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‘मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी’ का एक एक शब्द स्वाभिमान दिखाता है- योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व पर सम्पूर्ण झांसी वासियों को ह्रदय से बधाई देता हूँ. रानी लक्ष्मी बाई जी की इस धरती पर सदैव उनका बलिदान हम सभी में राष्ट्र रक्षा के प्रति समर्पण का भाव का पैदा करती रहेगी.

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पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
झाँसी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व 'झांसी जलसा' का उद्घाटन करते हुए कहा कि बड़े बड़े महान स्वतन्त्रता सेनानी की धरती पर आज हमें आकार बहुत गर्व महसूस होता है। ये ऐतिहासिक समय है जब बुंदेलखंड क्षेत्र को डिफेंस कारीडोर बनाने का काम तेजी से चल रहा है। जबकि इसके पहले यहाँ कोई आना पसंद नहीं करता था। आज रक्षामंत्री राजनाथ सिंह खुद भी झांसी की धरती पर पधारे हैं। मैं उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उनका ह्रदय से स्वागत व अभिनंदन करता हूं। मंत्रालय से जुड़े सभी अधिकारियों को धन्यवाद देता हूं.


राष्ट्रधर्म ही मूल धर्म है

झांसी की जब चर्चा होती है तो भारत के शौर्य, पराक्रम, वीर और वीरांगनाओं की धरती की रूप में झांसी की पहचान होती है. यह वर्ष झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की 193वीं जयंती का है। इस आयोजन को देश के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के साथ जोड़कर और भी अच्छे ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास हुआ है. रक्षामंत्रालय और राज्य शासन ने मिलकर के इस कार्यक्रम को जो आमजन के साथ जोड़ने का प्रयास किया है, यही राष्ट्र के प्रति प्रेम का भाव प्रस्तुत करता है.

राष्ट्ररक्षा हम सबका मूल धर्म है। राष्ट्रधर्म ही हमारा धर्म है। प्रत्येक नागरिक के मन में राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव होना चाहिए। इस धर्म का पालन करके ही हम न केवल वर्तमान को बल्कि आने वाले भविष्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं. इसी भाव के साथ झांसी में यह आयोजन हो रहा है.

'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी'
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इस झाँसी की धरती ने विदेशी हुकूमत के जोड़ों को हिलाने का काम किया था. रानी लक्ष्मी बाई जी के नेतृत्व में उस समय स्वाधीनता के लिए जिस तरह का अभियान चलाया गया था, आपने वह भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में उनके काव्य को और उनके लोक कथाओं को पढ़ा जाता रहा है. कौन ऐसा भारतीय है जो इन पंक्तियों को कभी विस्मृत कर सकता है।

'मैं अपनी झांसी हरगिज नहीं दूंगी'
योगी आदित्यनाथ ने बोलते हुए कहा कि, 'मैं अपनी झांसी हरगिज नहीं दूंगी' रानी लक्ष्मीबाई का यह अमृत वाक्य प्रत्येक भारतीय के मन में मातृभूमि के प्रति समर्पण का भाव पैदा करता है. झाँसी में तीन दिनों तक चलने वाला ये कार्यक्रम न केवल राष्ट्र रक्षा के प्रति अपना समर्पण भाव दर्शाता है, अपितु रक्षा सेनाओं द्वारा, उनके सेनाओं द्वारा देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए निरंतर यहां कार्यक्रम चल रहे हैं.

फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री जी झाँसी आये थे, इसके बाद झाँसी की धरती पर राष्ट्र रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित की गई है. आज बुंदेलखंड विकास की नई उमंग के साथ आगे बढ़ रहा है. हमारे रक्षा सचिव जी ने कहा, बुंदेलखंड में डिफेन्स कॉरिडोर का निर्माण भी हो रहा है. बुंदेलखंड में आज चल रही सिंचाई योजनाएं, यहां सभी किसानों को प्राप्त हो रहा है. आज मैं विशवास के साथ कह सकता हूँ कि आज झाँसी ही नहीं बुंदेलखंड का भी विकास तेजी के साथ हो रहा है.

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य चल रहा है.

बुंदेलखंड में जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल की व्यवस्था की जा रही है. पहले यहां पेय जल का अभाव था, जिसके कारण बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन होता था. लेकिन हमारी सरकार का ये प्रयास है, 2022 तक यूपी के हर घर पेय जल पहुंचाया जाए.

लगभग साढ़े 10 हजार करोड़ की लागत से चलने वाली योजना, यहां विकास के साथ एक नए बुंदेलखंड के निर्माण को लेकर प्रत्येक बुंदेलखंड वासियों के दिल में उत्साह का भाव है.