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आज ही के दिन आतंकवादियों के सरगना जनरेल सिंह भिण्डरावाले को मार शहीद हुए थे निर्भयसिंह

    शहीद पुण्यतिथि विशेष...... ऑपरेशन ब्लू स्टार में शहीद हुए

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आज ही के दिन आतंकवादियों के सरगना जनरेल सिंह भिण्डरावाले को मार शहीद हुए थे निर्भयसिंह,आज ही के दिन आतंकवादियों के सरगना जनरेल सिंह भिण्डरावाले को मार शहीद हुए थे निर्भयसिंह

झालावाड़.स्वर्णमंदिर को खालिस्तानियों से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारतीय सेना की 15 कुमाऊ बटालियन की एल्फा कम्पनी के सैनिक निर्भयसिंह सिसोदिया 6 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार में शहीद हुए थे। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम पाठकों को बता रहे हैं ऑपरेशन ब्लू स्टार में उनकी भूमिका व देश सेवा के जज्बे के बारे में...
राजस्थान की भूमि शहीदों की भूमि रही है, यहां कई देशभक्त पैदा हुए है। उनमें से ही एक है शहीद निर्भय सिंह सिसोदिया।सिसोदिया सामान्य परिवार में नन्दसिंह सिसोदिया व माता बसंत कुवर के लाड प्यार से बड़े हुए उनमें देश सेवा का जज्बा बचपन से देखने को मिला। अपनी मेहनत के बल पर सेना में भर्ती हुए और कमाऊं रेजीमेंट में नायक के पद पर रहते हुए देशसेवा में शहीद हो गए।

शादी में आए थे बीच में छोड़कर चले गए-
शहीद हुए उससे पहले निर्भय सिंह अपनी ***** की शादी में शामिल होने आए थे, उस दौरान उन्हे तेज बुखार था, ऐसे में रेजीमेंट से संदेश आया कि तुरंत रेजीमेंट पहुंचे। तेज बुखार होने के बाद भी निर्भय सिंह देशसेवा में बिना समय गंवाए तुरंत रवाना हो गए। सिसोदिया अपने साथियों में नट्टू बना के नाम से जाने जाते थे, वो क्रिकेट के एक अच्छे खिलाड़ी भी थे।

ऑपरेशन ब्लू स्टर में मिला था अशोक चक्र-
कमाऊं रेजीमेंट देश की एकमात्र ऐसी कम्पनी है जिसने सबसे ज्यादा अशोक चक्र जीते हैं। इसके बाद इसका नाम अशोक चक्र कम्पनी रख दिया गया। दो अशोक चक्र स्वर्णमंदिर को खाली करवाने के लिए सेना की ओर से चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मिले। एल्फा कम्पनी की प्रथम यूनिट के नायक निर्भय सिंह सिसोदिया और कम्पनी कमाण्डर मेजर बीके मिश्रा को अशोक चक्र मिला। एल्फा कम्पनी द्वितीय यूनिट के ही नायक रामधीर को 13 राष्ट्रीय राइफल के ऑपरेशन में योगदान के लिए अशोक चक्र से नवाजा गया। अशोक चक्र शांतिकाल में देश का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है।

ऐसे चला था ऑपरेशन ब्लू स्टार-
ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय जब आर्मी की ब्रिगेड ऑफ द गार्ड और गढ़वाल कम्पनी के सैनिक अधिक शहीद हो गए तो 15 कुमाऊ को आगे भेजा गया। 6 जून 1984 को 15 कुमाऊ इंदौर यूनिट की एल्फा बटालियन की प्रथम यूनिट के पांच सिपाही सुबह 5.30 स्वर्ण मंदिर में घुसने लगे। आतंकवादी ऊपर से गोलियां बरसा रहे थे। नायक निर्भय सिंह गोलियों की परवाह नहीं करते हुए आगे बढ़े लेकिन गोलियों की बौछारों में वो घायल हो गए। निर्भय ने एक हाथ से ही एलएमजी से फायर शुरू किए और आतंकवादियों का सरगना जनरेल सिंह भिण्डरावाले सहित कई आतंकवादी मार गिराए। अपने कंपनी कंमाडर को खतरे में देखते हुए निर्भयसिंह आगे बड़े और अपने घावों से विचलित हुए बिना नायक निर्भयसिंह रेंगते हुए हल्की मशीनगन चौकी की ओर बड़े। मशीनगनों के अचूक फायर के बीच अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने उस हल्की मशीनगन की पोजीशन पर एक हथगोला फैंका और उसे शांत कर दिया। इसी बीच उन पर मशीनगन की दूसरी बौछार हुई और वे वहीं शहीद हो गए। ऑपरेशन ब्लू स्टार रात 9 बजे खत्म हुआ। इस तरह से शहीद ने देश सेवा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए।

मां को सौंपा था अशोक चक्र-
नायक निर्भय सिंह के असाधारण शौर्य, अनुकरणीय साहस और असाधारण स्तर की कर्तव्यपरायणता का परिचय दिया तथा सेना की उच्च्तम परम्पराओं के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी। 23 मार्च को 1985 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह ने उनकी माता बसंत कंवर को अशोक चक्र भेंट किया था। शहीद निर्भयसिंह सर्किल पर उनके शहीद स्मारक पर हर वर्ष 26 जनवरी व 15 अगस्त को मुख्य अतिथि द्वारा श्रद्धाजंलि दी जाती है। स्मारक समिति के ओमपाठक ने बताया कि सोमवार को शहीद स्मारक समिति की ओर से सुबह श्रद्धाजंलि का कार्यक्रम होगा।

बहुत सम्मान था
शहीद नायक निर्भय सिंह अच्छे खिलाड़ी थे, बटालियन के अंदर इनका बहुत सम्मान था। वो सरल स्वभाव के थे। अच्छे लड़ाकू थे जो ऑपरेशन ब्लू स्टार में उन्होंने करके दिखाया। कंपनी को तीन अशोक चक्र मिले थे, जो कंपनी के लिए बहुत ही गर्व की बात होती है।
ब्रिगेडियर विरेन्द्र्रसिंह राठौड़, निदेशक, सैनिक कल्याण विभाग, राजस्थान सरकार।