कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय की ओर से इस कोर्स को संचालित करने के संबंध में प्रदेश के सभी विवि और कॉलेज प्रिंसिपल्स के साथ हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर ली गई है। जिसमें राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत व राज्य सरकार के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय के सभी पाठ्यक्रमों में युवाओं की भागीदारी के लिए आंनदम एन एक्सरसाइज इन ट्रस्टीशिप पाठ्यक्रम अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्णय किया गया और इसे औपचारिक रूप से शुरू किया गया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान और कॉलेज शिक्षा निदेशक संदेश नायक ने इसे आरंभ किए जाने की घोषणा की।
दरअसल उच्च शिक्षा विभाग का मानना है कि आनंदम पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को समाज के प्रति उनके दायित्वों का बोध कराना आसान होगाए इसलिए इसे सभी शैक्षणिक विभागों में अनिवार्य रूप से इसे लागू किया जा रहा है। संबंधित विभाग अपने छात्रों को प्रतिदिन समाजपयोगी कार्य आवंटित करेगा और आनंदम पाठ्यक्रम के अनुसार विद्यार्थियों के सामाजिक कार्यों के अभ्यास गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। उनकी ओर से किए जा रहे सामाजिक कार्यों की निगरानी की जाएगी और उसकी समीक्षा कर छात्रों को उसके प्रदर्शन अनुसार प्रमाण पत्र दिए जाएंगे साथ ही छात्र द्वारा प्राप्त ग्रेड को उनकी मार्कशीट पर भी जोड़ा जाएगा। इसमें छात्रों को पेड़ लगानेए रक्तदान या मदद करने जैसे सोशल वर्क के नम्बर मिलेंगे।
क्रेडिट सिस्टम से जुड़ा सोशल वर्क-
आपको बता दें कि इस योजना को लागू कर राजस्थान देश का ऐसा पहला प्रदेश बन गया है जहां सोशल वर्क को क्रेडिट सिस्टम के साथ सिलेबस में जोड़ा गया है। आनंदम में छात्र समाज के लिए जो करेंगेए उसे डायरी में लिखेंगे। इसके आधार पर 50 अंक या 2 क्रेडिट दिए जाएंगे। आनंदम का लक्ष्य छात्रों को सामाजिक कार्यों से जोडऩा है। हर छात्र को डायरी मेंटेन करनी होगी। समाज और लोगों की मदद के लिए किए गए कामएजिनसे मन को आनंद मिले। वह डायरी में नोट करने होंगे। इसके बाद इनका मूल्यांकन होगा और मार्कशीट में क्रेडिट मिलेंगे।
अवसाद दूर करने में मिलेगी मदद-
इसमें कालेज स्टूडेंट्स को अच्छे और सकारात्मक कार्यों से जोड़ा जाएगा ताकि उनमें अनिश्चितता का भाव खत्म हो और उसमें जीवन जीने का उत्साह बढ़ सके। बच्चों में सकारात्मक पैदा करना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। खासतौर पर कोरोना के चलते सभी के जीवन में अनिश्चितता का भाव पैदा हो रहा है। ऐसे में हैप्पीनेस लाने के लिए आनंदम पाठ्यक्रम की महत्ता और भी बढ़ जाती है इससे युवाओं में व्याप्त चिंता और अवसाद को दूर करने में मदद मिलेगी और उनकी ओर से किए जा रहे अच्छे कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
पीजी कॉलेज में सात लोगों की समिति बना दी गई हैएचुनाव के बाद एनएसएस व एनसीसी व अन्य बच्चों को सामाजिक दायित्वों से जोड़ा जाएगा। ताकि कोरोना में अवसाद ग्रसित नहीं होए समाज से जोड़ कर गरीबों की मदद करने के लिए प्रेरित करेंगे। इसमें छात्रों को नंबर भी दिए जाएंगे इसकी विश्वविद्यालय स्तर पर रूपरेखा बनाई जा रही है।
डॉ.फूलसिंह गुर्जर, समन्वयक, आनन्दम योजना, पीजी कॉलेज, झालावाड़
आनंद को लेकर हमारे यहां 12 बच्चों का एक-एक मेंटर बनाया गया है। इसमें ऑनलाइन वीसी हो गई है, कोरोना में बच्चों को मास्क वितरण करना, रक्तदान करना आदि कामों के बारे में प्रेरित किया जा रहा है।
राजुल गोयल प्राचार्य, पॉलिटेक्निक कॉलेज, झालावाड़।