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विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष…पुरा सम्पदा का दीदार करना हो तो पधारो म्हारे झालावाड़

झालावाड़ जिले में अथाह भण्डार, शौर्य और वीरता के साथ कला और संस्कृति की दृष्टि से भी समृद्ध

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विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष...पुरा सम्पदा का दीदार करना हो तो पधारो म्हारे झालावाड़

विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष...पुरा सम्पदा का दीदार करना हो तो पधारो म्हारे झालावाड़

झालावाड़. राजस्थान के दक्षिण पूर्वी मालवांचल का भू-भाग झालावाड़ कहलाता है। झालावाड़ की भूमि जहां एक ओर शौर्य और वीरता से अनुप्राणित रही है वहीं दूसरी ओर यह कला और संस्कृति की दृष्टि से भी समृद्ध रही है। यहां पर्यटन की विपुल संभावनाएं हैं। देशी और विदेशी पर्यटक यहां की पुरा सम्पदा को निहारने आते हैं। जिले को ट््यूूरिज्म सर्किट से जोड़ दिया जाए तो यहां पर्यटकों की आवाजाही बढ़ सकती है। मुकुंधरा नेशनल टाइगर पार्क के विकसित होने के बाद यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं बढ़ेगी। झालावाड़ जिले के भू भाग में आज भी आदिम युग की संस्कृति के मध्ययुग तक की कला का भण्डार अथाह रूप से देखा-परखा जा सकता है। इतिहास , संस्कृति और पुरातात्विक दृष्टि से जिले की प्राचीन नगरी चन्द्रावती के उत्तर गुप्तयुगीय व अवशेष, सूर्य मंदिर, सौ साल पूरे कर चुकी भवानी नाट्यशाला व विश्व धरोहर गगरोन का जल दुर्ग जहां अपने सम्मोहक व सुदृढ़ स्थापत्य तथा प्राचीन शिल्पकला सौंदर्य के दर्शकों, पर्यटकों की भावना को झकझौर देता है, वहीं सैकड़ों वर्ष पूर्व बौद्ध धर्म की अनेक गफाएं भी यहां अपने में बौद्ध संस्कति एवं कला का मोहक पृष्ठ समेटे हुए है, जो राजस्थान का एक मात्र सबसे बड़ा बौद गुफा समूह है। ऐलोरा की प्रसिद्ध गुफाओं की ही भांति अपनी संख्या और सौंदर्य के कारण अब एक और एलोरा कही जाने वाली यहां की गुफाएं कोलवी के नाम से जिले की डग तहसील में स्थित पहाडिय़ों के मध्य आज देखी जा सकती है। पूर्व में ये गुफाएं 103 थी, अब इनकी संख्या 90 है, जो पहाडिय़ों के हल्के बलुआ चट्टानी पत्थरों को काटकर बनाई गई थी। यह सभी गुफाएं कोलवी क्षेत्र में बने हाथिया गौड़, गुनई तथा बिनायगा गांव में है। अब यह सम्पदा उपेक्षित है। पुरा सम्पदा की सार-संभाल की जरूरत है। कोली की गुफा विश्व प्रसिद्ध है। यह सम्पदा करीब दो हजार साल प्राचीन बताई जा रही है। कोलवी की गुफाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से संरक्षित तो हैं। इतिहास के अनुसार आठवीं और नौवीं शताब्दी की बौद्धकालीन गुफाएं कोल्वी, विनायका, हथियागौड, गुनई में स्थित हैं। यहां बौद्ध धर्म के हीनयान और महायान के स्थापत्य हैं। कोल्वी के बौद्ध समूह की गुफाएं राज्य का सबसे बड़ा गुफा जाल है। यहां बौद्ध भिक्षु सोते थे, तो उनके लिए तकिए भी बने हुए हैं। इसके साथ ही यहां अग्निकुंड, भगवान बुद्ध की मूर्तियांए गंडिका स्तूप और चैत्य बने हुए हैंए,जो पर्यटकों को खासे आकर्षित करते हैं।
विश्व धरोहर गागरोन का किला

झालावाड़ जिले के अमूल्य प्राचीन धरोहर गागरोन किले को 21 जून 2013 को विश्व धरोहर में शामिल किया गया था। यह न केवल झालावाड़ के लिए बल्कि राजस्थान के लिए गौरव की बात है, लेकिन इस विश्व धरोहर की उचित सार संभाल की जरूरत है। गागरोन दुर्ग भारतीय राज्य राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित एक दुर्ग है। यह काली सिंध नदी और आहु नदी के संगम पर स्थित है। 21जूूून 2013 को राजस्थान के 5 दुर्गों को युनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया, जिसमें से गागरों दुर्ग भी एक है। यह झालावाड़ से उत्तर में 13 किमी की दूरी पर स्थित है। किले के प्रवेश द्वार के निकट ही सूफ ी संत ख्वाजा हमीनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। यह दुर्ग दो तरफ से नदी सेए एक तरफ से खाई से और एक तरफ से पहाड़ी से घिरा हुआ है।
तीन साल में 12772 पर्यटक आए
जिले में करीब 3 साल में कुल 12772 पर्यटक झालावाड़ आए। ऐसे में सबसे अधिक देशी विदेशी पर्यटक 2020 में झालावाड़ आए। जनवरी से सितंबर तक कुल 32592 पर्यटक आए। जबकि 2019 में 9003 देशी विदेशी पर्यटक पहुचे। वहीं कोरोना संक्रमण के कारण 2021 की बात करे तो जनवरी से मई के मध्य कोई देशी विदेशी पर्यटकों का आवगमन झालावाड़ नही हुआ। अब देशी सैलानी आने लग गए हैं। विदेशी पर्यटकों का फिलहाल इंतजार है