छद्म नाम से रहकर दिया गतिविधियों को अंजाम इतिहासकार जे एस वर्मा बताते हैं कि झांसी की शहर कोतवाली के पास ही क्रांतिकारी मास्टर रुद्रनारायण रहा करते थे। उन्हीं के पास चंद्रशेखर आजाद भी आकर रहे। चंद्रशेखर आजाद ने एक निर्धारित समय के लिए झांसी को अपना गढ़ बना लिया। झांसी से पंद्रह किलोमीटर दूर ओरछा के जंगलों में वह अपने साथियों के साथ निशानेबाजी किया करते थे। अचूक निशानेबाज होने के कारण चंद्रशेखर आजाद दूसरे क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ पंडित हरिशंकर ब्रह्मचारी के छ्द्म नाम से बच्चों के अध्यापन का कार्य भी करते थे। वह धिमारपुर गांव में अपने इसी छद्म नाम से स्थानीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए थे। झांसी में रहते हुए चंद्रशेखर आजाद ने गाड़ी चलानी भी सीख ली थी।
पहले था टकसाल, अब है चंद्रशेखर मुहल्ला झांसी में शहर कोतवाली के पास क्रांतिकारी मास्टर रुद्रनारायण जिस मुहल्ले में रहा करते थे, उसका नाम था टकसाल। इस क्षेत्र में चंद्रशेखर आजाद के रहने के कारण इस पूरे मुहल्ले का नाम ही चंद्रशेखर के नाम पर हो गया। इतना ही नहीं, यहां पर ग्वालियर रोड पर चंद्रशेखर आजाद के नाम पर एक स्तंभ बना हुआ है। उधर, बाद के समय में झांसी के क्रांतिकारियों ने चंद्रशेखर आजाद की माता जगरानी को मुसीबत के समय में झांसी लाने का फैसला लिया। उनके नाम की समाधि भी बड़ागांव गेट बाहर स्थित श्मशानघाट में बनी हुई है।