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…लो फिर धरती के भाग जगे

झालावाड़ ।खरीफ की फसल की बर्बादी से उजड़े जिले के खेत-किसान फिर नई तकदीर लिखने को चल पड़े हैं। खेतों में फिर से रबी की हलचल शुरू हो गई है।

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Ajit Shekhawat

Nov 27, 2015

jhalawar photo

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झालावाड़ ।खरीफ की फसल की बर्बादी से उजड़े जिले के खेत-किसान फिर नई तकदीर लिखने को चल पड़े हैं। खेतों में फिर से रबी की हलचल शुरू हो गई है।
किसान फिर से तापमान का मिजाज देखकर कर फसलों की बुवाई में जुट गए हैं। वहीं जिन किसानों ने पहले बुवाई नहीं की थी, वे भी अब बुवाई कर रहे हंै। कई किसानों को लहसुन की बुवाई करे करीब एक से डेढ़ माह हो गया है। इसमें अब वे वह निराई -गुड़ाई के काम में लगे हैंंंंं। जिले में रबी की फसल की बुवाई का लक्ष्य करीब 2 लाख 92 हजार 87 हैक्टेयर है। इसमें से कई क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है, वहीं शेष में बुवाई चल रही है।

धनिये के प्रति कम है लोगों का रुझान

धनिये की फसल में लगातार तीन साल से लोंगिया व छाछीया जैसे रोग लगने तथा मौसम की मार के चलते इस बार किसान कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रहा है। तापमान अधिक होने के चलते कई किसानों ने धनिये की पहले बुवाई कर दी है। बड़ोदिया निवासी किसान सुनील पाटीदार ने बताया कि इस बार तापमान में गिरावट नहीं होने के चलते आधे खेतों में धनिये की बुवाई पहले ही कर दी। अब तापमान में थोड़ी कमी हो हुई है। आधी जमीन में अब बुवाई कर रहे हैं। ताकि जैसा मौसम रहे उस हिसाब से फसल आने की संभावना बन सके।

गेहूं की कर रहे बुवाई

जिले में गेहूं की फसल की बुवाई लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुई है। जिले में गेहूं की बुवाई करीब 54 हजार हैक्टर जमीन में हो चुकी है। अभी भी किसान बुवाई करने में लगे हुए हंै। उप निदेशक कृषि विस्तार कैलाश चन्द मीणा ने बताया कि कई क्षेत्रों में किसान गेहूं की बुवाई कर चुके हैं। अभी जो किसान बुवाई कर रहे हैं। वह बीजोपचार करके ही गेहूं की फसल की बुवाई करे। किसान गेहूं की फेंककर बुवाई करने की बजाए सीड ड्रील से बुवाई करें। ताकि पौधों की जड़ें गहराई में जाने से पौधों की बढ़वार अच्छी हो सके।