शहर में करीब 5 टन अधिक कचरा एकत्रित होता है। इसे गागरोन रोड डम्पिंग ग्राउड पर खुले में डाल दिया जाता है। यहां कचरा प्रोसेसिंग प्लांट नहीं होने से कचरा प्रोसेस नहीं हो पाता। यह कचरा खुले में ही जलाया जाता है। नगर परिषद में करीब 14 लाख रुपए की मशीन धूल फांक रही है, लेकिन इसे लगाया नहीं गया है। ऐसे में कचरे का सेपरेशन नहीं हो पाता है।
ऐसे हो सकता है स्वच्छता रैंकिग में सुधार-
-शहर को कचरा मुक्त बनाया जाए।
– प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगाई जाए।
– डोर-टू डोर कचरा संगहण को प्रभावी बनाया जाए।
-गीला कचरा अलग-अलग करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।
-गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित किया जाए।
– शहर के प्रत्येक घर को सीवरेज से जोड़ा
-कचरा निस्तारण प्लांट लगाया जाए। पुराने कचरे को प्रोसेस किया जाए।
-शहर में निर्माण एवं तोडफोड वेस्ट कंस्ट्रक्शन एण्ड डिमोलिशन वेस्ट के निस्तारण की योजना बनाई जाए।
लगातार चार साल से देश में स्वच्छता सर्वे में पहले स्थान पर आ रहे इंदौर को देखकर नगर परिषद के अधिकारियों ने इंदौर जाकर देखा और वहां की बेसिक्स कंपनी को शहर को इंदौर की तर्ज पर साफ-सुथरा बनाने का ठेका प्रतिमाह 7 रुपए में दिया। जिसमें कंपनी को 14 कचरा गाड़ी दी गई। एक गाड़ी पर दो-दो व्यक्ति लगाए गए है। इसके साथ ही नगर परिषद के करीब 200 कर्मचारी सफाई का जिम्मा संभाल रहे हैं, फिर भी शहर साफ-सुथरा नजर नहीं आ रहा है। वार्डों में नालियां जाम है, कहीं जगह कचरे के ढ़ेर दिनभर लगे रहते हैं। इंदौर के एक वार्ड के बराबर पूरे झालावाड़ शहर को कंपनी व नपा के कर्मचारी नहीं संभाल पा रहे हैं। हाल में आए डीएलबी निदेशक सफाई कर्मचारियों को अन्य शाखाओं के हटाकर सफाई व्यवस्था में ही लगाने के लिए कहा। लेकिन इसका भी असर नहीं हुआ।
– 50000 से 100000 की जनसंख्या वाले शहरो की जोनल रैकिंग में झालावाड़ ने 36 वां स्थान प्राप्त किया।
-50000 से 100000 की जनसंख्या में आने वाले राजस्थान के शहरों में 3362 अंक प्राप्त कर पहला स्थान प्राप्त किया।
– सम्पूर्ण भारत में जिलेवार रैकिंग में 278 रेंक प्राप्त की।
– सम्पूर्ण राजस्थान में झालावाड़ द्वारा शहरों की सूची में 5 वाँ स्थान प्राप्त किया।
– सर्विस लेवल में 2400 अंकों में से 1648.91 अंक प्राप्त किए – सिटीजन फीडबैक जनता की आवाज में 1800 अंकों में से 1413.31 अंक मिले – ओडीएफ$ एवं जीएफ.सी में 1800 में से 300 अंक।
सफाई कर्मचारी आते नहीं है, सड़कों पर गोबर फैला रहता है। कचरे के ढ़ेर लगे रहते हैं। ऐसे में शहर की स्वच्छता रैकिंग अच्छी कैसे आएगी।
पूजा यादव,हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी,झालावाड़।
हमारी कॉलोनी में प्लाट में पानी भरा हुआ है, डेंगू के मच्छर पैदा हो रहे हैं, नियमित सफाई नहीं होती है। इसलिए भी शहर स्वच्छता रैकिंग में पिछड़ गया।
प्रेरणा रत्नू, जवाहर कॉलोनी, झालावाड़।
नगर परिषद से 14 गाड़ी मिली है। धीरे-धीरे शहर को इंदौर की तर्ज पर साफ बनाने का प्रयास कररहे हैं। लोगों को जागरुक कर रहे हैं। घरों से 50 रुपए व स्लम एरिया से 30 रूपए प्रति घर लेेने का निर्णय लिया गया है। पूरे शहर में गाडिय़ां जा रही है, संकड़ी गलियों के लिए ई-रिक्शा की व्यवस्था कर रहे हैं।
अशोक पटेल, सुपरवाईजर, बेसिक्स कंपनी, इंदौर।
स्थिति सुधारेंगे-
दीपावली के बाद से सफाई व्यवस्था बिगड़ी हुई है। 10-12 दिन में स्थिति सुधार दी जाएगी। रैंकिंग कम ही आई है, इसके लिए भी आगे से प्रयास करेंगे।
संजय शुक्ला, सभापति, नगर परिषद, झालावाड़।