईडीएसएमटी आवासीय कॉलोनी विकसित की थी। लेकिन दो दशक होने के बाद भी कॉलोनीवासियों को अभी तक जिम्मेदार संस्था कोई खास सुविधा मुहैया नहीं करवा पाया है।

ट्रक टर्मिनल नहीं हुआ विकसित-
शहर में ट्रक मार्केट के लिए मास्टर प्लान में ट्रक टर्मिनल विकसित किया जाना प्रस्तावित था। लेकिन लंबे समय के बाद भी शहर में ट्रक टर्मिनल विकसित नहीं किया जा सका है। इसके चलते इस प्रकार का मोटर मार्केट की सुविधाएं शहर के वाहन मालिकों को नहीं मिल पा रही है।


ये बोले अधिकारी-
अभी तक तो 2016 तक जोनल प्लान बना था, उसके अनुसार काम हो रहा है। गावंडी तालाब के पास टैरिस गार्डन के लिए टैंडर करेंगे। आचार संहिता समाप्त होने के बाद पता करेंगे मास्टर प्लान में क्या-क्या काम होने है।
अनिल कनवाडिय़ा, कार्यवाहक आयुक्त, नगर परिषद,झालावाड़।