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Santshree Sudhasagar Maharaj…चंद्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी में बह रही है धर्म की सरिता

चंद्रोदय तीर्थ क्षेत्र चांदखेडी में आध्यात्म की सरिता बह रही है। देश के कोने-कोने से जैन समाज के साधक यहां पहुंचकर मुनि पुंगव सुधासागर महाराज के दर्शन का लाभ उठा रहे हैं

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Santshree Sudhasagar Maharaj...चंद्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी में बह रही है धर्म की सरिता

Santshree Sudhasagar Maharaj...चंद्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी में बह रही है धर्म की सरिता

झालावाड़. खानपुर. चंद्रोदय तीर्थ क्षेत्र चांदखेडी में आध्यात्म की सरिता बह रही है। देश के कोने-कोने से जैन समाज के साधक यहां पहुंचकर मुनि पुंगव सुधासागर महाराज के दर्शन का लाभ उठा रहे हैं। महाराज के यहां विहार करने से समूचा क्षेत्र धर्ममय हो रहा है। मुनि पुंगव के प्रवचन का लाभ उठा रहे हैं। प्रवचन में युवा पीढ़ी को संस्कारों से जोड़ें और कैसे ऊर्जावान बनाना है, नकारात्मकता के भाव को कैसे दूर करने पर जोर दिया जा रहा है। मुनि पुंगव सुधासागर ने गुरुवार को प्रवचन के दौरान कहा कि किसी को धर्म की बात समझ में नहीं आती ये उसका दुर्भाग्य है। सत्य समझ नहीं आ रहा। नेत्र को प्रकाश नजर नहीं आ रहा,जो लोग समझना ही नहीं चाहते उनका कल्याण नहीं हो सकता। समझ में आए या नहीं आए, लेकिन उपदेश व प्रवचन सुनना ही चाहिए। जैन दर्शन आत्मा प्रधान दर्शन है। प्रवचन के दौरान मुनिश्री के संघ में मुनि महासागर, मुनि निष्कंपसागर, क्षुल्लक गंभीरसागर और धैर्यसागर महाराज चांदखेड़ी में विराजमान है। मंदिर समिति के अध्यक्ष हुकम जैन काका ने बताया कि नियमित प्रवचर हो
रहे हैं।
प्रवचन में जीने के पांच सूत्र बताए
आहार : जैन दर्शन में खाने पीने पर विचार किया गया है, शुद्धि की चर्चा की गई है। कई देशों में मांस मंदिरा का अत्याधिक सेवन होता है, कीडे मकोडे, सांपए केंकडे यहां तक की गंदगी खाने वाले जानवर को भी खा जाते हैं, लेकिन कोई विचार नहीं किया गया। भोजन पर विचारए चर्चा केवल जैन धर्म में ही की गई है। शाकाहार के साथ दिन में खाना, रात को नहीं खाना पीना जैन दर्शन में ही बताया गया है।
त्याग : कई लोग साधुओं से दूर भागते हैं केवल इसलिए की कहीं कोई नियम नहीं दिला दें, या कोई चीज छुडवा नहीं देए लेकिन उन्होंने कहा कि आप कुछ छोडों या नहीं छोडों लेकिन समझने का प्रयास करना चाहिए। कुछ लोग प्रवचन में अच्छाई ढूंढते हैं तो कुछ लोग बुराई की तलाश करते हैं। उन्होंने कहा जीवन में ये भाव कभी नहीं लाए की मुझे सुनना ही नहीं है।
अध्ययन : पढ़ाई में कुछ याद हो ना हो लेकिन पढाई करनी चाहिए। कई ग्रंथ, गाथाए, श्लोक हैं, जो समझ नहीं आते लेकिन उन्हें सुना जाता है।
कर्म : समस्या का समाधान रौने से नहीं होगा जो कर्म किए हैं उनका परिणाम तो भुगतना ही होगा। सभी धर्मों में देवताओं ने जो अवतार लिए सभी ने मानव के कल्याण की बात कही। सभी का जन्म बुराई के अंत के लिए हुआ।
अच्छाई-बुराई में भेद : अच्छाई को बाद में समझों पहले बुराई को समझने की आवश्यकता है, इसे समझ लिया तो अच्छाई अपने आप आ जाएगी। विश्व में औद्योगिक क्रांति आ गई, आधुनिक यंत्रों से व्यक्ति प्रभावित है और सुख भोग रहा हैए लेकिन आत्मीयता, धर्म, आत्मा का पतन हो रहा है।