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इस केंद्रीय मंत्री ने चुनाव लड़ने से किया इनकार, तो इन नेताओं पर टिकीं सभी की निगाहें, बड़े उलटफेर की तैयारी में भाजपा

भारतीय जनता पार्टी में नए प्रत्याशी की तलाश तेज कर दी गई है...

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इस केंद्रीय मंत्री ने चुनाव लड़ने से किया इनकार, तो इन नेताओँ पर टिकीं सभी की निगाहें, बड़े उलटफेर की तैयारी में भाजपा

झांसी. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे तीन बड़े राज्यों में सत्ता से बेदखल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपना ध्यान 2019 के लोकसभा चुनावों पर केंद्रित कर दिया है। इसके लिए पार्टी ने होमवर्क शुरू कर दिया है। झांसी- ललितपुर संसदीय क्षेत्र से पिछली बार सांसद चुनी गईं केंद्रीय मंत्री और भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती द्वारा इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिए जाने के बाद पार्टी में नए प्रत्याशी की तलाश तेज कर दी गई है। इसके लिए कई नाम उभरने लगे हैं। दावेदार भी अपने-अपने हिसाब से जोड़तोड़ करने में जुट गए हैं।

पार्टी इन पर लगा सकती है दांव

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से होते हुए भारतीय जनता पार्टी में पहुंचे हरगोविंद कुशवाहा का कद योगी राज में भी उतना ही है, जितना मुलायम सिंह यादव के समय में समाजवादी पार्टी में रहा है। समाजवादी पार्टी के टिकट पर वह 1996,1998 व 1999 का चुनाव लड़ चुके हैं। वह बात अलग है कि संसदीय क्षेत्र में कुशवाहा समाज का अच्छा खासा जनाधार होने के बावजूद वह जीत दर्ज नहीं कर सके। इसके बाद पार्टी ने उन्हें झांसी विधानसभा सीट से चुनाव में उतारा। वहां भी कामयाब नहीं होने के बाद उन दिनों पार्टी के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव ने उन्हें झांसी विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष नामित करके राज्यमंत्री का दर्जा देकर नवाजा। फिर वह बदले वक्त के साथ साइकिल से उतरकर हाथी पर सवार हुए। जल्द ही उनका बसपा से भी मोहभंग हो गया और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। यहां पर उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के करीबी होने के कारण उन्हें बौद्ध अंतर्राष्ट्रीय केंद्र का उपाध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा मिला। इस बार उमा भारती द्वारा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिए जाने की वजह से वह एक सशक्त दावेदार के रूप में नजर आने लगे हैं।

पूर्व मंत्री रवींद्र शुक्ल भी हैं दावेदार

भारतीय जनता पार्टी से बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री और चार बार विधायक रहे रवींद्र शुक्ल भी लोकसभा के टिकट के दावेदार हैं। प्रदेश में पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही वह लगातार सक्रिय हैं। इसके लिए वह पार्टी के अंदर अपने पुराने साथी रहे तमाम मंत्रियों व विधायकों के संपर्क में हैं। वह 2009 के चुनाव में पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।

इन विधायकों पर है नजर

इसके अलावा लोगों में दो विधायकों के नामों की भी चर्चा तेज है। इसमें पहला नाम झांसी सदर से विधायक रवि शर्मा का है। वह लगातार दूसरी बार पार्टी के टिकट पर विधायक हैं। इसके साथ ही वह केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं। इसके अलावा पहली बार में ही बबीना सीट से विधायक बने राजीव सिंह पारीछा का नाम भी चर्चा में हैं। वह केंद्रीय मंत्री उमा भारती के करीबी हैं। उन्हीं की कृपा से राजीव सिंह को बबीना सीट से विधानसभा का टिकट मिला था और वह जीते भी। इस बार उमा भारती द्वारा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिए जाने के बाद उन्होंने अपनी सक्रियता लोकसभा क्षेत्र में बढ़ा दी है। इसके लिए दूरदराज के विधानसभा क्षेत्रों में भी उन्होंने उमा भारती की फोटो के साथ अपनी फोटो वाले होर्डिंग्स लगवाए हैं। इसमें लोगों को आने वाले त्योहारों और नए वर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित की गई हैं। इससे माना जा रहा है कि अगर उमा भारती ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में उनका नाम प्रपोज किया तो वह पूरी तरह से तैयारी में हैं।