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‘बचपन में ज्ञान, जवानी में ध्यान व बुढ़ापे में पुण्य अर्जन करें तो सार्थक होगा जीवन’

'बचपन में ज्ञान, जवानी में ध्यान व बुढ़ापे में पुण्य अर्जन करें तो सार्थक होगा जीवन'

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dharm sabha and shruti skandh mahamandal vidhan in jain temple

'बचपन में ज्ञान, जवानी में ध्यान व बुढ़ापे में पुण्य अर्जन करें तो सार्थक होगा जीवन'

झांसी। जैन महिला संत आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि बचपन में ज्ञान, जवानी में ध्यान व बुढ़ापे में पुण्य अर्जन करें तो जीवन सार्थक होगा। पत्थर जब तक खदान से जुड़ा, पत्ता जब तक डाली से जुड़ा तब तक सलामत है। बूंद जब तक सरिता से जुड़ी जब तक सलामत है और इंसान तब तक सलामत है जब तक वह सम्यक ज्ञान के ज्ञानी गुरु से जुड़ा है। वह यहां करगुवां जैन तीर्थ में आयोजित धर्मसभा में बोल रही थीं।
ज्ञान वृद्धि के लिए कराया विधान
इससे पहले यहां नौनिहालों एवं कुंवारे बालक-बालिकाओं की ज्ञान वृद्धि के लिए श्रुति स्कन्ध महामंडल विधान कराया गया। इसमें संस्कृत विद्यालय बरुआसागर, गुरसरांय, चिरगांव सहित झांसी महानगर के जैन समाज के 4 वर्ष से 40 वर्ष तक के कुंवारे युवक-युवतियों ने विधान में भाग लिया तथा भक्ति भाव से अर्घ्य के रूप में अपनी भावांजलि अर्पित की। इसमें स्वधर्म इन्द्र-इन्द्राणी के रूप में धवल एवं पीत वस्त्रों में सजे-धंजे नौनिहालों का स्वरुप सभी को आकर्षिक कर रहा था। उस पर विधि-विधान से पूजा करते हुए इन बच्चों की सभी ने मुक्त कंठ से इस आयोजन की सराहना की। गौरतलब है कि झांसी जैन समाज के इतिहास में पहली बार यह आयोजन आर्यिका रत्न पूर्णमति माताजी की प्रेरणा से उन्हीं के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। श्रुति स्कन्ध विधान उपरांत संबोधित करते हुये पूर्णमति माताजी ने कहा कि बच्चों के जीवन में आज शिक्षा तो है पर संस्कार नहीं, युवावस्था तो है, पर निर्मलता नहीं, स्मृति तो है परंतु प्रज्ञा नहीं, विचार तो है पर आचरण नहीं, बल है पर संयम नहीं, संवेदना है पर संवेदनशील नहीं। हमारा युवा संवेदनशील न होने के कारण उसके भीतर की सृजनशीलता समाप्त होती जा रही है।
सार्थक बनाएं जीवन
आर्यिका माता ने कहा कि यदि हम बचपन में ज्ञान, जवानी में ध्यान और बुढ़ापे में पुण्य अर्जन करें तो जीवन सार्थक बन जायेगा क्योंकि ज्ञान ही मनुष्य जीवन का सार है। उन्होंने बच्चों को फास्ट फूड से दूर रहकर शाकाहारी भोजन को अपनाने पर बल दिया तथा माता-पिता को सजग रहकर बच्चों के जीवन निर्माण में महत्वपूर्ण एवं सकारात्मक भूमिका निभाने का आह्वान किया। प्रारंभ में दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय महामंत्री विपिन जैन मेरठ, लखनऊ के डिप्टी कमिश्रर संदेश जैन ने आर्यिका मां को श्रीफल अर्पित कर आर्शीवाद लिया एवं दीप प्रज्ज्वलित कर धर्मसभा का शुभारंभ कराया। अंत में वर्षायोग समिति के अध्यक्ष प्रवीण कुमार जैन ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।