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जिले में ढ़ाई लाख हैक्टेयर में बाएंगे सोयाबीन, बीज नहीं मचेगी मारामारी

  - महंगा मिल रहा सोयाबीन का बीज

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Soyabean will be planted in 2.5 lakh hectares in the district, there will be no fight for seeds

जिले में ढ़ाई लाख हैक्टेयर में बाएंगे सोयाबीन, बीज नहीं मचेगी मारामारी

हरिसिंह गुर्जर
झालावाड़.जिले में किसानों को इस बार सोयाबीन की बोवनी महंगी पड़ रही है। सोयाबीन बीज के दाम इस बार गत वर्ष की अपेक्षा 2 हजार रुपए की बढ़ोतरी हो चुकी है। वहीं डीएपी भी पिछले वर्ष की अपेक्षा २५०-३०० रुपए महंगा है। इन स्थितियों में प्रति हैक्टेयर पर किसानों का सोयाबीन की बुवाई में 2150 रुपए प्रति हैक्टेयर का खर्च बढ़ गया है। इस वर्ष जिले में कुल 2 लाख ४५ हजार हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई होनी है। अगर इस प्रस्तावित पूरे रकबे में सोयाबीन की बुवाई हुई तो किसानों को ५० करोड़ से अधिक की अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ जाएगी।
किसानों का कहना है कि गत वर्ष किसानों को 6 हजार से 10 हजार रुपए क्ंिवटल में सोयाबीन बीज मिला था। लेकिन इस वर्ष बीज ८ हजार से ११ हजार रुपए के भाव सोयाबीन बीज मिल रहा है। इसी तरह 1200 रुपए बोरी डीएपी के दाम बढ़कर १४०० रुपए हो चुके हैं। किसानों ने बताया कि परेशानी यह भी बीज आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहा। बीज की दुकानों पर भी सोयाबीन बीज महंगा मिल रहा। वहीं बीज निगम द्वारा भी इस बार बीज तैयार नहीं करने से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। निजी दुकानों में बीज की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है और उन्हें बीज के लिए परेशान होना पड़ रहा है।

अन्य शहरों से करना पड़ रही बीज की खरीदी-
बीज दुकानदारों ने बताया कि जिले में पर्याप्त बीज नहीं होने से उन्हे बाहर से बीज मंगवाना पड़ रहा है। लेकिन वो भी बहुत महंगा आ रहा है। ऐसे में समय से बीज नहीं निकला तो परेशानी हो सकती है। ऐसे में जितना बिक रहा है उसी हिसाब से बीज मंगवा रहे हैं। बीज महंगा होने के साथ ही अन्य शहर से बीज खरीदकर लाने पर परिवहन अतिरिक्त राशि खर्च हो रही। वहीं इसके बाद भी बीज की गारंटी नहीं है। बीज खराब निकल जाने पर बुवाई कार्य में ही गड़बड़ी होना मानकर किसानों पर ही दोष मढ़ दिया जाता है।
दो लाख ४५ हजार हैक्टेयर में होगी है सोयाबीन की बुवाई-
जिले में खरीफ का कुल रकबा ३ लाख ३९ हजार हैक्टेयर है, लेकिन सोयाबीन की बुवाई कुल 2 लाख ४५ हजार हैक्टेयर में होना है। विभागीय जानकारी के अनुसार सोयाबीन की बुवाई में कई तरह की समस्याओं के चलते इसका रकबा लगातार कम होता जा रहा। जिले में लगातार पांच साल से प्राकृतिक प्रकोप के चलते किसानों का रुझान सोयाबीन से कम होकर उड़द, मंूग, मक्का की तरफ ज्यादा हो रहा है।

फैक्ट फाइल-
- मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना में मात्र ४६५ क्विंटल बीज का होगावितरण
- उड़द के मात्र ७०० मिनी किट आए है जिनका लॉटरी से होगा वितरण
-जिले में ५३ हजार क्विंटल बीज की जरुरत है
- गोष्ठियों के माध्यम से जिले में ४० हजार क्विंटल बीज कृषि विभाग द्वारा किसानों के बीज से ही तैयार करवाया गया।

उपलब्ध नहीं है बीज-
सोयाबीन बीज महंगा हो गया और उपलब्ध भी नहीं हो रहा। १० हैक्टेयर में बुवाई करना है। बीज के लिए स्थानीय किसानों से ही बीज की व्यवस्था करना पड़ रही है। बीज व डीएपी खाद भी महंगा मिल रहा है, जबकि मंडी में लागत के हिसाब से सोयाबीन के दाम नहीं मिल पाते हैं।
रामबाबू दांगी, युवा किसान धारुखेड़ी।

दुकानदारों के भरोसे-
बीज के लिए किसान दुकानदारों के भरोसे हैं। पूर्व में सोसायटियों से बीज उपलब्ध हो जाता था लेकिन इस वर्ष े समितियों से बीज नहीं मिल रहा। किसानों को सोयाबीन का बीज भी महंगा मिल रहा है, उसके बाद भी कोई गारंटी नहीं है कि वो सही से अंकुरित होगा या नहीं है।
रमेश गुर्जर, ग्रोथ सेंटर,झालरापाटन।

चेक कर ही बुवाई करें-
किसान अच्छी बारिश होने के बाद ही बुवाई करें। किसान १०० दाने लेकर पहले अंकुरित कर लें उसमें से ७० दाने अंकुरित होने पर बुवाई कर सकते हैं। जिले में इस बार २लाख ४५ हजार हैक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य है।
सत्येन्द्र पाठक, उप निदेशक,कृषि विस्तार,झालावाड़।