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राजस्थान का पहला ऐसा मंदिर, जहां सरकारी आभूषणों से होता है माता का श्रृंगार, आरती के समय पुलिस देती है सलामी

Maa Rata Devi Temple: मुकुन्दरा पर्वतमाला के बीच राता देवी का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक बड़ा केन्द्र है। यहां सरकारी आभूषणों से माता का श्रृंगार किया जाता है और आरती के समय पुलिसकर्मी सलामी देते हैं।

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Maa Rata devi temple

Maa Rata Devi Temple: राजस्थान में एक ऐसा मंदिर हैं, जहां पर सरकारी आभूषणों से माता का श्रृंगार किया जाता है। यही नहीं यहां नवरात्र के दौरान पुलिस पहरा देती है और आरती के समय पुलिसकर्मी सलामी देते है। यह मंदिर झालावाड़ जिले में मुकुन्दरा पर्वतमाला की मनोहारी पहाड़ियों के बीच स्थित है। कहा जाता है कि नवरात्र के दिनों यहां मां राता देवी दर्शन देती है।

झालावाड़ जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर असनावर के निकट ग्राम पंचायत लावासल के गांव बाडिया गोरधनपुरा में मुकुन्दरा पर्वतमाला के बीच राता देवी का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक बड़ा केन्द्र है। चैत्र व शारदीय नवरात्रि के दिनों में मातारानी के इस धाम की आभा बहुत धार्मिक होती हैं। झालरापाटन तहसील के कोष कार्यालय से माता को सजाने के लिए सोने चांदी के आभूषण आते हैं। यह आभूषण 9 दिनों तक माता के श्रृंगार की शोभा बढ़ाते हैं। नवरात्र के दौरान पुलिस पहरा देती है।

यह मंदिर खींची राजाओं ने बनवाया था, यह उनकी कुल देवी के नाम से भी जानी जाती है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में खींची राजाओं के वंशज यहां आकर पूजा अर्चना करते है। नवरात्र में यहां खींची परिवार के लोग आते है और पूजा अर्चना करते है। इसके अलावा रातादेवी मंदिर हजारों लोगों की आस्था एवं विश्वास का केन्द्र है।

आरती के समय पुलिस देती है सलामी

पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है। नवरात्र के दौरान रातादेवी के मंदिर पर रात के समय आकर्षक विद्युत सजावट की जाती है। इस मंदिर में हमेशा देशी घी के दीपक जलते है। यहां नवरात्र में मन्दिर में पुलिस का पहरा रहता है, जो बारी बारी से बदलता रहता है। यहीं नही सुबह शाम आरती के समय पुलिस सलामी देती है।

यहां माता के दो स्वरूप की होती है पूजा

इस पौराणिक मंदिर का इतिहास यह है कि मां रातादेवी खींची राजवंश की कुलदेवी थी। राता देवी गागरोन के राजा अचलदास खींची की बहन थी, जो सती होने के दौरान पत्थर के रूप में परिवर्तित हो गई। इनके यहां दो स्वरूपों में पूजा की जाती हैं। इसमें एक बिजासन और दूसरे अन्नपूर्णा के रूप में पूजा होती है। माता की मूर्ति के पीछे अचलदास की छाप है। चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि में 9 दिन तक यहां मेला लगता है। सपूर्ण झालावाड़ जिले, हाड़ौती संभाग एवं मध्य प्रदेश के श्रद्धालु यहां काफी संख्या में आकर श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करते है। मन्दिर में चैत्र नवरात्र में रोजाना दर्शन करने वाले भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।

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