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सौरभ ने रोज चलाई 8 KM साइकिल, कंटेंट राइटर बनकर खुद कर रहे थे तैयारी, अब UPSC में मारी बाजी

Jhansi News : UPSC में 803 वीं रैंक पाने वाले झांसी के सौरभ की कहानी संघर्ष से भरी हुई है। इंटर पास करने के लिए हर रोज चलानी पड़ती थी 8 किलोमीटर तक साइकिल। उसके बाद खुद कंटेंट राइटर बनकर तैयारी करनी पड़ी। लेकिन अब सफलता उनके हाथ लग गई और उनका सिलेक्शन हो गया।

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संघर्ष करने के बाद सौरभ अहिरवार का UPSC में सिलेक्शन हुआ है।

Jhansi News : झांसी के भोजला गांव के रहने वाले सौरभ ने अपने परिवार, गांव और जनपद का मान बढ़ा दिया है। प्रतिभा बड़े घरों की मोहताज नहीं होती है। इसे महानगर के पास सटे भोजला गांव के युवा सौरभ अहिरवार ने सच कर दिया है। उनाव बालाजी में टीवी व रेडियो सुधारने का कार्य करने वाले हेमन्त किसी प्रकार अपनी गृहस्थी चला कर अपने बच्चों की पढ़ाई करायी। गरीबी पृष्ठभूमि से पढ़ाई करते हुए आगे बढ़े हैं। प्रतिदिन मोपेड व साइकिल से 8 किलोमीटर का सफर करने वाले हेमन्त के छोटे बेटा सौरभ भी अपने पिता के साथ कभी साइकिल तथा कभी बस से उनाव बालाजी (मध्य प्रदेश) जाते थे। उनाव के सरकारी स्कूल से इण्टर करने के बाद उसने ग्वालियर में अपने परिजन के घर पर रहकर साइंस कॉलिज से कम्प्यूटर साइंस से बीएससी की। स्नातक के बाद सौरभ ने आइएएस के लिए सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। वह वर्ष 2013 में वह दिल्ली गया। उसके बड़े भाइ गौरव अहिरवार ने जमीन कारोबार का काम शुरू किया। बड़े भाई व पिता की मदद से वह दिल्ली गया और एक वर्ष कोचिंग की। बाद में वह घर वापस आ गया। इसके बाद उसने ऑनलाइन कोचिंग की।

कंटेंट राइटिंग का किया काम
बाद में वह एक ऑनलाइन कोचिंग सेंटर से जुड़ गया और दिल्ली में रहकर आईएएस की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए प्रश्न पत्र बनाने का कार्य करने लगे। साप्ताहिक टेस्ट के लिए प्रश्न पत्र बनाने वाले कंटेंट राइटर सौरभ अहिरवार सिविल सेवा की परीक्षा भी देते रहे। बाद में वह एक एजुटेक कंपनी के लिए ऑनलाइन कार्य करने लगे। भोजला में ही रहकर उन्होंने सफलता पा ली है। यूपीएससी-2022 में 803 रैंक पाने वाले सौरभ अहिरवार अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता के साथ माँ किरण देवी व भाई गौरव को देते हैं।

लगातार किया प्रयास
सौरभ अहिरवार इन दिनों गुड़गांव की एजुटेक संस्था से जुड़कर वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। इसके पहले वह दिल्ली की एक आईएएस कोचिंग में कन्टेट राइटर का जॉब करते थे। वह आईएएस के प्रश्न पत्र तैयार करने के साथ अपनी परीक्षा की भी तैयारी करते थे। वह प्रतिदिन 18-18 घंटे तक लगातार पढ़ाई करते थे। वह सिविल सेवा की मेन्स परीक्षा दो बार दे चुके हैं। यूपी व एमपी की पीसीएस परीक्षा के साक्षात्कार में दो-दो बार शामिल हुए थे। वह सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे। उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आखिरकार इस बार वह सफल हुए। वह बताते हैं कि सिविल सेवा की तैयारी के लिए एनसीआरटी के बेसिक विषयों से तैयारी करनी चाहिए। ऑनलाइन भी कंटेंट उपलब्ध है। साथ ही करंट अफेयर्स की भी तैयारी कर सकते हैं। वह कहते हैं कि तैयारी के लिए लगातार लेखन में सुधार किए जाने की जरूरत है। साक्षात्कार के लिए नैसर्गिक तैयारी करनी चाहिए, जिससे साक्षात्कार के दौरान बनावटी व्यक्तित्व नजर न आए।


सोशल साइट की ली मदद
वर्ष 2019 में ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली में ही तैयारी में जुट गये। एक वर्ष तक कोचिंग में नियमित पढ़ने के बाद उसने घर पर ही रहकर ऑनलाइन कोचिंग तथा सोशल साइट की मदद तथा चयनित पुस्तकों से तैयारी की। वह दो वर्ष पहले यानी, 2018 में मेंस एग्जामिनेशन तक पहुंचा और 20 अंक की कमी से साक्षात्कार तक नहीं पहुंच पाया। अपनी गलतियों को सुधार कर इस बार (यूपीएससी- 2022 ) में सफलता पा ली।


18 घंटे की पढ़ाई
सिविल सेवा की तैयारी के दौरान गौरव ने सामाजिक कार्यक्रमों से तो दूरी बनाई, लेकिन दोस्तों, परिवार व समाज के प्रमुख लोगों से लगातार मिलते रहे। सिविल सेवा के लिए घर में बंद रहकर 18 घंटे की तैयारी की बात करने वाले लोगों से अलग गौरव बताते हैं कि वह नियमित 6 से 8 घंटे की पढ़ाई और प्रत्येक दिन अपने विषय के तय लक्ष्य को पूरा करते रहे। गौरव का मानना है कि साक्षात्कार में सामाजिक विषयों पर सवाल पूछे जाते हैं और इसलिए तैयारी के दौरान लोगों से लगातार संवाद करते रहना चाहिए। हां, सामाजिक कार्यक्रमों से दूरी बनाने से एकाग्रचित होकर पढ़ाई करने में मदद मिलती है। वह वीक एंड वॉलीबॉल खेलकर शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहने का प्रयास करते हैं।