
पूर्व विधायक बालचंद आर्य ने सुनाए संस्मरण
अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 22 जनवरी को होने वाला है। वर्षों बाद राम भक्तों के साकार हो रहे इस सपने में कारसेवकों के संघर्ष की भूमिका अहम है। क्षेत्र के कईं गांवों से कड़े संघर्षों और बाधाओं को पार करते हुए कार सेवक राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लेने के लिए अयोध्या पहुंचे थे।
जब 1990 में राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चरम पर था, तब विश्व हिन्दू परिषद के आह्वान पर झालावाड़ जिले की विभिन्न तहसीलों से कार सेवकों के जत्थे अयोध्या के लिए कूच कर रहे थे, तब डग विधायक बालचंद आर्य 25 कारसेवकों के साथ भवानीमंडी रेलवे स्टेशन से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे, लेकिन उत्तरप्रदेश सरकार की सख्ती के चलते उन्हें पुलिस ने भोजन करने के बाद लखनऊ की एक धर्मशाला से रात को 11 बजे कारसेवकों के साथ हिरासत में ले लिया।
इस दौरान पुलिस ने कारसेवकों के केसरिया पट्टे व साफे जब्त कर लिए। आर्य ने राजस्थान का विधायक होने का परिचय दिया तो रात ढाई बजे थाना प्रभारी ने उनकी गिरफ्तारी के लिए राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति मांगी। इसके बाद पुलिस ने उन्हें भी कारसेवकों के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वे उन्नाव जेल में दिल्ली, मध्यप्रदेश के कार सेवकों के साथ बंद रहे।
जेल में वे अन्य प्रदेशों के कार सवेकों के कहने पर सभी को रोजाना सौगंध राम की खाते है ,मंदिर भव्य बनाएंगे गीत सुनाते थे। 18 दिन तक कार सेवकों के साथ जेल में बंद रहने के बाद राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या में कमी को देखते हुए योजनाबद्ध तरीके से उन्हें जेल से रिहा करवाया।
आर्य जब 1992 में दोबारा अयोध्या पहुंचे तो सभी कार सेवकों के मन में केवल एक ही जुनून था कि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो। 6 दिसंबर को करीब 8 लाख कारसेवकों में जोश आ गया। सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक सभी ने बाबरी ढांचे को समतल कर दिया। आज वर्षों बाद राम मंदिर का सपना साकार हो रहा है। मात्र यह सोचकर ही खुशी के आंसू छलक पड़ते हैं। राम जन्म भूमि आंदोलन का हिस्सा बनकर अपने आप में गौरवान्वित महसूस करता है।
Published on:
11 Jan 2024 04:20 pm
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