
मछलियां करोड़ों कमाकर दे रही, विभाग जागे तो और दे सकती है,मछलियां करोड़ों कमाकर दे रही, विभाग जागे तो और दे सकती है
एक्सक्लूसिव
हरिसिंह गुर्जर
झालावाड़.जिले को राजस्थान का चेरापूंजी कहा जाता है, तो यहां जलाशयों व नदियों की संख्या भी अच्छी खासी है। ऐसे में झालावाड़ जिले में मछली पालन की अपार संभावनाएं है। अगर किसान भी इस दिशा में रुचि ले तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन अभी जिले में इस दिशा में कोई विशेष काम किसानों द्वारा नहीं किए जा रहे हैं। हालांकि जिले में मत्स्य विभाग द्वारा मछली पालन का ठेका दिया जाता है। इसके लिए ऑनलाइन टैंडर डाले जाते हैं। जिले में मछली पालन से विभाग को करीब 3 करोड़ से अधिक की आय होती है। जानकारों का कहना है कि यदि इसे वैज्ञानिक तरीके से किया जाएं तो और भी ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। जिले में नदियों व छोटे-बड़े करीब 74 जलाशयों में मछली पालन किया जा रहा है। लेकिन विभाग के पास अवैध रूप से चोरी पकडऩे के लिए निरीक्षक, फिल्डमैन सहित पूरा अमला खाली है। ऐसे में कई बार विभाग को खासी परेशानी होती है।
नीली क्रांति के तहत किसान कर सकते हैं खेती-
जिले में मछली पालन की अपार संभावना है किसान मछली पालन के लिए नीली क्रांति के तहत खेती कर सकते हैं। इस योजना में पुरूष किसान को 40 फीसदी व महिला मछली पालन करती है तो उसे 60 फीसदी अनुदान दिया जाता है। किसान के पास मछली के बच्चे पालन के लिए एक या दो बीघा जमीन व मछली उत्पादन के लिए कम से कम एक हैक्टेयर जमीन होना जरुरी है।
जिले में तीन करोड़ से अधिक की होती है आय
जलाशय संख्या आय
क श्रेणी के - 23 313.20284
ख श्रेणी के - 43 26.69797
ग श्रेणी के - 7 8.31303
कुल योग 73 348.21384 राशि लाखों में है
- जिले में 7694.73 हैक्टेयर में मछली पालन हो रहा है।
जिले में अक्टूबर माह में इतना हुआ मछली उत्पादन-
मेजर कार्प- 25770
माईनर कार्प- 26635
कैटफिश- 25050
अन्य- 24425
कुल- 101880 किलोग्राम
- जिले में 1 अप्रेल से 31 अक्टूबर तक 257425 किलो ग्राम मछली उत्पादन हुआ है।
जिले में इन बांधों व तालाबों का इतने का होता है ठेका-
आहूू नदी- 62786
गागरीन बंाध- 29 लाख 50420
गुलंडी बांध- 37 लाख *****
गांवड़ी तालाब -5 लाख 27,786
चंवली बांध - 52 लाख 52 हजार
गुराडिय़ा बाध्ंा- 4 लाख 81787
धारगंगा नदी- 15 हजार 454
रेवा बांध- 29 लाख 36640
भीमसागर बांध- 23 लाख 86770
चंबल नदी डग क्षेत्र - 5 लाख 84 हजार करीब
मुंडलिया खेडी तालाब- 7 लाख 84617
छापी नदी- 80 हजार 81
कालीखार बांध- 16 लाख *****
नेवज नदी- 6 हजार
छापी बांध- 6 लाख 73244
कालीसिंध बांध- 31 लाख 11000
बोरबंद बांध - 32000
पिपलाज बांध- 61 लाख 57180
खंडिया तालाब- 10 लाख 32622
ऐसे होते है ठेके-
-50 हजार तक ब्लॉक विकास अधिकारी के माध्यम से ठेका होता है
- 5 लाख तक के लिएण् जिला परिषद के माध्यम से होता है
- 5 लाख से अधिक के लिए निदेशक मत्स्य विभाग जयपुर से ठेका होताहै।
हमला खाली, कैसे हो रखवाली-
जिले में मछली उत्पादन की खूब संभावना, लेकिन पूरा अकमला खाली चल रहा है। जिले में
सहायक मत्स्य अधिकारी का एक पद स्वीकृत हो भी खाली है, निरीक्षण की दो पोस्ट है दोनों ही खाली है, एलडीएसी का एक,मत्स्य पालक के तीन पद है तीनों ही रिक्त चल रहे हैं। एक वाहन चालक का पद है वो भी रिक्त चल रहा है। ऐसे में विभाग में कार्य करने में कर्मचारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
लेंडिग के लिए हुआ था सर्वे नहीं बनी बात-
जिले में चंवली बांध पर मछली पालन के लिए लेंडिग स्टेशन बनाने के लिए सर्वे हो चुका था। लेकिन जमीन की अनुमति नहीं मिलने से बात आगे नहीं बढ़ पाई है। लेंडिंग स्टेशन के लिए भारत सरकार से बजट मिलता है। यहां कि मछली प्राकृतिक व अच्छी किश्त की होती है। ऐसे में जिले में पूरे भारत के मछली पालन व्यापारियों की नजर होने के बाद भी यहां स्टेशन नहीं बन पाया है।
एक्पर्ट व्यू-
जिले में मछली पालन की अपार संभावना है, यहां बहुत अच्छी बारिश होती है,वर्षभर पर्याप्त पानी जलाशयों में रहता है। सरकार सही मैनेजमेंट करें तो विभाग को अच्छा रैवेन्यू मिल सकता है। जिले में दिल्ली, यूपी, हरियाणा,पंजाब के कई व्यापारी मछली पालन कर रहे हैं। किसान भी अपने खेतों पर मछली पानी कर सकते हैं। इसके लिए नीली क्रांति के तहत सरकारी 40 से 60 फीसदी तक अनुदान देती है।
इशरत तारीख, पूर्व सहायक निदेशक, मत्स्य विभाग, झालावाड़।
हां रिक्त पदों से परेशानी तो आती है-
विभाग में रिक्त पद तो काफी है, इसके लिए हमने विभाग को भेज रखा है, अभी प्रोसेस चलरहा है। जिले में मछली पालन की अच्छी संभावना है। सरकार द्वारा एससी एसटी के किसानों को 60 फीसदी व सामान्य को 40 फीसदी अनुदान दिया जाता है। किसानों को कृषि के साथ-साथ अपनी आय बढ़ाने के लिए मछली पालन करना चाहिए। जिले में इसके लिए अनुकूल माहौल है।
मनोज कुमार मीणा, जिला मत्स्य अधिकारी, झालावाड़।
Published on:
21 Nov 2019 12:33 pm
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