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शिक्षकों में हड़कंप, जिले के चार स्कूल अगले सत्र से जाएंगे निजी हाथों में

locationझालावाड़Published: Dec 19, 2017 12:32:15 pm

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सरकार स्कूलों को निजी हाथों में सौंपना चाहती है इसको लेकर शिक्षक संघ विरोध कर रहे हैं। सरकार ने जिले के चार स्कूलों को शामिल किया है।

Stir in teachers four schools in the district will go from next sessio

शिक्षकों में हड़कंप, जिले के चार स्कूल अगले सत्र से जाएंगे निजी हाथों में

झालावाड़. राज्य सरकार ने शिक्षा में पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप पॉलिसी में झालावाड़ जिले के चार व राज्य के 300 स्कूलों को शामिल किया है। ये सभी सरकारी स्कूल अगले शैक्षणिक सत्र से पीपीपी मोड पर चलेंगे। पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप के माध्यम से राज्य सरकार स्कूलों के प्रबंधन में सुधार व्यवस्था में पारदर्शिता और संचालन की बेहतर प्रणाली के मॉडल के रूप में चलाना चाहती है।
जानकारी के अनुसार पीपीपी मोड पर उन स्कूलों को दिया गया है जो इलाका शैक्षणिक दृष्टि से कमजोर है। इन स्कूलों में अभी पोषाहार व नि:शुल्क किताबें सहित राज्य सरकार से मिलने वाली सभी सुविधाएं देय होगी। जिले के जीएस सांकरिया, जीएस चाचूरनी, जीएस नूतन डग तथा मनोहरथाना ब्लॉक का पचेटा स्कूल को दिया जाएगा। इनकी मॉनिटरिंग निदेशक माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा की जाएगी।
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पीपीपी मोड वाले सरकारी स्कूलों में राज्य सरकार शैक्षिक व गैर शैक्षिक कर्मचारी उपलब्ध नहीं करवाएगी। इनमें कार्मिक गोद लेने वाली कंपनी को ही लगाने होंगे। कंपनी अपने स्तर पर सरकारी नियमानुसार योग्य शिक्षक नौकरी पर रखेगी। जानकारों ने बताया कि इसके लिए प्राइवेट कपंनी और सरकार के मध्य १० वर्ष का करार होगा, जिसे आगे बढ़ाया भी जा सकेगा। इन स्कूलों को प्राइवेट कपंनियों के साथ होने वाले समझौते के लिए जिला स्तर पर एक कमेटी का गठन किया गया है। इसमें जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, पिं्रसीपल डाइट, एक सरकारी स्कूल के पिं्रसीपल, एक पिं्रसीपल प्राइवेट स्कूल का होगा। सरकार अगले सत्र से इन स्कूलों को पीपीपी मोड पर देगी।
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यह है पीपपी मोड
पीपीपी मॉडल का मतलब है पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप। इससे सरकार अपनी परियोजनाओं को निजी कंपनियों के साथ मिलकर पूरी करती है। यह एक ऐसा अनुबंध होता है जिसके द्वारा किसी जनसेवा या बुनियादी ढांचे के विकास तथा उत्थान के लिए धन की व्यवस्था की जाती है। इस व्यवस्था में सरकारी और निजी संस्थान संयुक्त रूप से पूर्व निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करते हैं। सरकार धनाभाव के कारण प्राइवेट कंपनियों के साथ करार कर उनकी आर्थिक मदद लेकर ऐसी परियोजनाओं को पूरा करती है।
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शिक्षकों में हड़कंप
सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने से शिक्षा विभाग में हलचल मच गई है। शिक्षा विभाग में इस बात को लेकर चर्चा है कि भविष्य में और भी स्कूल पीपीपी मोड पर दिए जा सकते हैं। इससे विभाग निजीकरण की ओर जा सकता है। शिक्षक संघ लगातार सरकार के इस कदम का विरोध करते आ रहे हैं।
अभी सुविधांओं का अभाव
इन स्कूलों में अभी चारदीवारी, शौचालय, खेल मैदान बिजली की सुविधा भी है लेकिन इनमें पुस्तकालय व कम्प्यूटर व पर्याप्त फर्नीचर का अभाव है।
ये स्कूल दिए जाएंगे पीपीपी मोड
जिले के डग ब्लॉक का सैकंडरी स्कूल सांकरिया में 285 छात्र व यहां 13 कार्मिक है, जीएस चाचूरनी 285 यहां 9 कार्मिक, जीएस नूतन डग यहां 477 छात्र व 22 कार्मिक व मनोहथाना ब्लॉक का पचेटा यहां 209 छात्र व 11 कार्मिक है। इनको पीपीपी मोड पर दिया जाएगा। यह बोले शिक्षक नेता-
राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) के जिलाध्यक्ष पानाचन्द मीणा ने बताया कि सरकारी स्कूलों में निजीकरण को बढ़ावा देकर शिक्षकों के पद खत्म करना चाहती है। इस मामले में हमारा आंदोलन निरंतर जारी है।
शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) जिलाध्यक्ष, गोविन्दसिंह झाला ने बताया कि जिले के चार स्कूलों के बारे में सूचना मांगी गई है। रमसा द्वारा सर्वे किया जा रहा है। इसमें छात्रों की संख्या, स्कूलों की संपत्ति आदि की सूचना 24दिसंबर तक निदेशालय में भेजनी है।
जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक सुरेन्द्रसिंह गौड़ ने बताया कि जिले के चार स्कूलों के बारे में सूचना मांगी गई है रमसा द्वारा सर्वे किया जा रहा है। इसमें छात्रों की संख्या, स्कूलों की संपत्ति आदि की सूचना 20दिसम्बर तक निदेशालय में भेजनी है।
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