उत्तर प्रदेश में यूं बढ़ी मूंगफली की उपज और रकबा
बहुपयोगी होने के नाते पिछले एक दशक में
उत्तर प्रदेश के किसानों ने मूंगफली की खेती के प्रति रुचि भी दिखाई है। इसका असर प्रति हेक्टेयर, प्रति किलोग्राम उत्पादन पर पड़ा है। साथ ही मूंगफली के रकबे में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यूपी एग्रीज के जरिए योगी सरकार बुंदेलखंड के किसानों के हित में इसका अधिकतम लाभ उठाएगी।
स्वाद भी बढ़ाएगी और विदेशी मुद्रा भी लाएगी झांसी की मूंगफली
किसानों के इसी रुझान और बहुउपयोगी मूंगफली की स्थानीय बाजार और इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, फिलीपींस आदि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में इसकी मांग को देखते हुए सरकार विश्व बैंक की मदद से यूपी एग्रीज योजना के तहत झांसी को मूंगफली के कलस्टर के रूप में विकसित करना चाहती है।
एक दशक में 2 से बढ़कर 4.7% हुआ यूपी में मूंगफली का रकबा
डायरेक्टर ऑफ इकोनॉमिक्स एंड स्टेट मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर की रिपोर्ट के अनुसार साल 2013/2014 से 2015/2016 के एवरेज के अनुसार भारत में प्रति हेक्टेयर मूंगफली की उपज 1542 किलोग्राम थी। इसकी तुलना में उत्तर प्रदेश की उपज मात्र 809 किलोग्राम थी। उस समय देश के के कुल 4.93 मिलियन हेक्टेयर रकबे पर मूंगफली की खेती होती थी। तब टोटल रकबे में उत्तर प्रदेश का योगदान सिर्फ 2 फीसदी था। करीब एक दशक में हालात तेजी से बदले हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश में मूंगफली का का रकबा बढ़कर करीब 4.7 फीसद हो गया। यह वृद्धि ढाई गुना से अधिक की है।
गुजरात में होती है सर्वाधिक मूंगफली
दरअसल, देश में सर्वाधिक मूंगफली का उत्पादन गुजरात में होता है। यहां करीब 20 लाख हेक्टेयर में देश के कुल उत्पादन का 47 फीसद मूंगफली होती है। इसके बाद राजस्थान और तमिलनाडु का नंबर आता है। मूंगफली उत्पादन में इन राज्यों की हासेदारी क्रमशः 16 और 10 फीसदी है। जहां तक उपज की बात है तो देश में प्रति हेक्टेयर उपज 1542 से बढ़कर 1688 किग्रा हो गई। जानिए मूंगफली का उपयोग और औषधीय गुण
मूंगफली में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य, पाचन तंत्र और वजन प्रबंधन में मदद करते हैं। मूंगफली का तेल निकाला जाता है। इसका उपयोग खाना पकाने और सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है। मूंगफली के तेल में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ई होता है। इसलिए यह स्किन और बालों के लिए फायदेमंद है। प्रोटीन और ऊर्जा का बेहतर स्रोत होने की वजह से इसका उपयोग पशु आहार में भी किया जाता है। कच्ची मूंगफली को उबालकर, खाते हैं। सुखाकर भुनी मूंगफली खाना तो आम है। इससे पीनेट चीज और बटर भी बनती है। करी, चटनी, सलाद और स्नैक्स के रूप में भी मूंगफली का उपयोग होता है।
मूंगफली के दाने के साथ छिलके के भी मिलेंगे दाम
इसके छिलके का उपयोग ईंधन के रूप में भी होता है। कुछ कंपनियां इसे प्रति किलोग्राम की दर से खरीद भी लेती हैं। इस तरह किसानों को मूंगफली के साथ उसके छिलके के भी दाम मिलेंगे। सरकार को अनुमान है कि इसकी फैक्ट्री प्राइस प्रति किलोग्राम 5 रुपए तक होगी।